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राष्ट्रीय

PMLA पर SC का अहम फैसला, मनी लॉन्ड्रिंग एक स्वतंत्र अपराध है, ईडी के अधिकार को रखा बरकरार

Janjwar Desk
27 July 2022 11:13 AM IST
Supreme Court News : 30 साल की लंबी लड़ाई के बाद जासूस को सुप्रीम कोर्ट से मिला इंसाफ, भारत के लिए पाकिस्तान में की जासूसी
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Supreme Court News : 30 साल की लंबी लड़ाई के बाद जासूस को सुप्रीम कोर्ट से मिला इंसाफ, भारत के लिए पाकिस्तान में की जासूसी 

मनी लॉन्ड्रिंग एक स्वतंत्र अपराध है। केंद्र सरकार द्वारा पीएमएलए कानूनों में बदलाव सही है। PMLA के तहत गिरफ्तारी के ED के अधिकार को बरकरार रखा है।

नई दिल्ली। ईडी ( ED) की सोनिया गांधी (Sonia Gandhi ) से पूछताछ के बीच पीएमएलए ( PMLA ) मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) ने अपना अहम फैसला शुक्रवार को सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि मनी लॉन्ड्रिंग ( Money Laundering ) एक स्वतंत्र अपराध है। केंद्र सरकार द्वारा पीएमएलए कानूनों में बदलाव सही है। सुप्रीम कोर्ट ने PMLA के तहत गिरफ्तारी के ED के अधिकार को बरकरार रखा है। साथ ही कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग मामले में किसी की गिरफ्तारी के लिए कारण बताना ही पर्याप्त है।

पीएमएलए केस बड़ी बेंच का ट्रांसफर

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस एएम खानविलकर की तीन सदस्यीय बेंच ने PMLA मामले को बड़ी बेंच को ट्रांसफर करने फैसला किया है। तीन सदस्यीय बेंच ने कहा कि हमारे हिसाब से निष्कर्ष है कि यह मामला बड़ी पीठ को भेजा जाए।

सख्त प्रावधानों को माना सही

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा 2018 में किए गए संशोधन को भी सही माना है। याचिकाओं में कई धाराओं पर उठाए गए सवालों को खारिज करते हुए कहा कि कई धाराओं को वैध ठहराया है। कोर्ट ने माना कि आय, तलाशी और जब्ती, गिरफ्तारी की शक्ति, संपत्तियों की कुर्की और जुड़वां जमानत शर्तों की विस्तृत परिभाषा के संबंध में कड़े प्रावधान सही हैं।

मनमानी नहीं गिरफ्तारी की प्रक्रिया

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सवाल यह है कि क्या पीएमएलए में 2002 में कुछ संशोधन नहीं किए जा सकते थे, कोर्ट ने धन विधेयक के जरिए इसपर बड़ी बेंच द्वारा विचार करने का संकेत दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गिरफ्तारी की प्रक्रिया मनमानी नहीं है

बता दें कि पीएमएलए के तहत हुई कार्रवाई की वैधता को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिंदबरम और महाराष्ट्र सरकार के पूर्व मंत्री अनिल देशमुख की याचिकाओं समेत कोर्ट में 242 याचिकाएं दायर थी, जिसपर कोर्ट ने कई सुनवाई के बाद अपना फैसला सुनाया है।

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