UP News : लखनऊ से चली UP सरकार की चिट्ठी 5 साल में नहीं पहुंची दिल्ली, पेंशन के इंतजार में तिल-तिल कर मर रहे कर्मचारी
(भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के जनसंख्या शोध केंद्र का दफ्तर)
UP News। उत्तर प्रदेश सरकार के प्रमुख सचिव (उच्च शिक्षा) ने भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (Ministry Of Family Health And Welfare) एक चिट्ठी पांच साल पहले लिखी थी, जो अब तक गंतव्य तक नहीं पहुंची है। इतना ही नहीं, तमाम प्रयासों के बावजूद पेंशन से जुड़ी यह चिट्ठी अपने ही स्थान पर अटकी हुई है और इस चिट्ठी के गंतव्य तक पहुंचने के इंतजार में कई रिटायर्ड कर्मचारी इस दुनिया को अलविदा कह चुके हैं।
लालफीताशाही के इस कारनामे का खुलासा दोनों दफ्तरों से अलग-अलग आरटीआई (RTI) के माध्यम से मिले जवाब से हुआ है। यह पूरा मामला जनसंख्या शोध केंद्र (Population Research Centre) अर्थशास्त्र विभाग लखनऊ विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त कर्मचारियों के पेंशन से जुड़ा है।
जनसंख्या शोध केंद्र के सेवानिवृत्त कर्मचारियों के पेंशन के सम्बंध में लखनऊ विश्वविद्यालय, प्रमुख सचिव (Higher Education) उत्तर प्रदेश और भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय (Ministry Of Family Health And Welfare) के बीच पत्राचार के आधार पर सहमति बननी थी। पूर्व में कर्मचारियों ने कोर्ट में केस दायर किया था लेकिन पेंशन पर सहमति बनने के बाद केस वापस ले लिया और इसके बाद पत्राचार के माध्यम से औपचारिकताएं पूरी होनी थी।
कई वर्षों तक पत्राचार के नाम पर चल रहे नाटक का खुलासा तब हुआ जब इस मामले में एक आरटीआई दाखिल की गई। पेंशन के इस मामले में लखनऊ विश्वविद्यालय ने सहमति जाहिर कर दी थी और इसके बाद प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा उत्तर प्रदेश और भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के बीच पत्राचार होना था।
जब जनसंख्या शोध केंद्र के सेवानिवृत्त कर्मचारी सुरेश प्रसाद शर्मा (Suresh Chandra Sharma) की ओर से पेंशन प्रकरण में प्रमुख सचिव कार्यालय से आरटीआई से सूचना मांगी तो जवाब में बताया गया कि उत्तर प्रदेश शासन के तत्कालीन प्रमुख सचिव जितेंद्र कुमार ने दिनांक 27 सितंबर 2016 को पत्रांक संख्या 649/सत्तर-4-2016 भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के परिवार कल्याण विभाग के सांख्यिकी विभाग को भेजा है।
प्रमुख सचिव से आरटीआई (Right To Information) से मिले इस जवाबी पत्र पर हुई अगली कार्रवाई की जानकारी के लिए जब भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के परिवार कल्याण विभाग के सांख्यिकी विभाग को इस पत्र की छायाप्रति के साथ आरटीआई भेजा गया तो वहां से जवाब दिया गया कि इस तरह का कोई पत्र पहुंचा ही नहीं है।
इन दोनों पत्रों को देखने से यह साफ हो जाता है कि कोई एक अफसर पूरी तरह से झूठ बोल रहा है। जनसंख्या शोध केंद्र के सेवानिवृत्त कर्मचारी कई वर्षों से बीमारी और अभाव का संकट झेलते हुए तिल-तिल कर मरने पर मजबूर हैं और कई की तो असामयिक मृत्यु भी चुकी है।
लगभग दस वर्ष पूर्व सेवानिवृत्त हुए कर्मचारी सुरेश प्रसाद शर्मा ने कहा कि जीवन भर की गई सरकार की सेवा के एवज में अफसरों द्वारा की जा रही यह प्रताड़ना असहनीय हो चुकी है। इस उम्र में आमदनी का कोई दूसरा जरिया भी नहीं रह गया है। कई बार अफसरों को शिकायती पत्र भेजकर प्रक्रिया को जल्द पूरा करने की मांग की गई लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही।