पलायन या सपरिवार आत्मदाह: सरकारी सिस्टम की प्रताड़ना से आजिज बांदा के पत्रकार आशीष सागर के सामने बस दो विकल्प
Banda News: बांदा के पत्रकार और व्हिसिल ब्लोअर पर सरकारी अत्याचार थमने का नाम नहीं ले रहा है। जिसके तहत आज सिटी मजिस्ट्रेट के जरिए धारा 111 के तहत आशीष सागर को नोटिस दिया गया है। इस मामले में सामाजिक कार्यकर्ता को प्रभारी निरीक्षक कोतवाली नगर द्वारा मिली आख्या के जरिए 9 जनवरी 2022 अवगत कराया गया कि, आशीष सागर दीक्षित निवासी बिजलीखेड़ा वनविभाग एक अपराधी प्रवृति के व्यक्ति हैं।
साथ ही कहा गया कि वह आये दिन निर्बल वर्ग के व्यक्तियों को मारपीट एवं गाली गलौच करके जनता में भय एवं आतंक का वातावरण उत्पन्न करता है। उसके भय से उसके विरुद्ध कोई भी व्यक्ति रिपोर्ट लिखाने व साक्ष्य देने का साहस नहीं करता है। जनहित में उसका स्वतंत्र रहना उचित नहीं है। अतः प्रभारी निरीक्षक कोतवाली नगर की आख्या अनुसार 3 साल तक प्रतिबंधित करने की कवायद शुरू हो चुकी है।
आशीष जनज्वार से बात करते हुए कहते हैं, 'मुझे व्यक्तिगत व मेरे बुजुर्ग मातापिता को बाँदा प्रशासन व पुलिस अफसरों से जानमाल का खतरा है। मेरे ऊपर लगातार बाँदा पुलिस-प्रशासन षड्यंत्र रचकर जमानती नोटिस भेजकर गैंगस्टर, फर्जी एनकाउंटर, गुंडा एक्ट लगाने जैसे सुनियोजित व दुराग्रह पूर्ण कार्यवाही सफेदपोश अपराधियों और मौरम माफियाओं की सरपरस्ती में कर रहा है। ऐसी उत्पीड़न वादी मानसिकता से अवसादग्रस्त होकर मैं या तो बुजुर्ग माता पिता सहित आत्महत्या करूँगा या बाँदा से सपरिवार पलायन करने को विवश हो रहा हूँ। इसकी जिम्मेदार यह सरकार तथा बाँदा प्रशासन के आला अफसर है।
सरकारी सिस्टम ने आशीष को इस तरह बनाया अपराधी
आशीष बताते हैं, बसपा सरकार में पूर्व सीएम मायावती के सबसे ताकतवर कैबनेट मंत्री श्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी की आय से अधिक संपत्ति, अवैध खनन के पट्टे व सरकारी योजनाओं में व्यापक भ्रष्टाचार की शिकायत दस्तावेजों के साथ यूपी के तत्कालीन लोकायुक्त जस्टिस एनके मेहरोत्रा को सौंप दी थी। जांच में पूर्व कैबिनेट मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी दोषी पाए गए और लोकायुक्त ने इनकी जांच सीबीआई या ईडी से करवाने की सिफारिश सरकार से की थी। सपा सरकार ने इन्हें कानूनी संरक्षण दिया था। इससे आहत इन कद्दावर मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी के साले मुमताज अली ने मुझपर धारा 156 (3) की आड़ लेकर न्यायालय विशेष न्यायधीश के समक्ष वाद संख्या 38/13 दाखिल कर मेरे ऊपर 1 करोड़ रुपये रंगदारी मांगने का मनगढ़ंत आरोप कोर्ट में लगाया था। इसमें मंत्री के वादी साले मुमताज अली को मिली पराजय का उदाहरण तत्कालीन न्यायधीश जस्टिस संगमलाल का वह जजमेंट है।
समाजवादी सरकार में सपा के बबेरू से पूर्व विधायक विशम्भर यादव, के खासमखास राजाभैया यादव संचालक विद्याधाम समिति अतर्रा बाँदा ने मुझपर दुराग्रह रखकर नरैनी थाने फर्जी दुराचार का केस अपराध संख्या 056/2016 दर्ज करवाया। इसके बाद संरक्षक राजाभैया यादव पर इनकी संस्था कर्मी युवा सीमा विश्वकर्मा निवासी ग्राम अनाथुआ थाना अतर्रा ज़िला बाँदा द्वारा यौन शोषण-दुराचार करने का मुकदमा अपराध संख्या 037/2016 थाना नरैनी में लिखा गया जिसकी पैरवी मैंने की थी इसकी सजा मुझे इस मुकदमे के रूप में प्रदान की गई थी।
