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Khagadiya Nasbandi kand : सुप्रीम कोर्ट ने नीतीश सरकार को लगाई फटकार, गैर पंजीकृत डॉक्टर्स और फार्मासिस्टों पर लगाई रोक

Janjwar Desk
22 Nov 2022 2:13 PM IST
NWC की याचिका पर SC ने केंद्र से मांगा जवाब, पूछा - मुस्लिम नाबालिग लड़कियों की शादी करना कितना जायज?
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NWC की याचिका पर SC ने केंद्र से मांगा जवाब, पूछा - मुस्लिम नाबालिग लड़कियों की शादी करना कितना जायज?

Khagadiya Nasbandi kand : जस्टिस शाह और जस्टिस सुंदरेश ने अमानवीय घटना पर नारजागी जताते हुए पूछा कि बिहार सरकार किसी को अपने नागरिकों के जीवन के साथ खिलवाड़ कैसे करने दे सकती है।

Khagadiya Nasbandi kand : बिहार के खगड़िया नसबंदी कांड के पांच दिन बाद सुप्रीम कोर्ट ( Supreme court ) ने एक याचिका पर सुनवाई के बाद गंभीर चिंता जाहिर की है। शीर्ष अदालत ने नीतीश कुमार सरकार ( Nitish Government ) को फटकार लगाते हुए कहा कि ​वो इस बात को सुनिश्चित करें कि गैर पंजीकृत डॉक्टर्स और फार्मास्टि ( unregistered doctors and pharmacist ) न तो इस तरह के आपरेशन में शामिल होंगे न हीं मेडिसिन प्रेसक्राइब करेंगे।

कौन होगा अप्रिय घटनाओं के लिए जिम्मेदार

सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) के जस्टिस एमआर शाह और एमएम सुंदरेश ने साफ कर दिया है कि बिहार सरकार यह सुनिश्चित करे कि पूरे राज्य में एक भी अस्पताल पंजीकृत फार्मासिस्टों की मदद के बिना कोई भी दवा वितरित न करे। अगर कोई अप्रशिक्षित व्यक्ति गलत दवा या दवा की गलत खुराक देता है और इसके परिणामस्वरूप कुछ गंभीर होता है तो कौन जिम्मेदार होगा?

आरोपी के खिलाफ कार्रवाई न होने पर भी जताई आपत्ति

जस्टिस शाह और जस्टिस सुंदरेश ने अमानवीय घटना पर नारजागी जताते हुए पूछा कि राज्य सरकार किसी को अपने नागरिकों के जीवन के साथ खिलवाड़ करने की इजाजत कैसे दे सकती है। न्यायमूर्ति शाह ने कहा कि जहां गरीबी और शिक्षा की कमी है, आप शिकायत दर्ज होने तक इंतजार नहीं कर सकते। इससे भी ज्यादा बिहार जैसे राज्य में आप इस मामले की गंभीरता को नहीं समझते। यह सिर्फ इतना ही नहीं है।

बिहार में सवाल फर्जी फार्मासिस्ट और फर्जी डॉक्टर का भी है। आपको फर्जी डॉक्टर और फर्जी कंपाउंडर की भरमार मिल जाएगी। गरीब और अनपढ़ लोगों को उनके पास जाना पड़ता है। बिहार के अस्पतालों की हालत सबसे खराब है। आप यह कहते हुए कि आप शिकायत दर्ज होने तक प्रतीक्षा करेंगे। शिकायत प्राप्त होने तक राज्य सरकार की निष्क्रियता या अनुमति का आप इंतजार करेंगे। शीर्ष अदालत के जस्टिस ने कहा कि नसबंदी ( mass sterlization ) के नाम पर फर्जीवाड़े की जांच कराना सरकार का कर्तव्य था। इस मामले में राज्य सरकार सारा दोष बिहार राज्य फार्मेसी परिषद पर डालकर बच नहीं सकती।

नसबंदी कांड निष्क्रियता का परिणाम

शीर्ष अदालत ने कहा​ कि नसबंदी कांड सरकार की निष्क्रिय सोच का परिणाम है। वकीलों के तर्क पर न्यायमूर्ति शाह ने तीखा जवाब देते हुए कहा कि क्या इसका मतलब यह है कि राज्य सरकार जिम्मेदारी से मुक्त है? वे किसी को भी सरकारी या अर्ध-सरकारी अस्पतालों में दवा वितरित करने की इजाजत दे सकती है। को नियमों के मुताबिक अनियमितताओं या गैर-अनुपालन के मामलों की जांच करने की आवश्यकता थी।

हम तो आपके जवाब से परेशान हैं

बिहार सरकार के वकील ने यह कहकर अदालत को समझाने का प्रयास किया तो न्यायमूर्ति शाह ने कहा कि हम आपके जवाब से हैरान हैं। आपने हमें यह रिपोर्ट दिखाई। आपको कम से कम अदालत के प्रति निष्पक्ष होना चाहिए था। याचिकाकर्ता के वकील द्वारा कहा गया कि फार्मेसी प्रैक्टिस रेगुलेशन, 2015 जो फार्मेसी प्रैक्टिस में नैतिक मानकों को सुनिश्चित करने के लिए प्रख्यापित किया गया था और पंजीकृत फार्मासिस्टों की उपस्थिति और सेवाएं, अन्य बातों के अलावा बिहार राज्य में अभी तक लागू क्यों नहीं किया गया था।

बिहार में नहीं है पंजीकृत फार्मासिस्ट

Khagadiya Nasbandi kand : जस्टिस शाह ने इंडियन फार्मास्युटिकल एसोसिएशन के एक पत्र पर भरोसा किया। उन्होंने पंजीकृत फार्मासिस्टों के कर्तव्यों के बारे में तर्क देना शुरू किया। जब न्यायमूर्ति शाह ने यह कहते हुए हस्तक्षेप किया। यहां कोई भी पंजीकृत फार्मासिस्ट नहीं है। दूसरी बात, अगर वे पंजीकृत हैं तो भी उनका पंजीकरण फर्जी है।

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