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UP में अंधेर : अस्पताल नहीं पीपल के पेड़ से ऑक्सीजन ले रहे मरीज, मंत्री नहीं उठाता अपने ही विधायक का फोन
जनज्वार, लखनऊ। उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में उपचार ना मिलने पर कोरोना संक्रमित मरीज पीपल के पेड़ के नीचे अपना बिस्तर लगा कर लेटे हुए थे। पीपल के पेड़ नीचे बिस्तर लगा लेने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। मरीजों का कहना है कि उन्हें सांस लेने में समस्या है। अस्पताल में भर्ती न किए जाने पर वे लोग पीपल के पेड़ के नीचे बैठे हैं।
तिलहर से भाजपा विधायक रोशनलाल वर्मा ने बताया कि 'हमें सूचना मिली कि तिलहर क्षेत्र में कुछ लोग ऑक्सिजन की समस्या के चलते पीपल के पेड़ के नीचे बिस्तर लगा कर लेटे हैं। जिसके बाद वह वहां गए तो देखा कि वहां आठ-नौ लोगों के बिस्तर लगे हैं।' वर्मा ने बताया कि उन्हें देखते ही कई लोग भाग गए क्योंकि लोगों को भय था कि पुलिस पकड़ लेगी और जेल भेज देगी। पीपल के नीचे लेटे मरीजों ने विधायक को बताया कि 'वह लोग कोविड-19 संक्रमित हैं और उनकी ऑक्सीजन कम हो गई है, सांस लेने में दिक्कत हो रही है।'
विधायक वर्मा का आरोप है कि 'मरीज मेडिकल कॉलेज गए लेकिन उन्हें भर्ती नहीं किया गया, तो उन्होंने सभी पीपल के पेड़ के नीचे ही बिस्तर लगा कर लेट गए। क्योंकि कहा जाता है कि पीपल के पेड़ से ज्यादा मात्रा में ऑक्सिजन निकलती है। ये लोग पांच दिनों से पीपल के पेड़ के नीचे ही रात-दिन बिता रहे हैं।'
रोशनलाल वर्मा ने बताया 'मैं शाहजहांपुर के विधायक और प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्ना को कई दिनों से फोन लगा रहा हूं परंतु वह फोन नहीं उठाते हैं। आज भी जब उन्हें फोन लगाया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। इसके बाद जिलाधिकारी इंद्र विक्रम सिंह को फोन पर पूरी घटना बताई और उन्होंने गंभीरता से लेते हुए घटनास्थल पर ही एंबुलेंस को भेज दिया।'
विधायक के मुताबिक तिलहर क्षेत्र निवासी मुस्कान और उर्मिला को सांस लेने में ज्यादा दिक्कत थी तो उन्हें शाहजहांपुर लाकर ओसीएफ में बने कोरोना अस्पताल में भर्ती कराया गया है जहां उनका उपचार शुरू हो गया है। इस बारे में पूछे जाने पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी एसपी गौतम ने बताया कि 'सूचना पर हमने एक टीम भेजी थी वहां पर केवल एक व्यक्ति ही मिला था जिसकी जांच कराई गई तब वह कोरोना वायरस से संक्रमित मिला। उसे अस्पताल में भर्ती करा दिया गया है।'
सीएमओ ने कहा कि 'हमारे पास पर्याप्त मात्रा में ऑक्सिजन उपलब्ध है। जो लोग घरों में रहकर स्वयं अपना इलाज कर रहे हैं, उन्हें ऑक्सिजन दे पाना संभव नहीं है, लेकिन अस्पताल में जो भी मरीज भर्ती हो रहे हैं उन्हें ऑक्सिजन दी जा रही है।'