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पंजाब

मोदी के कृषि विधेयक के विरोध में जहर खाने वाले किसान की मौत, किसान संगठनों ने घोषित किया पहला शहीद

Janjwar Desk
19 Sep 2020 3:14 AM GMT
मोदी के कृषि विधेयक के विरोध में जहर खाने वाले किसान की मौत, किसान संगठनों ने घोषित किया पहला शहीद
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पंजाब में प्रकाश सिंह बादल के घर के बाहद प्रदर्शन कर रहे किसानों में एक प्रीतम सिंह की जहर खाने से शुक्रवार रात मौत हो गई। किसानों ने उन्हें शहीद घोषित कर मोदी सरकार के कृषि विधेयक के खिलाफ आंदोलन और तेज करने का ऐलान किया है...

जनज्वार। नरेंद्र मोदी सरकार के कृषि संबंधी विधेयकों का विरोध जताने के लिए पंजाब में शुक्रवार को जहर खाने वाले एक किसान की मौत हो गई। पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के घर के बाहर धरने पर बैठे अक्कावाली गांव के किसान प्रीतम सिंह ने अपना विरोध जताने के लिए गुस्से में जहर खा लिया था, जिसके बाद उन्हें इलाज के लिए बठिंडा अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी मौत हो गई।

पंजाब के किसान संगठनों ने किसान 60 वर्षीय प्रीतम सिंह को कृषि विधेयक विरोधी आंदोलन का पहला शहीद घोषित किया है। नरेंद्र मोदी सरकार ने गुरुवार को लोकसभा में अपने बहुमत के दम पर दो कृषि संबंधी विधेयकों कृषक उपज (व्यापार और वाणिज्य) संवर्द्धन और सरलीकरण विधयेक 2020 व किसानों (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) का मूल्य आश्वासन अनुबंध एवं कृषि सेवाएं विधेयक, 2020 को पारित करवाया है जिससे किसानों का गुस्सा देश में बढ गया। खासकर पंजाब व हरियाणा में उसके खिलाफ संगठित प्रदर्शन हो रहे हैं। छत्तीसगढ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस संबंध में कहा है कि अभी पंजाब और हरियाणा में किसानों का विरोध प्रदर्शन हो रहा है लेकिन जल्द ही यह पूरे देश में शुरू हो जाएगा।


कृषि बिल का विरोध जताते हुए मोदी सरकार से शिरोमणि अकाली दल अलग हो गई है। केंद्रीय मंत्री पद से हरसिमरत कौर बादल ने इस्तीफा दे दिया है। वहीं, पार्टी नेता सुखबीर सिंह बादल ने कहा है कि यह भी फैसला लिया जाएगा कि एनडीए में रहना है या उसे छोड़ देना है।

स्वराज इंडिया के नेता योेगेंद्र यादव ने हरसिमरत कौर बादल के इस्तीफे को किसानों की लड़ाई की पहली जीत करार दिया है। उन्होंने कहा है कि यह कृषि क्षेत्र में कंपनी राज के खिलाफ किसानों के संघर्ष का निर्णायक मोड़ है।


कृषि बिल पर घिरे मोदी ने खुद संभाला मोर्चा

17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि बिल का विरोध जताने वालों का यह सलाह दी कि किसानों को बहकाया जा रहा है और हकीकत जानने के लिए लोग कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का संसद में दिया गया भाषण देखें व सुनें। पर, 18 सितंबर को किसानों व सिविल सोसाइटी का विरोध प्रदर्शन तेज होने के बाद खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी न मोर्चा संभाल लिया। उन्होंने कृषि बिल को लेकर अपना वीडियो संदेश जारी किया और सरकार के कदमों का बचाव करते हुए सालों तक देश में शासन करने वालों की आलोचना की।


प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि वे किसानों को यह संदेश देना चाहते हैं कि वे किसी भ्रम में नहीं पड़ें। इन लोगों से किसान सतर्क रहें। ऐसे लोगों से सावधान रहें जिन्होंने दशकों तक देश पर राज किया और जो किसानों से झूठ बोल रहे हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग किसानों की रक्षा का ढिंढोरा पीट रहे हैं, लेकिन वास्तव में वे किसानों को अनेक बंधनों में जकड़ कर रखना चाहते हैं। वो लोग बिचैलियों का साथ दे रहे हैं, वे लोग किसानों की कमाई को बीच में लूटने वालों का साथ दे रहे हैं।

मोदी ने कहा कि कोई व्यक्ति अपना उत्पाद दुनिया में कहीं बेच सकता है लेकिन हमारे किसान भाई-बहन इससे वंचित हैं। अब नया प्रावधान लागू होने के कारण किसान अपनी फसल को देश के किसी भी बाजार में अपनी मनचाही कीमत पर बेच सकेंगे। उन्होंने कहा कि एमएसपी और सरकारी खरीद जारी रहेगी।



कृषि बल के विरोध में कांग्रेस तो पक्ष में भाजपा चलाएगी अभियान

मोदी सरकार के कृषि विधेयक के खिलाफ कांग्रेस राष्ट्रव्यापी आंदोलन चलाएगी। कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने एक प्रेस कान्फ्रेंस में कहा है कि कुरुक्षेत्र के धर्मयुद्ध में सेनाएं आमने-सामने खड़ी हैं और बिसात बिछ चुकी है। किसान विरोधी नरेंद्र मोदी सरकार कौरव सेना है और पांडव इस देश के किसान व खेत मजदूर हैं। कांग्रेस पांडवों यानी किसानों के साथ खड़ी है।

कांग्रेस ने हरसिमरत कौर बादल के मोदी सरकार से बाहर होने के बाद किसानों की राजनीति करने वाले हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला भी दबाव बढा दिया है। सुरजेवाला ने कहा है कि दुष्यंत जी, या तो किसानों के साथ रहिए या कुसी के साथ, सत्ता की मलाई चुनिए या किसानों की भलाई। उन्होंने दुष्यंत से खट्टर सरकार से समर्थन वापस लेने की मांग की है और कहा कि याद करिए लोकराज लोकलाज से चलता है। मालूम हो कि हरियाणा की खट्टर सरकार दुष्यंत चौटाला के समर्थन पर टिकी है।

कांग्रेस अन्य दलों के साथ वार्ता कर कृषि बिल के खिलाफ आंदोलन खड़ा करेगी। वहीं, भाजपा इस बिल के विरोध पर किसी दबाव में कदम पीछे खींचने को तैयार नहीं है। भाजपा इस बिल के पक्ष में अपना देशव्यापी अभियान चलाएगी।

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