Price Hike : अब खाने की प्लेट से गायब होने लगी दालें, आटा-चावल के बाद 42 दिन में 15% महंगे हुए इसके दाम
Inflation : सितंबर में लोगों की जेबें पहले से ज्यादा हुईं ढीली, 7.41% तक पहुंची महंगाई
Price Hike : देश की जनता महंगाई ( inflation ) से परेशान है और मोदी सरकार बहाने बनाने में मशगूल है। बढ़ती महंगाई ने पहले ही आम आदमी के रसोई का बजट बिगाड़ कर रखा है। दूध-सब्जियों से लेकर गैस-तेल तक सब महंगे हुए हैं। अब दाल की कीमतें में तेजी ने लोगों की जेब के खर्च को और बढ़ा दिया है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक महज 6 हफ्ते में ही उड़द और तुअरके दाम 15 फीसदी तक बढ़ गए हैं। अगर महंगाई में बढ़ोतरी का यही हाल रहा तो गरीब क्या मध्यवर्गीय लोगों की पहुंच से दाल ( Pulses ) भी दूर हो सकता है। यानि वो नियमित रूप से पहले की तरह दाल का सेवन नहीं कर पाएंगें।
दरअसल, लोगों की रसोई में रोजाना के खाने में आलू या टमाटर जैसी सब्जियों के अलावा दाल भी शामिल है। ऐसे में इनकी कीमतों में वृद्धि सीधे तौर पर रसोई के खर्च में इजाफा करती है। कृषि मंत्रालय की ओर से जारी ताजा बुवाई के आंकड़ों के मुताबिक अरहर का रकबा एक साल पहले की तुलना में 4.6 फीसदी कम हुआ, जबकि उड़द के रकबे में 2 फीसदी की कमी देखने को मिली है।
दलहन फसलों को हुए नुकसान ने बढ़ाई चिंता
केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने जो डाटा पेश किया है उसके मुताबिक पिछले 6 हफ्तों में ही अरहर दाल और उड़द दाल की कीमतों में 15 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है। साथ ही बारिश और जलजमाव के कारण दलहन फसलों को हुए नुकसान ने स्थिति को और खराब कर दिया है। दाल की कीमतों में तेजी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि महाराष्ट्र के लातूर में अच्छी गुणवत्ता वाली अरहर दाल की एक्स मिल कीमत डेढ़ महीने पहले 97 रुपए प्रति किलो बिक रही थी, जो अब बढ़कर 115 रुपए प्रति किलोग्राम हो गई है।
महाराष्ट्र में दालों के आयातक हर्षा राय की मानें तो फिलहाल, तुअर में फंडामेंटल मजबूती दिखाई दे रही है। कोई बड़ा कैरी ओवर स्टॉक नहीं है। हमें अफ्रीका से अगस्त-सितंबर 5 लाख टन की खेप की उम्मीद है। अधिक बारिश से उड़द की फसल को ज्यादा नुकसान हो सकता है। आयात की संभावना के चलते आपूर्ति में दबाव कम ही है।
लगभग सभी खाद्य वस्तुओं के बढ़े दाम
केवल दाल की कीमतों में ही नहीं, बल्कि एक साल में खाने-पीने की सभी वस्तुओं की कीमतों में जबर्दस्त इजाफा देखने को मिला है। सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद कीमतें काबू में आती नहीं दिख रही है। हाल ये है कि दूध, दही, नमक हो या फिर गेहूं, आंटा, चावल सालभर में सभी के दाम बढ़े हैं। यहां तक कि नमक का भी भाव बढ़ गया है।
महंगाई कम होने की गुंजाइश बहुत कम
उपभोक्ता मंत्रालय के आंकडों के मुताबिक एक साल पहले चावल का औसत भाव 34.86 रुपए किलो था, जो अब 37.38 रुपए हो गया है। गेहूं 25 रुपए से 30.61 रुपए, जबकि आटा 29.47 से 35 रुपए प्रति किलो हो गया। दूध की कीमत 48.97 से बढ़कर 52.41 रुपए लीटर हो गया है। भारतीय रिजर्व बैंक के एक अनुमान के मुताबिक अभी भी खुदरा महंगाई की दर 6 फीसदी से ऊपर ही रहेगी।