कोरोना संक्रमित मृतक का अंतिम दर्शन कराने के लिए श्मशान घाट के कर्मचारियों ने मांगा 51 हजार घूस
जनज्वार। पश्चिम बंगाल के हावड़ा में कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद मृत एक व्यक्ति का परिजनों को अंतिम दर्शन कराने के लिए श्मशान घाट के कर्मियों ने 51 हजार रुपये मांगे। परिवार वालों ने जब इतनी बड़ी रकम देने से इनकार कर दिया तो बिना मृतक का चेहरा दिखाये ही शव का अंतिम संस्कार कर दिया। हालांकि शवदाह करने वालों ने आरोपों को खारिज किया है।
यह घटना सोमवार को शिवपुर श्मशान घाट की है। प्रभात खबर अखबार की खबर के अनुसार, मालीपांचघड़ा थाना अंतर्गत सलकिया बनारस रोड निवासी 64 वर्षीय एक वृद्ध को 23 जुलाई को कोलकाता स्थित मारवाड़ी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 24 जुलाई को उनकी कोरोना जांच हुई और 27 जुलाई को रिपोर्ट पाॅजिटिव आयी।
इसके बाद तबीयत में सुधार आने के बाद तीन अगस्त को अस्पताल से उन्हें छुट्टी दे दी गई और घर पर होम क्वारंटीन में रहने को कहा गया। सात अगस्त को उनकी तबीयत फिर बिगड़ी, सांस लेने में तकलीफ हुई, जिसके बाद परिवार वालों ने कोरोना कंट्रोल रूम से संपर्क किया।
इसके बाद स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी घर पहुंचे और वृद्ध को जायसवाल अस्पताल में भर्ती कराया। फिर मेडिकल स्टाॅफ ने बताया कि उनकी स्थिति गंभीर है इसलिए उन्हें दूसरे अस्पताल में भर्ती कराया जा रहा है। हालांकि अस्पताल का नाम नहीं बताया गया। आठ अगस्त को पता चला कि उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है और हालत गंभीर है।
नौ अगस्त की दोपहर को अस्पताल की ओर से परिवार को बताया गया कि मरीज की मौत हो गई। परिजनों ने पूछा कब मौत हुई तो अस्पताल ने आठ अगस्त की देर रात एक बजे मौत होने की बात कही। परिजनों ने पूछा कि मौत के तुरंत बाद सूचना क्यों नहीं दी तो मेडिकल स्टाफ ने बताया कि पेसेंट के बारे में जानकारी नहीं थी। अस्पताल ने शव को लेने के लिए अस्पताल आने से भी मना किया और कहा कि उसे शिवपुर श्मशान घाट भेज दिया गया है।
इसके बाद परिजन श्माशान घाट पहुंचे तो वहां के कर्मचारियों ने अंतिम दर्शन कराने के लिए 51 हजार रुपये मांगे, इस पर परिवार राजी नहीं हुआ। फिर श्मशान घाट के कर्मियों ने 31 हजार रुपये मांगे, लेकिन परिवार वाले पैसे देने को राजी नहीं हुए तो बिना अंतिम दर्शन कराए ही शवदाह कर दिया गया।
मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी भवानी दास ने कहा है कि इस संबंध में लिखित शिकायत नहीं मिली है, अगर लिखित शिकायत की जाएगी तो जांच होगी। दोषी पर कार्रवाई भी होगी।
वहीं, श्मशान घाट के कर्मचारी राजा मल्लिक ने कहा है कि पैसे नहीं मांगे गए हैं, यह आरोप गलत है। कोरोना संक्रमित व्यक्ति के शव को खोलने की अनुमति नहीं है। इससे हमारी जान को भी खतरा है। परिजन मृतक का चेहरा दिखाने की मांग करते हैं। जो लोग पैसे मांगने का आरोप लगा रहे हैं उन्हें मृतक का चेहरा दिखाया गया था, वे झूठ बोल रहे हैं।
वहीं, मृतक के भाई ने कहा है कि बिना हमलोगों को बताये शव को श्मशान घाट भेज दिया गया। हमनेे शवदाह गृह के कर्मचारियों से परिवार के दो सदस्यों को चेहरा दिखाने की मांग की तो पहले हमलोगों से 51 हजार और फिर 31 हजार रुपये मांगे गए। शवदाह गृह के कर्मचारियों ने पुलिस की बात भी नहीं मानी।