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ठीक संसदीय प्रणाली की तर्ज पर पहले दिन चली 'किसान संसद', नए कृषि कानूनों को किया रद्द तो एपीएमसी पर भी हुई चर्चा

Janjwar Desk
23 July 2021 2:31 AM GMT
ठीक संसदीय प्रणाली की तर्ज पर पहले दिन चली किसान संसद, नए कृषि कानूनों को किया रद्द तो एपीएमसी पर भी हुई चर्चा
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संसदीय प्रणाली की तर्ज पर पहले दिन चली 'किसान संसद'

इस संसद में एक ओर जहां तीनों कृषि कानूनों को रद्द किया गया तो दूसरी ओर केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी के किसानों को लेकर की गई विवादित टिप्पणी को लेकर उनके विरुद्ध निंदा प्रस्ताव पारित किया गया..

जनज्वार। दिल्ली के जंतर मंतर पहुंचे किसानों ने पहले दिन ठीक संसदीय प्रणाली की तर्ज पर अपनी 'किसान संसद' लगाई। इस संसद में एक ओर जहां तीनों कृषि कानूनों को रद्द किया गया तो दूसरी ओर केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी के किसानों को लेकर की गई विवादित टिप्पणी को लेकर उनके विरुद्ध निंदा प्रस्ताव पारित किया गया।

लगभग 6 महीने के अंतराल के बाद दिल्ली पहुंचे किसानों ने 'किसान संसद' को तीन सत्रों में संचालित किया और पहले दिन सबसे ज्यादा चर्चा एपीएमसी को लेकर हुई। किसान नेताओं ने कहा कि हमारी किसान संसद में जो प्रस्ताव पास हुआ है उसे कानूनी मुहर वाली संसद को भेजा जाएगा।

पहले दिन किसान संसद में तीनों बिल वापस लेने और रद्द करने की मांग दोहराई गई। इस दौरान कृषकों ने कहा कि 'किसान संसद' से पास होने वाले प्रस्ताव किसानों के हैं जो संसद भवन के बाहर लगी है। सरकारी मोहर लगाकर यह संसद बनी है और बैरिकेडिंग के भीतर है। भारत सरकार ने जो तीन काले कानून बनाए हैं, यह किसान संसद उनको रद्द करती है। यह प्रस्ताव हमारा यहां से जाएगा।

किसान संसद का संचालन छह अध्यक्ष मंडल के सदस्यों ने किया। किसान संसद में 45 वक्ताओं ने अपनी बातें रखीं। पहले सत्र की अध्यक्षता हन्नान मोल्लाह और डिप्टी स्पीकर के तौर पर मनजीत राय ने की।

पहले सत्र में आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों को श्रद्धांजलि देने के साथ किसान संसद की शुरुआत की गई। फिर कृषि उपज समिति (एपीएमसी), किसान मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक और आवश्यक वस्तु विधेयक पर चर्चा हुई। केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी की आंदोलनकारी किसानों पर की गई टिप्पणी को लेकर 'किसान संसद' में निंदा प्रस्ताव पारित किया गया।

किसान संसद को संबोधित करते हुए किसान नेता सुखदेव सिंह ने कहा "यह किसानों की बनाई संसद है। एक आपकी चल रही है और दूसरी संसद हमारी। लंबे समय से तीनों कृषि कानूनों को वापस करने की मांग कर रहे हैं। यह लड़ाई सबकी है। तीनों काले कानून रद्द किए जाएं।"

इस बीच भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि जब तक संसद का मानसून सत्र चलेगा, तभी तक किसानों की संसद भी बाहर चलेगी। किसान तभी वापस जाएंगे, जब कृषि कानूनों को रद्द किया जाएगा। टिकैत ने कहा कि अब सरकार की मर्जी है, वह जब चाहे बातचीत शुरू कर सकती है। किसान बातचीत से कभी पीछे नहीं हटे थे और वह हमेशा बातचीत के लिए तैयार हैं। यह आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा है और इस तरह ही चलता रहेगा।

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