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Railway News : तो 31 मई को देशभर में नहीं चलेगी रेल, 35000 स्टेशन मास्टरों ने क्यों लिया हड़ताल पर जाने का फैसला?

Janjwar Desk
29 May 2022 5:41 AM GMT
Railway News : तो 31 मई को देशभर में नहीं चलेगी रेल, 35000 स्टेशन मास्टरों ने क्यों लिया हड़ताल पर जाने का फैसला?
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Railway News : यूं तो स्टेशन मास्टरों की शिफ्ट आठ घंटे की होती है, लेकिन स्टाफ की कमी की वजह से इन्हें हर रोज 12 से 14 घंटे की शिफ्ट करनी पड़ती है। जिस दिन स्टेशन मास्टर का साप्ताहिक अवकाश होता है उस दिन दूसरे स्टेशन से कर्मचारी बुलाना पड़ता है।

Railway News : केंद्र सरकार ( Central Government ) ने समय रहते कोई उपाय नहीं किया तो 31 तारीख यानि मंगलवार को देश की धड़कन भारतीय रेल ( Indian Rail ) सेवा को स्टेशन मास्टर ( Station Master ) ठप कर देंगे। देशभर के स्टेशन मास्टरों ने मंगलवार को सरकार के रवैये के खिलाफ मास लीव पर जाने का फैसला लिया है। यानि 31 मई को स्टेशन मास्टर स्ट्राइक ( Station master Strike ) पर रहेंगे। यदि ऐसा हुआ तो तय है कि मंगलवार को रेल के पहिए थम सकते हैं। यह अपने आप में बड़ी घटना होगी।

भारतीय रेल ( Indian Railways ) का पहिया थमने की मुख्य वजह देश के सभी स्टेशन मास्टरों (Station Master) का हड़ताल (Mass Leave) पर जाने का ऐलान है। रेलवे की उदासीनता की वजह से देशभर के लगभग 35 हजार स्टेशन मास्टरों ने रेलवे बोर्ड ( Railway Board ) के सीईओ को एक नोटिस थमा दिया है। इसमें आगामी 31 मई को हड़ताल यानि सामूहिक अवकाश ( Sation Masters mass leave ) पर जाने की बात कही गई है।

हड़ताल की जिद पर क्यों अड़े स्टेशन मास्टर

इस बारे में ऑल इंडिया स्टेशन मास्टर्स एसोसिएशन (All India Station Masters Association) के अध्यक्ष धनंजय चंद्रात्रे का कहना है कि उनके पास सामूहिक अवकाश (Mass Leave of Railway Station Master) पर जाने के अलावा कोई चारा नहीं है। पूरे देश में इस समय 6,000 से भी ज्यादा स्टेशन मास्टरों की कमी है। रेल प्रशासन (Railway Administration) इस पद पर भर्ती नहीं कर रहा है। इस वजह से इस समय देश के आधे से भी ज्यादा स्टेशनों पर महज दो स्टेशन मास्टर पोस्टेड हैं। यूं तो स्टेशन मास्टरों की शिफ्ट आठ घंटे की होती है, लेकिन स्टाफ की कमी की वजह से इन्हें हर रोज 12 घंटे की शिफ्ट करनी होती है। जिस दिन किसी स्टेशन मास्टर का साप्ताहिक अवकाश होता है, उस दिन किसी दूसरे स्टेशन से कर्मचारी बुलाना पड़ता है। ऐसे में यदि किसी स्टाफ की तबियत खराब हो जाए या उनके घर में कोई इमर्जेंसी हो जाए तो चिल्लपों मच जाती है।

अचानक नहीं लिया स्ट्राइक पर जाने का फैसला

स्टेशन मास्टर एसोसिएशन ने यह निर्णय अचानक लिया है। यह निर्णय लंबे संघर्ष के बाद लिया गया है। वह भी तब जब रेल प्रशासन ने उनकी मांगों को नहीं माना। स्टेशन मास्टर्स ने कई चरणों में अपनी समस्याओं से रेलवे बोर्ड को अवगत कराया। इनमें :

- पहले चरण में एस्मा (AISMA) के पदाधिकारियों ने रेलवे बोर्ड के अधिकारियों को ई-मेल भेजकर विरोध जताया।

- दूसरे चरण में पूरे देश के स्टेशन मास्टरों ने 15 अक्टूबर 2020 को रात्रि ड्यूटी शिफ्ट में स्टेशन पर मोमबत्ती जलाकर विरोध प्रदर्शन किया। ?

- तीसरे चरण का विरोध प्रदर्शन 20 अक्टूबर से 26 अक्टूबर 2020 तक एक सप्ताह तक चला। स्टेशन मास्टरों ने इस चरण में काला बैज लगाकर ट्रेनों का संचालन किया।

- चौथे चरण में सभी स्टेशन मास्टर 31 अक्टूबर 2020 को एक दिवसीय भूख हड़ताल पर रहे। — पांचवे चरण में हर डिवीजनल हेड क्वार्टर के सामने प्रदर्शन किया।

- छठवें चरण में सभी संसदीय क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन सौंपा गया। रेल मंत्री को ज्ञापन सौंपा गया।

- सांतवें चरण रेल राज्य मंत्री से मुलाकात करके समस्याओं से अवगत करवाया। इसके बावजूद अभी तक स्टेशन मास्टरों की सभी डिमांड पेंडिंग ही है।

Railway News : ये हैं स्टेशन मास्टरों की मांगें

स्टेशन मास्टरों ( Station masters ) की मांग की सूची रेलवे बोर्ड के सीईओ को भेज दी गई है। इन मांगों में शामिल हैं।

1. रेलवे में सभी रिक्तियों को शीघ्र भरा जाना।

2. सभी रेल कर्मचारियों को बिना किसी अधिकतम सीमा के रात्रि ड्यूटी भत्ता बहाल करना।

3. स्टेशन मास्टरों के संवर्ग में एमएसीपी का लाभ 16.02.2018 के बजाय 01.01.2016 से प्रदान करना।

4. संशोधित पदनामों के साथ संवर्गों का पुनर्गठन करना।

5. ट्रेनों के सुरक्षित और समय पर चलने में उनके योगदान के लिए स्टेशन मास्टरों को सुरक्षा और तनाव भत्ता देना।

6. रेलवे का निजीकरण एवं निगमीकरण रोकना।

7. न्यू पेंशन स्कीम बंद करके पुरानी पेंशन स्कीम लागू की जाना।

8. स्टेशन मास्टरों से मानकों के अनुरूप आठ घंटे ड्यूटी लेना।


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