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Netarhat Firing Range Oppose : नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के विरोध में निकाली गयी पदयात्रा आज पहुंचेगी रांची, राज्यपाल को सौंपा जाएगा ज्ञापन

Janjwar Desk
25 April 2022 9:30 AM GMT
Netarhat Firing Range Oppose : नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के विरोध में निकाली गयी पदयात्रा आज पहुंचेगी रांची, राज्यपाल को सौंपा जाएगा ज्ञापन
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Netarhat Firing Range Oppose : नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज के विरोध में निकाली गयी पदयात्रा आज पहुंचेगी रांची, राज्यपाल को सौंपा जाएगा ज्ञापन

Netarhat Firing Range Oppose : एकीकृत बिहार के समय में 1954 में मैनूवर्स फील्ड फायरिंग आर्टिलरी प्रैटिक्स एक्ट, 1938 की धारा 9 के तहत नेतरहाट पठार के 7 राजस्व ग्राम को तोपाभ्यास (तोप से गोले दागने का अभ्यास) के लिए अधिसूचित किया गया था...

Netarhat Firing Range Oppose : नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज (Netarhat Field Firing Range) का विरोध कर रहे लोग आज रांची (Ranchi) पहुंचकर इसके संबंध में झारखंड (Jharkhand) के राज्यपाल रमेश बैस (Ramesh Bais) को अपना ज्ञापन सौंपेंगे। आपको बता दें कि यह पदयात्रा 21 अप्रैल को निकाली गयी थी। इसका नेतृत्व सामाजिक कार्यकर्ता (Social Activist) जेरोम जेराल्ड कुजूर (Jerom Herald Kujur) कर रहे हैं।

इससे पहले पदयात्रा के क्रम में विभिन्न जगहों पर इनका स्वागत किया गया। कल इनलोगों का बारीडीह गांव के पड़हा जतरा मैदान में स्वागत किया गया। इस पदयात्रा को केंद्रीय जनसंघर्ष की सबसे बुजुर्ग साथी 95 वर्षीय एमान्वेल व मगदली कुजूर, दोमनिका मिंज, फिल्म निर्देशक श्रीराम डाल्टन भी शामिल हैं। मौके पर पद्मश्री सिमोन उरांव, देवनिश तिग्गा, अनिल मिंज, अनिल टोप्पो, अंजली कच्छप, पार्थो प्रीतम दास गुप्ता, प्रभात टोप्पो, प्रभात, रवि, दिलीप, बसंत आदि मौजूद थे।

आपको बता दें कि एकीकृत बिहार (Bihar) के समय में 1954 में मैनूवर्स फील्ड फायरिंग आर्टिलरी प्रैटिक्स एक्ट, 1938 की धारा 9 के तहत नेतरहाट पठार के 7 राजस्व ग्राम को तोपाभ्यास (तोप से गोले दागने का अभ्यास) के लिए अधिसूचित किया गया था। 1991 और 1992 में फायरिंग रेंज अवधि का विस्तार करते हुए 1992 से 2002 तक कर दिया गया। केवल अवधि विस्तार ही नहीं हुआ, बल्कि क्षेत्र का भी विस्तार करते हुए 7 गांव से बढ़ाकर 245 गांव को अधिसूचित किया गया। 22 मार्च 1994 को फायरिंग अभ्यास के लिए आई सेना को महिलाओं की अगुवाई में बिना अभ्यास के वापस जाने पर मजबूर कर दिया गया था। People's Union for Democratic Rights (दिल्ली, अक्टूबर 1994) की रिपोर्ट से मालूम हुआ था कि सरकार की मंशा पायलट प्रोजेक्ट के तहत स्थाई विस्थापन एवं भूमि-अर्जन की योजना को आधार दिया जाना था।

जन संघर्ष समिति के केन्द्रीय सचिव जेरोम जेराल्ड कुजूर ने कहा 1991-1992 की अधिसूचना के समाप्त होने के पूर्व ही तत्कालीन बिहार सरकार ने 1999 में अधिसूचना जारी कर 1991-92 की अधिसूचना अवधि का विस्तार कर दिया था, जिसके आधार पर ये क्षेत्र 11 मई 2022 तक प्रभावित हैं। आज हमें डर है कि कहीं राज्य सरकार अवधि का विस्तार न कर दे क्योंकि अभी तक नेतरहाट फील्ड फायरिग रेंज को रद्द करने की अधिसूचना राज्य सरकार द्वारा जारी नहीं की गई है।


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