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शिक्षा

Students Future in Trouble in Haryana : हरियाणा सरकार का नोटिफिकेशन स्कूली बच्चों के लिए बना आफत, ये है पूरा मामला

Janjwar Desk
4 April 2022 11:56 AM GMT
Students Future in Trouble in Haryana : हरियाणा सरकार का नोटिफिकेशन सरकारी स्कूल के बच्चों के लिए बना आफत, जानिए पूरी कहानी
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Students Future in Trouble in Haryana : हरियाणा सरकार का नोटिफिकेशन सरकारी स्कूल के बच्चों के लिए बना आफत, जानिए पूरी कहानी 

Students Future in Trouble in Haryana : प्रदेश सरकार की ओर से 134 ए प्रावधान को खत्म करने से कई बच्चों का भविष्य अधर में लटक गया है। निजी स्कूल प्रबंधन अब इस कानून के आड़ में जो बच्चे पहले से इस नियम के तहत निजी स्कूलों में पढ़ रहे हैं उन्हें भी पढ़ाने में आनाकानी करने लगे हैं...

Students Future in Trouble in Haryana : हरियाणा सरकार (Haryana Government) का एक आदेश प्रदेश में स्कूली बच्चों के लिए आफत बनता जा रहा है। आपको बता दें कि बीते 01 अप्रैल को हरियाणा सरकार की ओर से एक आदेश जारी किया गया है जिसमें कहा गया है कि हरियाणा स्कूल शिक्षा नियमावली 2003 के तहत संशोधित 134 ए के प्रावधान को समाप्त कर दिया गया है।

दरअसल इस नियम के तहत नि​जी स्कूलों के लिए 10 प्रतिशत आर्थिक रूप से पिछड़े बच्चों का नामांकन लेने का प्रावधान ​था। पहले इस कानून के तहत 25 प्रतिशत आर्थिक रूप से पिछड़े बच्चों का नामांकन लिया जाता था पर कुछ समय पूर्व इसे घटा कर 10 प्रतिशत कर दिया गया था।

प्रदेश सरकार की ओर से अब इस प्रावधान को खत्म करने से कई बच्चों का भविष्य अधर में लटक गया है। निजी स्कूल प्रबंधन (School Management) अब इस कानून के आड़ में जो बच्चे पहले से इस नियम के तहत निजी स्कूलों में पढ़ रहे हैं उन्हें भी पढ़ाने में आनाकानी करने लगे हैं। हरियाणा के एक अभिभावक विजयेंद्र सिंह इसके एक भुक्तभोगी हैं। उनकी बच्ची इसी प्रावधान के तहत एक निजी स्कूल में पढ़ रही थी। अब नए नोटिफिकेशन (Notification) के बाद स्कूल प्रबंधन का कहना है कि वे उनकी बच्ची को बिना ​फीस लिए नहीं पढ़ा पाएंगे।

विजयेंद्र का कहना है कि बीते दो साल से कोरोना महामारी के कारण स्कूल बंद रहने से वैसे ही बच्चों की पढ़ाई बाधित रही है। इस नए नोटिस के बाद स्कूल प्रबंधन और परेशान करने लगा हैं। वे तो पहले से नामांकित उनकी बच्ची को भी पढ़ाने में आनाकानी कर रहे हैं। अब उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि वे क्या करें। सरकारी स्कूलों की भी ऐसी हालत नहीं है कि वे अपनी बच्ची का नामांकन वहां करा सकें।

हरियाणा सरकार के इस फैसले पर हमला बोलते हुए आम आदमी के प्रवक्ता विमल किशोर (Vimal Kishor) का कहना है कि सरकार निजी स्कूल मालिकों से मिलिभगत कर आर्थिक रूप से पिछड़े बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही हैं। उनका कहना है बीते एक साल से बच्चे कोरोना महामारी के कारण घर बैठे थे। अगर सरकार को यह कानून वापस ही लेना था तो वह पिछले साल ही वापस ले लेती तो कम से कम बच्चों का एक साल तो बरबाद नहीं होता। अब इस समय इस कानून के वापस लेने से बच्चों का भविष्य अधर में लटक गया है।

उनका यह भी कहना है कि फैसला वापस लेते हुए सरकार ने यह भी नहीं सोचा कि अब बीच सेशन में बच्चों को नए स्कूल में नामांकन कैसे होगा। यहां के सरकारी स्कूलों का भी हाल ऐसा कि ना वहां पढ़ाई होती है, ना वहां शिक्षक हैं ना ही बेंच डेस्क हैं। सरकारी स्कूलों का गंदगी से बुरा हाल है। ऐसे में इन स्कूलों बच्च्चों के भेजने से उन्हें ​बीमार होने का खतरा बढ़ जाता है। उन्होंने आरोप लगाया है कि सरकार ने यह फैसला निजी स्कूलों के दबाव में लिया है। निजी स्कूलों को सरकार का संरक्षण प्राप्त है। इसका निजी स्कूल वाले गलत फायदा उठाते हैं।


​वहीं 134ए के प्रावधान को समाप्त करने तथा पात्र विद्यार्थियों का दाखिला ना होने के विरोध में छात्र अभिभावक संघ के सदस्यों ने हुड्डा ग्राउंड सेक्टर 15 पहुंच कर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान हरियाणा के मुख्यमंत्री का विरोध करने के आरोप में छात्र-अभिभावक संघ की उपाध्यक्ष प्रवेश कुमारी सहित कई अभिभावकों को पुलिस ने लिया हिरासत में में ले लिया है। विरोध कर रहे लोगों ने 134ए के प्रावधान को समाप्त करने के आदेश को वापस लेने की मांग की हैै

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