Nainital News : पांच साल पहले माओवादी बताकर किया था गिरफ्तार, अब नैनीताल की अदालत ने किया दोषमुक्त
(दोषमुक्त हुए देवेंद्र चमियाल और भगवती भोज।)
Nainital News : नैनीताल के जिला एवं सत्र न्यायालय ने देवेंद्र चमियाल (Devendra Singh Chamiyal) और भगवती भोज (Bhagwati Bhoj) को दोषमुक्त कर दिया है। दोनों को पांच साल पहले सितंबर 2017 में माओवादी बताकर गिरफ्तार किया गया था। उनपर धारी तहसील परिसर में सरकारी जीप जलाने व क्षेत्र में जगह-जगह प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिष्ट पार्टी (माओवादी) के पोस्टर लगाने व लिखाई करने का आरोप लगाया गया था। यही नहीं उनके ऊपर पांच हजार का इनाम भी घोषित किया गया था।
जानकारी के मुताबिक सरकार की ओर से इस मामले में डीजीसी सुशील शर्मा (DGC Sushil Sharma) अदालत में पेश हुए वहीं अभियुक्तों की पैरवी अधिवक्ता चंद्रशेखर करगेती (Chandrashekhar Kargeti) के द्वारा की गई। देवेंद्र सिंह चमियाल अल्मोड़ा जिले के डाडाकोट पेटशान पट्टी के दसाऊं गांव निवासी हैं जबकि भगवती भोज उर्फ भागीरथी अल्मोड़ा जिले के सोमेश्वर थाना क्षेत्र के ग्राम काकड़ी निवासी हैं। उनके खिलाफ 2 फरवरी 2017 को एफआईआर दर्ज की गई थी। जबकि आरोप पत्र 1 मार्च 2018 को दाखिल किया गया था।
आरोपियों के खिलाफ 1 जून 2018 को आरोप फ्रेम किए गए थे। इसके बाद 26 फरवरी 2022 को अदालत ने फैसला सुरक्षित कर लिया था। वहीं 9 मार्च को अदालत ने फैसला सुनाते हुए आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया है।
पहले अभियुक्त देवेंद्र सिंह चमियाल की ओर से बयान में कहा गया था कि उसका इस घटना से कोई संबंध नहीं है। उनका माल मुकदमाती से भी कोई संबंध नहीं है। गिरफ्तारी का समय, स्थान तथ्यहीन हैं। पुलिस हिरासत में उसने कोई बयान नहीं दिया है। जनता के गवाह को भी वह नहीं जानते हैं। उनकी गिरफ्तारी हुई है। उनकी गिरफ्तारी झूठी दिखायी गई है। गिरफ्तारी की सूचना उनके घर नहीं दी गई। पी.सी.आर. के दौरान भी उनसे कोई बरामदगी नहीं हुई थी। जो सामग्री इस मुकदमे में पेश की गई है वह भी उसने कभी नहीं देखी और न ही उससे कोई बरामदगी हुई है।
चमियाल की ओर से बयान में कहा गया था कि सत्र न्यायाधीश अल्मोड़ा, न्यायिक मजिस्ट्रेट, द्वाराहाट के न्यायालय द्वारा इससे संबंधित मामलों में उसे दोषमुक्त किया जा चुका है। एक ही माल मुकदमाती के आधार पर ये सारे मुकदमें झूठे दिखाए गए हैं। उन्हें हिरासत में प्रताड़ित किया गया जिसका विपरीत असर उसके परिवार पर पड़ रहा है। वह निर्दोष है।
वहीं दूसरी अभियुक्त भगवती भोज ने अपने बयान में कहा था कि सरकार व उच्च अधिकारियों के दबाव में उनके ऊपर झूठा मुकदमा दायर किया गया है और झूठे साक्ष्य प्रस्तुत किए गए हैं, उन्हें फर्जी मुकदमें में फंसाया गया और घटना से उसका कोई संबंध नहीं है। अभियोजन स्वीकृति गलत तथ्यों के आधार पर प्रस्तुत की गई और वह निर्दोष है।
अभियोजन पक्ष की ओर से तर्क दिया गया कि उसके द्वारा 12 गवाह पेश किए गए हैं। अभियुक्तों (देवेंद्र चमियाल व भगवती भोज) के द्वारा धारी तहसील के तहसीलदार की सरकारी जिप्सी में आग लगायी गई। माओवादी विचारधारा के झंडे, पोस्टर आदि अभियुक्तों से बरामद किए गए हैं व अन्य जगहों पर भी माओवादी विचारधारा के झंडे व पम्पलेट मिले। अभियुक्तों ने पुलिस के सामने अपना अपराध स्वीकार किया। अभियोजन पक्ष के द्वारा पम्पलेट व झंडे पेश किए गए हैं। अभियुक्तों ने अपनी पहचान बदलते हुए अपराध किया है इसलिए बयान में अपना नाम अलग बताया है।
वहीं अभियुक्तों की ओर से पेश हुए अधिवक्ता ने मौखिक बहस में कहा कि अभियुक्तों के खिलाफ सरसरी तौर पर विवेचना की गयी है। भगवती भोज के विरूद्ध पत्रावली पर कोई साक्ष्य नहीं है। अभियुक्तों को घटना स्थल पर पोस्टर व बैनर लगाते हुए किसी ने नहीं देखा है और न ही जिप्सी में आग लगाते हुए किसी ने देखा। घटना के काफी समय पश्चात उन्हें गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तारी स्थल सार्वजनिक स्थल है लेकिन किसी स्वतंत्र या सार्वजनिक गवाह को पेश नहीं किया गया है। अभियुक्तों की गिरफ्तारी की सूचना देरी से दी गई है। देवेंद्र चमियाल की गिरफ्तारी के समय उनके पास वोटर आईडी कार्ड उपलब्ध था, यदि अभियुक्त चुनाव का विरोध करता तो उसके पास वोटर आईडी नहीं होता। अभियुक्त की पहचान किसी गवाह से नहीं करायी गयी। पुलिस हिरासत में अभियुक्तों द्वारा दिखायी गई स्वीकृति साक्ष्य में पठनीय नहीं है।