किसान नेता बलदेव सिंह सिरसा को NIA ने आज पूछताछ के लिए बुलाया, किसान मोर्चा बोला - यह साजिश, करेंगे कानूनी कार्रवाई
Baldev Singh Sirsa.
जनज्वार। राष्ट्रीय जांच एजेंसी, एनआइए ने एक प्रमुख किसान नेता बलदेव सिंह सिरसा को विदेश फंडिंग के मामले में पूछताछ के लिए सम्मन भेजा है। यह सम्मन कई एनजीओ को कथित रूप से विदेश फंडिंग के संदर्भ में भेजा गया है। बलदेव सिंह सिरसा लोक भलाई इंसाफ वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष हैं और उन्हें इस फंडिंग मामले में पूछताछ के लिए बुलाया गया है। सिरसा ने इस नोटिस को आंदोलन को बेपरटी करने की कोशिश बताया और किसान नेताओं ने सरकार के साथ हुई वार्ता में भी इस मुद्दे को उठाया।
बलदेव सिंह सिरसा से आज 17 जनवरी को एनआइए पूछताछ कर सकती है। उनसे सिख फाॅर जस्टिस के एक नेता पर दर्ज केस के सिलसिले व फंडिंग को लेकर पूछताछ की जाएगी। सिरसा को सिख फाॅर जस्टिस के गुरपतवंत सिंह पन्नू के खिलाफ दर्ज केस भय और अराजकता का माहौल बनाने के लिए लोगों के बीच असहमति पैदा करने और भारत सरकार के खिलाफ उन्हें विद्रोह के लिए उकसाने को लेकर पूछताछ के लिए बुलाया गया है। पन्नू के खिलाफ गैर कानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम व आइपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
इस मामले को लेकर दर्ज एफआइआर में सिख फाॅर जस्टिस के खालिस्तानी आतंकवादी संगठनों के साथ संबध्ंा की बात कही गयी है। प्राथमिकी में यह भी दावा किया गया है कि अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, जर्मनी आदि देशों में भातीरय मिशनों के बाहर प्रदर्शन सहित भारत सरकार के खिलाफ अभियान और प्रचार के लिए विदेश से भारी मात्रा में धन एकत्र किया जा रहा है। यह भी उल्लेख किया गया है कि संग्रहित धन को भारत एनजीओ के माध्यम से खालिस्तान हितैषी तत्वों को भेजा जा रहा है ताकि वे आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे सकें।
प्राथमिकी में यह भी उल्लेख है कि सिख फाॅर जस्टिस ने सरकारी व निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से बड़े पैमाने पर उपद्रवी गतिविधियों की योजना बनायी है। साथ ही लोगों के जीवन के लिए आवश्यक चीजों की आपूर्ति व सेवाओं को बाधित करने की भी योजना बनायी गयी है।
इस सप्ताह के शुरुआत में भी किसान आंदोलन व कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से अटाॅर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि सरकार के पास यह सूचना है कि आंदोलन में एक खालिस्तानी समूह शामिल हो गए हैं।
सिरसा ने खुद को भेजे गए सम्मन पर कह है कि किसानों के लिए काम करने वालों को यह आतंकित करने का प्रयास है, लेकिन हम इससे प्रभावित होने वाले नहीं हैं। उन्होंने कहा कि 26 जनवरी को किसान परेड की टालने के लिए एनआइए दिन रात काम कर रही है। सरकार इस विरोध को बदनाम करने पर तुली हुई है।
उधर, संयुक्त किसान मोर्चा ने एक प्रेस बयान जारी कर कहा है कि एनआइए द्वारा आंदोलनकारियों को भेजे गए नोटिसों के बारे में शिकायत की गयी थी। मंत्रियों ने इस पर विचार करने का आश्वासन दिया था, हालांकि इसके बावजूद फिर नोटिस मिलना सरकार की बेशर्मी को दर्शाता है। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि इन नोटिसों को लेकर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।