Kushinagar Tragedy Update: न चुनाव की चर्चा न सजी चौपाल, शांत सन्नाटे के बीच कुछ सुनाई देता है तो बस चित्कार और सिसकियां
(एक साथ 13 अर्थियां उठने पर पूरा गांव रो पड़ा)
Kushinagar Tragedy Update: कुशीनगर की सुबह में आज रोजमर्रा की तरह उल्लास नजर नहीं आ रही थी। न ही चुनाव की चर्चा या चौपाल ही नजर आ रही थी। गांव के मैदान में बच्चों की उछल कूद भी बंद थी। चारों तरफ कुछ था तो सन्नाटा और बस सन्नाटा। इस सन्नाटे की खामोशी में छिपा एक दर्द जो हर एक आंख में दिख रहा है।
कभी-कभी अचानक सन्नाटे को चीरकर अगर कुछ सुनाई दे रहा तो वह लोगों के रोने की आवाजें। यहां सैंकड़ों आखें रो रही हैं। ये चित्कार और रोने की आवाजें सुनकर पत्थर भी पिघल जाए। हालांकि इससे पहले भी इस गांव के लोगों ने तमाम दर्द झेले हैं लेकिन ये ताजा है जो रह-रहकर गांववालों को टीस दे रहा है। यहां बुधवार रात की घटना के बाद जब एक साथ तेरह लोगों की अर्थी एक ही गांव से उठी तो देखने वालों का कलेजा कांप उठा। आंखे नम हो गयी और मातम छाया है।
कुशीनगर जिले के नेबुआ नौरंगिया (Naurangia) थाना क्षेत्र के नौरंगिया गांव में वैवाहिक कार्यक्रम के दौरान, बुधवार देर रात हादसे में 13 लोगों की मौत हो गई थी। मरने वालों में महिलाएं, किशोरी और बच्चियां शामिल हैं। गुरुवार दोपहर जब श्मशान घाट पर एक साथ 13 चिताएं जलीं तो वहां मौजूद सभी की आंखें छलक गईं। गांव के कई घरों में चुल्हे तक नहीं जले। चारों तरफ सन्नाटा ही सन्नाटा। सभी खामोशी और नम आंखो से उन्हें अंतिम विदाई दे रहे थे। मृतकों के परिजनों का करुण रुदन और एक साथ इतनी चिताएं जलते देख पूरा गांव रो पड़ा।
क्या हुआ था हादसा?
बुधवार रात नौरंगिया गांव के स्कूल टोला निवासी परमेश्वर कुशवाहा के बेटे अमित कुशवाहा के विवाह पूर्व, बुधवार देर रात हल्दी की रस्म अदा की जा रही थी। घर से करीब 100 मीटर दूर स्थित कुएं के सामने मटकोड़ (विवाह के पहले की रस्म) का कार्यक्रम चल रहा था। जिस कुएं के पास कार्यक्रम चल रहा था, उसे आरसीसी स्लैब बनाकर बंद किया गया था। रस्म के दौरान बड़ी संख्या में महिला, युवती व बच्चियां कुएं पर बने स्लैब पर जाकर खड़े हो गए। जिससे अचानक स्लैब टूट गया और उसपर खड़े सभी लोग कुएं में समा गये थे। इस दौरान दो बच्चियों सहित 13 महिलाओं की कुएं के अंदर मौत हो गई।
चार साल पहले भी हो चुकी हैं 18 मौतें
नेबुआ नौरंगिया थानाक्षेत्र के नौरंगिया स्कूल टोला में बुधवार की देर रात कुएं में गिरने से 13 लोगों की मौत ने पुराने जख्म को फिर ताजा कर दिया। लोगों की नजरों के सामने पुराने मंजर फिर से घूमने लगे। लोग जगह-जगह उन घटनाओं का जिक्र करते देखे गए। चार साल पहले नौरंगिया स्कूल टोला में ही बेकाबू एक वाहन ने पांच लोगों को रौंद दिया था तो दुदही के बहपुरवा रेलवे क्रासिंग पर ट्रेन की चपेट में आने से स्कूल वैन में सवार 13 मासूमों की मौत हो गई थी। ऐसे ही सुकरौली में हुई दुर्घटना में भी आठ लोग मौत के मुंह में समा गए थे।