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Supreme Court Order : राज्य स्तर पर होगी अल्पसंख्यकों की पहचान, कथावाचक देवकीनंदन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला

Janjwar Desk
8 Aug 2022 7:00 PM IST
Supreme Court News : गुजरात दंगों और बाबरी मस्जिद विध्वंस से जुड़े सभी मामले बंद, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
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Supreme Court News : गुजरात दंगों और बाबरी मस्जिद विध्वंस से जुड़े सभी मामले बंद, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

Supreme Court Order : देश की शीर्ष अदालत ने आज सोमवार को कहा कि अल्पसंख्यकों की पहचान केवल राज्य स्तर पर की जा सकती है, यह जिला स्तर पर नहीं होना चाहिए...

Supreme Court Order : देश की शीर्ष अदालत ने आज सोमवार को कहा कि अल्पसंख्यकों की पहचान केवल राज्य स्तर पर की जा सकती है। यह जिला स्तर पर नहीं होना चाहिए। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने यह बात हिंदुओं को कई राज्यों में अल्पसंख्यक का दर्जा देने की मांग वाली याचिका की सुनवाई के दौरान कही।

याचिका में हिन्दुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा देने की मांग

कथावाचक देवकीनंदन महाराज ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी। इसमें कुछ राज्यों में हिंदुओं की संख्या कम होने पर उन्हें अल्पसंख्यक का दर्जा देने की मांग की गई थी।

अल्पसंख्यकों की पहचाल राज्य स्टार पर ही होगी

SC ने कहा कि याचिका में मांग की गई है कि अल्पसंख्यकों की पहचान जिला स्तर पर हो, लेकिन अगर ऐसा होता है तो यह कानून के विपरीत होगा। 11 जजों की बेंच का मानना है कि इसे राज्य स्तर पर ही किया जाना चाहिए।

ठोस सबूत पेश करने पर मिलेगा हिंदुओं को अल्पसंख्यकों का दर्ज

पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस मामले में ठोस सबूत पेश किए जाएं, तभी हिंदुओं को अल्पसंख्यक होने का दर्जा देने की मांग वाली याचिका पर विचार हो सकता है।

याचिका में अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम को चुनौती

कथा वाचक देवकीनंदन ने याचिका में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम 1992 की धारा 2c की वैधता को चुनौती दी है। याचिका में अल्पसंख्यक समुदाय को विशेष अधिकार देने और कई राज्यों-जिलों में हिंदुओं की कम आबादी के बावजूद उन्हें ऐसे अधिकारों से वंचित रखने को संविधान से उल्टा बताया गया है। बता दें कि याचिका में अल्पसंख्यक अधिनियम कानून को संविधान के अनुच्छेद 14,15,21,29 और 30 के विपरीत बताया गया है।

9 राज्यों में हिंदू हो चुके हैं अल्पसंख्यक

कथावाचक देवकीनंदन ने याचिका में कई धर्मों के अनुयायियों की संख्या के आंकड़े पेश करते हुए चिंता जाहिर की है। याचिका में कहा गया है कि 9 राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हो चुके हैं, मगर फिर भी वह अपनी पसंद के शैक्षणिक संस्थान नहीं खोल सकते, जबकि संविधान अल्पसंख्यक को यह अधिकार देता है।

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