नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों ने नाम लिखा लंबा पत्र, पर किसान नेता बोले - हम नहीं लेंगे आंदोलन वापस
शुक्रवार सुबह सिंघ बाॅर्डर पर किसान आंदोलन के 23वें दिन धरने पर बैठे एक बुजुर्ग किसान।
जनज्वार। मोदी सरकार के तीन नए कृषि कानून को लेकर तीन सप्ताह से अधिक समय से जारी किसान आंदोलन के सामने केंद्र सरकार अब बेबस नजर आ रही है। कई चरणों की वार्ता के बाद भी अबतक सुलह की कोई राह नहीं निकली है। वहीं, किसान अपने आंदोलन को नया तेवर देने में लगे हैं। इस बीच कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने देश के किसानों का विश्वास हासिल करने के लिए उनके नाम आठ पन्ने का लंबा पत्र लिखा है। इस पत्र को किसानों व देशवासियों को पढने की सलाह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी दी है। हालांकि इसके बावजूद किसान नेताओं ने कहा है कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ वे अपना आंदोलन वापस नहीं लेंगे।
नरेंद्र सिंह तोमर ने गुरुवार शाम को अपना पत्र अपने ट्विटर एकाउंट पर पोस्ट किया जिसे रिट्वीट कर पीएम नरेंद्र मोदी ने सबों को पढने की सलाह दी। तोमर ने किसानों से कहा है कि हमारी सरकार बिना भेदभाव के सभी का हित करने का प्रयास किया है। पिछले साल साल का इतिहास इसका साक्षी है।
कृषि मंत्री @nstomar जी ने किसान भाई-बहनों को पत्र लिखकर अपनी भावनाएं प्रकट की हैं, एक विनम्र संवाद करने का प्रयास किया है। सभी अन्नदाताओं से मेरा आग्रह है कि वे इसे जरूर पढ़ें। देशवासियों से भी आग्रह है कि वे इसे ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाएं। https://t.co/9B4d5pyUF1
— Narendra Modi (@narendramodi) December 17, 2020
तोमर ने पत्र में लिखा है कि दिल्ली के आसपास किसानों के बीच झूठ की दीवार खड़ी करने की कोशिश की जा रही है, ऐसे में सच सामने रखना उनका दायित्व है। उन्होंने कहा कि किसानों की एमएसपी को लेकर जो भ्रम फैलाया जा रहा है, वह झूठ है और एमएसपी पर फसल की खरीद का नया रिकार्ड बन रहा है। तोमर ने खुद को किसान परिवार का बताया है और अपने खेती के अनुभवों का जिक्र किया हैै। तोमर ने कहा है मोदी सरकार के उन फैसलों का जिक्र किया है जो किसानों के लिए लिये गए हैं।
तोमर ने एक बार आश्वस्त किया है कि मंडियां चालू हैं और चालू रहेंगी। साथ ही खुले बाजार में अच्छी कीमत पर फसल बेचने का भी विकल्प सरकार देगी। उन्होंने कहा है कि जिनकी राजनीतिक जमीन खिसक गयी है वे झूठ फैला रहे हैं। उन्होंने कहा कि छह साल में दोगुनी एमएसपी राशि किसानों के खाते में गयी है।
तोमर ने अपने पत्र में लिखा है अभी तक ज्यादातर गोदाम, कोल्ड स्टोरेज व प्रोसेसिंग प्लांट बड़े शहरों के पास बने हुए हैं। इसका पूरा लाभ किसानों को नहीं मिला पाता है और इसी असंतुलन को दूर करने के लिए एक लाख करोड़ रुपये का किसान इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड बनाया गया है।
कृषिमंत्री ने तर्क दिया है कि पहले कौड़ियों के भाव किसानों की फसलें खरीद ली जाती थीं, किसानों की मजबूरी हर कोई जानता था। इसलिए किसानों के लिए मंडी के साथ खुला बाजार की व्यवस्था करने की चर्चा पूर्व की सरकारों ने शुरू की। 2001 में अटल जी की सरकार के समय यह संवाद प्रक्रिया शुरू हुई, उसके बाद 10 साल मनमोहन सिंह की सरकार रही और इसके समर्थन में रही और इसे घोषणा पत्र में लिखती रही। उन्होंने लिखा है कि किसानों को बांध देने वाली व्यवस्था के समर्थन में कोई नहीं है और किसी किसान नेता ने 25 साल में यह नहीं कहा है कि किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए अन्य व्यवस्था नहीं मिलनी चाहिए। तोमर ने कहा है कि मंडी चालू है और एपीएमसी को और मजबूत किया जा रहा है। सरकार ने कृषि मंडियों के आधुनिकीकरण में करोड़ों रुपये पिछले पांच-छह साल में खर्च किए हैं।
आंदोलन का आज 23वां दिन, क्या बोले किसान नेता?
किसान आंदोलन का शुक्रवार को 23वां दिन है और दिल्ली से लगी विभिन्न राज्यों की सीमाओं पर किसान आज भी धरने पर बैठे हैं। पंजाब के किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के नेता दयाल सिंह ने शुक्रवार को कहा कि प्रधानमंत्री को किसानों से बात करनी चाहिए और तीन कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम इन तीन कानूनों के खिलाफ अपना आंदोलन वापस नहीं लेंगे।
Singhu border: Farmers' protest against the three farm laws passed by the Centre has entered its 23rd day today
— ANI (@ANI) December 18, 2020
"PM should talk to the farmers & take back the farm laws. We will not give up our fight against these laws,"says Dayal Singh, Kisan Mazdoor Sangharsh Committee, Punjab pic.twitter.com/74oHpoNTVU