किसान आंदोलन: धरना स्थल से नाबालिग को शादी का झांसा दे अमृतसर में बनाया बंधक
(पीड़िता ने बताया कि वह अमृतसर में हैं, पुलिस जब परिवार वालों के साथ अमृतसर में बच्ची के बताए स्थान पर पहुंची तो आरोपी फरार हो गया था। प्रतीकात्मक तस्वीर)
जनज्वार ब्यूरो/चंडीगढ़। एक बार फिर से किसान आंदोलन शर्मसार कर रहा है। इस बार पंजाब के एक युवक ने नाबालिग को शादी का झांसा देकर अमृतसर ले गया। वहां नाबालिग को बंधक बना कर रखा गया। पीड़िता के परिवार ने पुलिस को शिकायत की। इसके बाद लड़की को खोजा गया। कुंडली थाना प्रभारी ने रवि कुमार ने बताया कि मामले की जांच चल रही है। पीड़ित को कोर्ट के सामने पेश कर बयान कराए जाएंगे। आरोपी युवक अभी फरार है।
कर्ण नामक युवक आंदोलन में शामिल था। कुंडली बॉर्डर पर उसने पीड़िता से पहले दोस्ती की, फिर शादी का झांसा देकर उसे अपने साथ पंजाब ले गया। वहां उसने बच्ची को बंधक बना लिया। दूसरी ओर जब बच्ची लापता हो गई तो परिवार वाले उसकी चिंता करने लगे। खोजबीन की तो उसका पता नहीं चला। परिजनों ने पुलिस में शिकायत दी। चार दिन बाद बच्ची ने खुद काल कर परिजनों को घटना की जानकारी दी।
पीड़िता ने बताया कि वह अमृतसर में हैं, पुलिस जब परिवार वालों के साथ अमृतसर में बच्ची के बताए स्थान पर पहुंची तो आरोपी फरार हो गया था। पुलिस बच्ची को लेकर आ गई है।
इस घटना की हालांकि संयुक्त किसान मोर्चा ने निंदा की है। पर क्योंकि जिस तरह से एक के बाद एक घटना सामने आ रही है, इससे आम आदमी का आंदोलन से विश्वास कम होता जा रहा है। इससे पहले पिछले माह पश्चिम बंगाल की युवती का यौन उत्पीड़न हुआ था। इसके बाद उसकी मौत हो गई थी। इस माह एक किसान को धरना स्थल पर जिंदा जला दिया गया था।
यह घटना अभी सुर्खियों में थी कि एक और घटना सामने आ गई है। युवा किसान मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष प्रमोद चौहान (आंदोलन में शामिल नहीं है) ने बताया कि आंदोलन को साफ सुथरा रखना किसान नेताओं की जिम्मेदारी है। इसमें किसान नेता असफल साबित हो रहे हैं। अपराध की एक दो नहीं बल्कि लगातार वारदात हो रही है।
प्रमोद चौहान ने बताया कि गांधी जी जब आंदोलन करते थे, एक भी गलत हरकत बर्दाश्त नहीं करते थे। किसान नेता यदि आंदोलन को लंबा चलाना चाहते हैं तो उन्हें सोचना चाहिए कि धरना स्थल पर कोई अप्रिय घटना न होने पाए। क्योंकि जो भी लोग धरने पर आ रहे हैं, वह किसान नेताओं पर यकीन करके ही आ रहे हैं। इस तरह से किसानों का विश्वास ही आंदोलन से हट जाएगा। यदि ऐसा होता है तो आंदोलन है किसके लिए? यह किसान नेताओं को सोचना होगा।
कृषि विशेषज्ञ और अर्थशास्त्र के पूर्व प्रोफेसर डाक्टर सुमेर सिंह ने बताया कि आंदोलन में जो भी हो रहा है, वह दुखद है। इस तरह की घटनाएं नहीं होनी चाहिए। संयुक्त किसान मोर्चा सिर्फ निंदा कर अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकता है।
किसान नेताओं को दोबारा से सोचना चाहिए कि आंदोलन में आए लोगों की सुरक्षा को लेकर उनकी रणनीति क्या है? ऐसा नहीं है कि वह हर घटना के लिए पुलिस या सरकार को जिम्मेदार ठहरा कर पल्ला झाड़ लेंगे।
पश्चिम बंगाल की युवती के यौन उत्पीड़न और उसकी मौत के बाद यह सवाल उठा था कि धरना स्थल पर महिलाओं की सुरक्षा के लिए क्या इंतजाम है। महिला आयोग ने भी इस पर संज्ञान लिया था। इसके बाद भी महिलाओं की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए हैं। इसमें गलती किसान नेताओं की है।
प्रमोद चौहान ने बताया कि आंदोलन में बड़ी संख्या में महिला किसान शामिल है। वह किसानों को अपना समर्थन दे रहे हैं, इसलिए उनकी सुरक्षा का ख्याल रखना किसान नेताओं की नैतिक जिम्मेदारी बन जाता है।
प्रमोद चौहान का मानना है कि इस तरह की घटनाओं से अब आंदोलन को ग्रामीणों को समर्थन नहीं मिल रहा है। 16 जून को कसार गांव के किसान मुकेश 42 की जलने की वजह से मौत हो गई थी। घटना में चार लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज है। इस घटना से कसर और आस पास के ग्रामीण आंदोलन के खिलाफ हो गए हैं। उन्होंने मांग की है कि आंदोलनकारियों को गांव से दूर किया जाए। इससे साफ हो रहा है कि जो घटनाएं हो रही है,इसका असर आंदोलन पर भी पड़ रहा है। इससे आंदोलन भी कमजोर होगा।
हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज का कहना है कि आंदोलन में पहले ही दिन से कुछ शरारती तत्व सक्रिय है। अब आंदोलन किसानों के लिए नहीं है, यहां शरारती तत्व जुट गए हैं। जो आंदोलन की आड़ में गड़बड़ी कर रहे हैं। हम हर घटना पर नजर रखे हुए हैं। किसी को भी गलत करने की इजाजत नहीं दी जाएगी। जो घटनाएं सामने आई, पुलिस ने तेजी से उन पर काम किया है।