'कोरोना माता मंदिर' ढहाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची महिला, अदालत ने लगाया जुर्माना
जनज्वार। उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ (Pratapgarh) जिले में 'कोरोना माता' के मंदिर को गिराने के खिलाफ एक महिला सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) पहुंची तो कोर्ट ने महिला पर ही जुर्माना लगाया है। कोर्ट अपनी टिप्पणी में कहा कि यह न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग है। सुप्रीम कोर्ट ने महिला द्वारा अपने पति के साथ निर्मित कोरोना माता मंदिर को ध्वस्त किए जाने के खिलाफ जनहित याचिका दाखिल की थी। कोर्ट ने इसे प्रक्रिया का दुरुपयोग बताते हुए खारिज कर दिया है।
जस्टिस एस.के. कौल (Justice S.K Kaul) और जस्टिस एम.एम. सुंदरेश (Justice MM Sunderesh) की बेंच ने याचिका खारिज करने के साथ ही याचिकाकर्ता पर पांच हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। बेंच ने कहा कि जिस जमीन पर मंदिर बनाया गया था वह विवादित थी। कोर्ट ने कहा कि अगर याचिकाकर्ता की दलील है कि यह उसकी निजी जमीन है और निर्माण स्थानीय नियमों के अनुसार किया गया है तो उसने उचित कानूनी उपाय का इस्तेमाल नहीं किया।
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा कि अबतक याचिकाकर्ता ने इस देश के लोगों को संक्रमित करने वाली अन्य सभी संभावित बीमारियों के लिए मंदिरों का निर्माण नहीं किया है। भूमि ही विवादित थी जैसाकि दर्ज किया गया है। इस संबंध में पुलिस में एक शिकायत दर्ज की गई थी।
कोर्ट ने आगे कहा कि हमारा विचार है कि यह स्पष्ट रूप से भारत के संविधान (Indian Constitution) के अनुच्छेद 32 (Article 32) के तहत इस न्यायालय के अधिकार क्षेत्र की प्रक्रिया का दुरुपयोग है। रिट याचिका को पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाने के साथ ही खारिज किया जाता है। जुर्माने की राशि चार सप्ताह के भीतर सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ट वेलफेयर फंड में जमा करायी जाए।
याचिकाकर्ता दीपमाला श्रीवास्तव ने इसे मौलिक अधिकार का उल्लंघन बताते हुए संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत न्यायालय के अधिकार क्षेत्र का उल्लेख करते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का रूख किया था।
बता दें कि प्रतापगढ़ (Pratapgarh) के जूही सुकुलपुर गांव (Juhi Shukulpur Village) में 'कोरोना माता मंदिर' का निर्माण किया गया था। इस मंदिर (Corona Mata Temple) का निर्माण सात जून को किया गया था। इसके बाद इसे 11 जून की रात को गिरा दिया गया था। ग्रामीणों ने आरोप लगाया था कि इसे पुलिस (UP Police) ने ध्वस्त कर दिया। हालांकि पुलिस ने इनकार करते हुए कहा था कि यह एक विवादित स्थल पर बनाया गया था और विवाद में शामिल पक्षों में से एक ने इसे तोड़ा।
ग्रामीणों के मुताबिक मंदिर का निर्माण लोकेश श्रीवास्तव (Lokesh Srivastava) ने स्थानीय निवासियों के दान से किया था। उन्होंने कोरोना माता की मूर्ति स्थापित की। गांव के राधेश्याम वर्मा को इसका पुजारी नियुक्त किया गया। इसके बाद गांव के लोग वहां पूजा-अर्चना करने लगे थे।
यह जमीन संयुक्त रूप से नोएडा में रहने वाले लोकेश, नागेश कुमार श्रीवास्तव और जय प्रकाश श्रीवास्तव की है। मंदिर निर्माण के बाद लोकेश गांव से नोएडा चले आए थे। नागेश ने पुलिस को दी अपनी शिकायत में कहा था कि मंदिर का निर्माण जमीन हथियाने के लिए किया गया था।