EXCLUSIVE : चीन के लिए जासूसी करने के आरोपी पत्रकार राजीव शर्मा का है RSS के विवेकानंद फाउंडेशन से गहरा रिश्ता?
राजेश पांडेय की रिपोर्ट
जनज्वार। चीनी हैण्डलरों को गोपनीय जानकारियां देने के मामले में गिरफ्तार पत्रकार राजीव शर्मा एक रहस्यमय व्यक्तित्व का स्वामी रहा है। मीडिया में अबतक जो खबरें सामने आईं हैं, उससे राजीव शर्मा के कई संगठनों से जुड़ाव की बातें धीरे-धीरे सामने आ रही हैं। राजीव शर्मा के संबन्ध में मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट्स के आधार पर उसकी एक ऐसी क्षवि बनती है, जो कई तरह के रहस्यों के आवरण से ढंकी हुई है।
मीडिया में इस तरह की खबरें भी सामने आ रही हैं कि वैसे तो उसने अपनी क्षवि एक प्रो-कांग्रेस टाइप पत्रकार की थी, पर या तो उसका जुड़ाव ऐसे संगठनों से भी था, जो बीजेपी-आरएसएस से जुड़ी मानी जाती हैं, या फिर वह ऐसे संगठनों से जुड़ाव के दावे किया करता था।
ऐसी खबरें भी सामने आईं हैं, जिनमें कहा गया है कि राजीव शर्मा 'विवेकानंद फाउंडेशन' से भी जुड़ा हुआ था। 'द हिन्दू.कॉम', 'पीगुरुज. कॉम' तथा 'जनता के रिपोर्टर. कॉम' आदि ने ऐसी खबरें प्रकाशित की हैं। हालांकि इन वेबसाइटों की खबरों में एक बात समान है कि इनमें राजीव शर्मा के विवेकानंद फाउंडेशन से जुड़ाव का आधार वेबसाइट 'रेडिफमेल.कॉम' पर उसके लिखे एक पुराने लेख में उसके परिचय के रूप में विवेकानंद फाउंडेशन से जुड़ाव की बात को बनाया गया है। 'द हिन्दू' और 'पीगुरुज' वेबसाइट पर प्रकाशित खबरें यह दावा भी कर रहीं हैं कि राजीव शर्मा की गिरफ्तारी के बाद विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन से राजीव शर्मा के जुड़ाव वाली वेबपेज को हटा दिया गया है।
विकिपीडिया पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन के संस्थापक अध्यक्ष वर्तमान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार यानि देश के NSA अजित डोभाल थे। विकिपीडिया बताता है कि विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन की स्थापना दिसंबर 2009 में नई दिल्ली के चाणक्यपुरी में की गयी थी। चाणक्यपुरी में जिस स्थान पर इसका कार्यालय बनाया गया था, वह साल 1993 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हाराव की सरकार द्वारा आबंटित किया गया था। साल 2005 में इंटेलिजेंस ब्यूरो से रिटायर हुए अजित डोवाल इसके संस्थापक प्रेसिडेंट बने थे। साल 2014 में अजित डोवाल को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बना दिया गया था।
वेबसाइट PGURUS पर पुराने पत्रकारों के हवाले से राजीव शर्मा को लेकर एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई है। इस रिपोर्ट में लिखा गया है 'पत्रकारों के बीच राजीव शर्मा की क्षवि एक ऐसे पत्रकार की थी, जो प्रो-कांग्रेस था, पार्टी के लिए आर्टिकल लिखता था और पार्टी के लिए मीडिया मैनेजमेंट का काम देखता था। लेकिन वर्ष 2014 से वह अजित डोवाल के साथ निकटता के दावे करता था।'
विदेश संबन्धी मामलों का कवरेज करने वाले एक वरिष्ठ पत्रकार के हवाले से वेबसाइट ने लिखा है 'राजीव शर्मा पत्रकारों के बीच यह दिखाने की कोशिश करता था कि वह एनएसए अजित डोवाल के बहुत निकट है। बात-बात में कहा करता था कि मिस्टर उनसे अभी उसकी मुलाकात हुई है और वह उनकी बातों को वहां पहुंचा देगा। उस वरिष्ठ पत्रकार के हवाले से यह भी लिखा गया है कि शर्मा विभिन्न दूतावासों द्वारा आयोजित की जानेवाली पार्टियों में जाने के लिए बहुत उतावला रहता था तथा पिछले 12 वर्षों में उसने कई देशों की यात्राएं की हैं।
वेबसाइट 'पीगुरुज' ने लिखा है "राजीव शर्मा 'विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन' द्वारा प्रकाशित की गई बुलेटिनों के लिए आर्टिकल भी लिखा करता था। आर्टिकल के लिए पाकिस्तान, चीन, मालदीव और श्रीलंका उसके मनपसंद इश्यू हुआ करते थे। पिछले वर्ष यह कहकर उसने सनसनी फैला दी थी कि पेगासस नामक सॉफ्टवेयर जासूसी का काम कर रहा है। यह कहकर उसने एक तरह से इजरायल की एजेंसियों की तरफ उंगली उठा दी थी। राजीव शर्मा ने मीडिया में यह भी दावा कर दिया था कि उसके भी फोन और व्हाट्सएप मैसेज टेप किए जा रहे हैं।"
राजीव शर्मा साल 2010 से लगातार चीन जा रहा था और वहां अधिकारियों के साथ उसकी मीटिंग हुआ करती थी। दिल्ली पुलिस के स्पेशल सेल के अधिकारियों ने उसकी गिरफ्तारी के बाद प्रेस ब्रीफिंग में कहा था 'पूछताछ के दौरान राजीव शर्मा ने स्वीकार किया है कि वह सुरक्षा जानकारियों से जुड़े गोपनीय दस्तावेज विभिन्न सोशल साइटों के माध्यम से अपने हैण्डलरों माइकल और जार्ज को दिया करता था। वह एक और गोपनीय दस्तावेज देने की तैयारी में भी था।'