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आजमगढ़ में दलित प्रधान की हत्या को लेकर राजनीति गरमाई, कांग्रेस के बाद भीम आर्मी के चंद्रशेखर बैठे धरने पर
आजमगढ़। उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले के तरवां थाना क्षेत्र के बांसगांव में अनुसूचित जाति के प्रधान की हत्या को लेकर राजनीति और गरम है। गुरुवार 20 अगस्त की सुबह से कांग्रेस पार्टी के प्रतिनिधिमंडल को ही अभी पुलिस-प्रशासन ढंग से शांत नहीं करा पाया था कि आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर रावण भी जनपद की सीमा पर पहुंच गए और जब उन्हें रोका गया तो समर्थकों के साथ वहीं धरने पर बैठ गए।
इस बीच मौके पर पहुंचे एसडीएम व सीओ ने कई बार समझाने का प्रयास किया, लेकिन वह नहीं उठे। एसडीएम और सीओ ने कई बार उन्हें समझाने की कोशिश की, लेकिन वो धरने से उठने के लिए तैयार नहीं थे।
उन्होंने कहा कि यहां हर्में आइना दिखाया गया है। दलित प्रधान की हत्या कर परिवार वालों से कहा गया कि जाओ देखो हमने हत्या कर दी है। मैं अपने परिवार से मिलने जाना चाहता हूं। बिना मिले नहीं जाऊंगा। मैं इस समाज से हूं।
चंद्रशेखर ने कहा कि 'चाहे जितने दिन लगे बिना मिले नहीं जाऊंगा। बैठ गया तो बैठ गया हूं। वजनदार आदमी बैठ जाता है तो फिर अधिकारों के साथ उठते हैं। प्रशासन हमें परिवार से मिलाए। जब तक इसको राष्ट्रीय पटल पर नहीं उठाएंगे, नहीं जाएंगे'। मौके पर कई थानों की फोर्स जमा थी।
गुरुवार 20 अगस्त की सुबह कांग्रंस नेताओं ने गांव जाने की कोशिश की तो पुलिस ने उन्हें सर्किट हाउस में नजरबंद कर दिया। शाम के चार बजे तक कांग्रेस नेताओं को जनपद से बाहर रवाना किया तो तीन बजे अतरौलिया बार्डर पर भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आ धमके।
समर्थकों के साथ जनपद की सीमा पर आने की सूचना से प्रशासन के हाथ पांव फूल गए। आंबेडकरनगर में एक दलित लड़की के दुष्कर्म की घटना के संबंध में परिजनों से मिलने के बाद वह आजमगढ़ पहुंचे थे। रोके जाने पर लंबे-चौड़े काफिले के साथ वहीं बीच सड़क पर धरने पर बैठ गए।
एसपी ग्रामीण सिद्धार्थ, एसडीएम दिनेश कुमार मिश्र और सीओ ने उनकी डीएम से बात कराई। धारा-144 का हवाला दिया गया। इसके बाद भी समर्थक टस से मस नहीं हुए। आजाद ने एक-दो समर्थकों के साथ वहां जाने की बात कही इसके बावजूद प्रशासन ने नहीं जाने दिया। वहीं, मौके पर एसपी ग्रामीण कई थानों की फोर्स पीएसी के साथ तैनात रही।