Rupee to Dollar : डॉलर के मुकाबले रुपया अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंचा, जानिए इसका आम आदमी पर क्या असर पड़ेगा?
डॉलर के मुकाबले रुपया पहली बार 83 के भी पार, रुपया कमजोर नहीं डॉलर मजबूत हो रहा
Rupee Fall Against Dollar : डॉलर के मुकाबले रुपया लगातार कमजोर हो रहा है। शुक्रवार को यह 8 पैसे गिरकर 77.82 के स्तर पर आ गया। रुपया पहले कभी इस स्तर पर नहीं आया था। दुनिया की प्रमुख करेंसी के मुकाबले डॉलर में मजबूती आयी है, जिसका असर रुपया पर पड़ा हैं गुरुवार को डॉलर के मुकाबले रुपया 6 पैसे गिरकर 77.74 पर बंद हुआ था।
डॉलर के मुकाबले रुपए में लगातार गिरावट का असर अर्थव्यवस्था पर पड़ने के साथ आपकी जेब पर भी पड़ सकता है। पहले से महंगाई की मार से बेहाल लोगों की मुश्किलें और बढ़ने की संभावना है। रुपया में कमजोरी से कई जरूरी चीजों की कीमतें बढ़ेंगी। इसकी वजह यह है कि इंडिया क्रूड आॅयल, दलहन, खाने के तेल सहित कई जरूरी चीजों का आयात करता है। इन चीजों का पेमेंट सरकार डॉलर में करती है।
आपको बता दें कि भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी से ज्यादा क्रूड आॅयल का आयात करता था। अब सरका को क्रूड के आयात के लिए डॉलर में ज्यादा कीमत चुकानी होगी। इसका असर सरकार के खजाने पर पड़ेगा। सरकार पहले से ही राजकोषीय दबाव का सामना कर रही है। इसलिए वेलफेयर स्क्रीम पर सरकार के खर्च में कमी जा सकती है।
रुपया के मुकाबले डॉलर के महंगा होने से लग्जरी कारों का आयात महंगा हो जाएगा। अब भारत में दुनिया की कई मशहूर लग्जरी कारों की मैन्युफैक्चरिंग नहीं होती है। ऐसे में इन्हें इंपोर्ट करना पड़ता है। रुपए में कमजोरी की वजह से लग्जरी कार खरीदने के लिए अब ज्यादा कीमत चुकानी पड़ेगी। कारों में इस्तेमाल होने वाले कई पुर्जों का इंपोर्ट होता है। चिप इसका उदाहरण है। इन पुर्जों को आयात करना महंगा हो जाएगा। इसका असर देश में बनने वाली कारों की कीमतों पर भी पड़ेगा।
मोबाइल फोन में इस्तेमाल होने वाले कई पार्ट्स को भी कंपनियां आयात करती हैं। अब उन्हें इंपोर्टेड पार्ट्स के लिए ज्यादा कीमत चकानी पड़ेगी। इसका असर मोबाइल की कीमतों पर पड़ेगा। शियोमी, ओप्पो जैसी कई कंपनियां भारत में अपना निर्माण तो करती हैं, लेकिन मोबाइल में इस्तेमाल होने वाले अधिकतर कल-पूर्जों का आयात करती है।
खाद्य तेलों की कीमतें पहले से ज्यादा है। रुपया के कमजोर होने से उनकी कीमतें और बढ़ सकती है। भारत मलेशिया और इंडोनेशिया जैसे देशों से बड़ी मात्रा में पॉम आॅयल सहित दूसरे खाने के तेलों का आयात करता है। इनका पेमेंट डॉलर में होता है। रुपया कमजोर होने से सरकार को ज्यादा डॉलर खर्च करने पड़ेंगे। इस तरह रोजमर्रा की कई चीजें रुपए में कमजोरी से महंगी हो सकती है।
विदेश में पढ़ाई का खर्च भी रुपया के कमजोर होने से बढ़ जाएगा। कॉलेजों की फीस से लेकर स्टूडेंट्स के रहने पर आने वाला खर्च बढ़ जाएगा। इस वजह से अब स्टूडेंट्स के रहने पर आने वाला खर्च बढ़ जाएगा। इस वजह से अब छात्रों को फीस के लिए ज्यादा एजुकेशन लोन लेना पड़ेगा। साथ ही माता-पिता को उनके रहने और खाने-पीने के लिए अब पहले के मुकाबले ज्यादा खर्च करने पड़ेंगे।