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PM मोदी का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बुक्सा जनजाति की महिलाओं की समस्याएं सुनना महज चुनावी स्टंट, बीरपुर-लच्छी की पीड़िताओं से बात न करने पर उठा सवाल

Janjwar Desk
15 Jan 2024 11:25 AM GMT
PM मोदी का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बुक्सा जनजाति की महिलाओं की समस्याएं सुनना महज चुनावी स्टंट, बीरपुर-लच्छी की पीड़िताओं से बात न करने पर उठा सवाल
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आरोप लग रहे हैं कि बुक्सा जनजाति की दो दर्जन से भी अधिक महिलाओं ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र भेजकर निवेदन किया था कि 15 जनवरी को ऑनलाइन कॉन्फ्रेंसिंग में उनके गांव की महिलाओं से भी बात कर वह उनकी समस्याओं को सुनें। PM मोदी ने पीड़ित महिलाओं की बात सुनने की जगह ऐसी महिलाओं को बातचीत के लिए चुना, जो कि उनका गुणगान करें...

रामनगर। उत्तराखण्ड के रामनगर के लोगों के बीच काम करने वाले सामाजिक संगठन महिला एकता मंच ने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा बुक्सा जनजाति की महिलाओं से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से उनकी समस्याएं सुने जाने के मामले को महज एक चुनावी स्टंट करार दिया है।

मंच की संयोजक ललिता रावत ने कहा कि बुक्सा जनजाति की दो दर्जन से भी अधिक महिलाओं ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र भेजकर निवेदन किया था कि 15 जनवरी को ऑनलाइन कॉन्फ्रेंसिंग में उनके गांव की महिलाओं से भी बात कर वह उनकी समस्याओं को सुनें। ललिता रावत ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने पीड़ित महिलाओं की बात सुनने की जगह ऐसी महिलाओं को बातचीत के लिए चुना, जो कि उनका गुणगान करें।

बकौल ललिता रावत, 10 वर्ष पूर्व कांग्रेस के दर्जाधारी मंत्री सोहन सिंह और उसके गुर्गों ने आदिवासी बुक्सा जनजाति के लोगों के गांव में घुसकर तीन घरों में आग लगा दी थी तथा फायरिंग कर महिलाओं व ग्रामीणों को बंदूक की बटों व लाठी-डंडों से बुरी तरह हमला किया था। घटना के फोटो, वीडियो व पर्याप्त साक्ष्य मौजूद होने के बावजूद भी सभी आरोपी न्यायालय द्वारा छोड़ दिए गए।

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा बुक्सा जनजाति की महिलाओं से बातचीत की पहल किए जाने पर बुक्सा जनजाति की महिलाओं को उम्मीद बनी थी कि प्रधानमंत्री पीड़ित महिलाओं को न्याय दिए जाने के लिए आवश्यक कार्रवाई करेंगे, मगर प्रधानमंत्री ने बुक्सा जनजाति की पीड़ित महिलाओं से बातचीत करना पसंद नहीं किया। इससे स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री द्वारा बातचीत का कार्यक्रम जनजाति के वोट बटोरने के लिए मात्र एक चुनावी स्टंट ही था। उन्होंने कहा कि आरोपियों को सजा दिलाने के लिए हमारा संघर्ष जारी रहेगा।

गौरतलब है कि इससे पहले महिला एकता मंच ने एक ज्ञापन के माध्यम से वीरपुर लच्छी की बुक्सा जनजाति की महिलाओं की तरफ से प्रधानमंत्री मोदी से अपील की थी कि वह दबंगों द्वारा प्रताड़ित की गयीं बुक्सा जनजाति की महिलाओं से बातचीत करें। महिला एकता मंच ने प्रधानमंत्री मोदी से निवेदन किया था, समाचार पत्रों से हमें जानकारी प्राप्त हुयी है कि आगामी 15 जनवरी को आपके द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग के माध्यम से उत्तराखंड की बुक्सा जनजाति व वनराजि जनजाति समाज की महिलाओं से बातचीत की जाएगी तथा बातचीत के माध्यम से आप जनजाति समाज की समस्याओं को जानेंगे। आपके इस निर्णय का हम स्वागत करते हैं। इस सम्बन्ध में हम भी बुक्सा जनजाति समाज की समस्या से आपको अवगत कराना चाहते हैं कि 1 मई 2013 को खनन व्यवसायी व कांग्रेस के पूर्व दर्जाधारी मंत्री सोहन सिंह व उसके पुत्र देवेन्द्रपाल सिंह, सुमितपाल सिंह तथा अन्य दर्जनों लोग हमारे बुक्सा जनजाति बहुल गांव वीरपुर लच्छी, तहसील रामनगर जिला नैनीताल (उत्तराखंड) में शाम के समय बंदूकों, लाठी-डंडों से लैस होकर गांव में घुस आये थे। वहां पर इनके द्वारा हमारी 3 झोपड़ियों में आग लगा दी गयी तथा बंदूकों से फायरिंग कर महिलाओं एवं ग्रामीणों को बंदूक की बटों तथा लाठी-डंडों से बुरी तरह मारा गया। जिसमें आधा दर्जन से भी अधिक महिलाएं व ग्रामीण घायल हो गये थे जिन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भी भर्ती कराना पड़ा था।

10 वर्ष बाद भी अभी तक बुक्सा जनजाति समाज की हम महिलाओं को न्याय नहीं मिला है। ताकतवर एवं ऊंची पहुंच के कारण सभी आरोपी जिला एवं सत्र न्यायालय द्वारा छोड़ दिये गये हैं। जबकि घटना के फोटो, वीडियो व अन्य सभी साक्ष्य मौजूद हैं। आपके द्वारा जनजाति समाज की महिलाओं से बातचीत की पहल किए जाने की खबर पढ-सुनकर हमें न्याय की उम्मीद बनी है। अतः हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि आप आगामी 15 जनवरी, 2024 को हमारे बुक्सा जनजाति बहुल वीरपुर लच्छी गांव की महिलाओं को भी अपनी बातचीत में शामिल करें तथा हमारी समस्याएं भी सुनें, ताकि इन पीड़िताओं को न्याय मिल सके।

मगर अपील किये जाने के बावजूद प्रधानमंत्री मोदी द्वारा बीरपुर लच्छी की बुक्सा जनजाति से ताल्लुक रखने वाली पीड़िताओं से वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये बातचीत नहीं की गयी, ये महिलायें अपनी तकलीफ—दर्द प्रधानमंत्री मोदी को सुनाना चाहती थीं।

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