राजाभैया पर इसमें चार्जशीट दाखिल है व मुकदमा न्यायालय में लंबित है। इनसे मेरी वर्ष 2013 से रंजिश है। इस घटना के बाद बाँदा शहर में संचालित पंडित जवाहरलाल नेहरू पीजी कालेज बाँदा के तत्कालीन सेवानिवृत्त प्रचार्य डाक्टर नंदलाल शुक्ला (वर्तमान में संविदा पर मनरेगा लोकपाल बाँदा) ने डिग्री कालेज भूमि व सरकारी आवास की अवैध लीज तत्कालीन एडीएम दयाशंकर पांडेय से मौजूदा सदर रजिस्ट्रार राकेश मिश्रा के जरिये करा ली थी। इसकी चार साल लंबी लड़ाई मैंने लड़ी जिसके फलस्वरूप दिनांक 10 मार्च 2018 को धरना प्रदर्शन के दौरान तत्कालीन सिटी मजिस्ट्रेट, सीओ राघवेंद्र सिंह, सिविल लाइन चौकी प्रभारी आकाश सचान के सामने मेरे ऊपर जानलेवा हमला भूमाफिया के परिजनों द्वारा किया गया। यह सबकुछ मीडिया कैमरों में रिकॉर्ड हुआ था वह सारे साक्ष्य मेरे पास आज सुरक्षित है।
परिणामस्वरूप अवैध लीज व पट्टा प्रशासन ने निरस्त किया लेकिन कालेज ज़मीन छोड़ने के बावजूद यह दबंग पूर्व प्रचार्य आज भी सरकारी आवास में सेवानिवृत्त के बाद अवैध कब्जा किये है और प्रशासन चुप है। इस जन आंदोलन के चलते मेरे ऊपर भूमाफिया प्रचार्य ने पुलिस के सहयोग से मुकदमा अपराध संख्या 187/2018 लिखाया वहीं मेरी तरफ से मुकदमा अपराध संख्या 188/2018 भूमाफिया के पुत्रों व परिजनों पर हमला करने के लिए लिखाया गया। इन दोनों क्रॉस मुकदमों में जमानती धाराओं में आरोपपत्र विवेचक ने कोर्ट में दाखिल कर रखें है लेकिन दोनों ही पक्षकार अब न्यायालय में मुकदमा पैरवी नहीं कर रहे है। इसके बाद सत्तासीन बाँदा बीजेपी के मौजूदा सदर विधायक प्रकाश द्विवेदी के खनन सिंडिकेट कृत्यों को जब मैंने लखनऊ से प्रकाशित दृष्टांत पत्रिका में लिखा तो इनके कारखास व खुरहण्ड गांव निवासी प्रदीप त्रिपाठी पुत्र स्वर्गीय चंद्रशेखर त्रिपाठी ने मेरे ऊपर मुकदमा अपराध संख्या 286/2018 थाना नगर कोतवाली बाँदा में लिखाया गया था। यह वाद पुलिस विवेचना में फ़ाइनल रिपोर्ट के बाद आज न्यायालय से खत्म हो चुका है। वहीं इन प्रदीप त्रिपाठी पर बाँदा के थाना फतेहगंज में मुकदमा अपराध संख्या 0060/2018 अपरहण व गैंगस्टर का दर्ज है।
एक मुकदमा थाना मौदहा ज़िला हमीरपुर में मूर्ति चोरी का लिखा है लेकिन आज यह सदर विधायक के संरक्षण में सुरक्षित है। वहीं बाँदा के नेता यहीं नहीं रुके भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने का ईनाम मुझे बराबर दिया जाता रहा है। तत्कालीन बीजेपी सांसद भैरों प्रसाद मिश्रा द्वारा अपने जनप्रतिनिधि श्री चंद्रप्रकाश शुक्ला से 11 बीजेपी कार्यकर्ताओं पर मुकदमा अपराध संख्या 637/2018 लिखाया गया। इसमें चंद्रप्रकाश शुक्ला बनाम अनूप सिंह चौहान के साथ 11 अन्य नामजद हुए थे। धरना की जमानती धाराओं में मुझे तब फंसाया गया जबकि मैं उस दिन शहर बाँदा में उपस्थित नहीं था। देशभर में बीजेपी सरकार द्वारा हरिजन एक्ट वापस लाने के विरोध पर यह धरना बीजेपी कार्यकर्ताओं ने सांसद आवास में किया था। आज इसमें फाइनल रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल है। साथ ही वादी केस की पैरवी नहीं करता है। एक अन्य मुकदमा आईटी एक्ट का पत्रकार शिवकुमार बड़कू व मेरे ऊपर प्रभावशाली बीजेपी महिला नेता श्रीमती प्रभा गुप्ता द्वारा पहले कोरोना काल में लॉक डाउन के वक्त राशन वितरण में सोशल डिस्टेंस की अनदेखी पर खबर करने के चलते नगर कोतवाली में 4 अप्रैल 2020 को लिखाया गया इसमें भी फाइनल रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल है और वादिया अब पैरवी नहीं करती है।
पूरी कहानी सुनाकर आशीष कहते हैं, इस तरह मुझपर सामाजिक सरोकार व जनसंघर्ष पर नाहक मुकदमों की मार की गई और प्रताड़ित किया गया है। इसी को हथियार बनाकर वर्तमान एसपी अभिनंदन सिंह ने मेरी हिस्ट्रीशीट 95ए कालू कुआँ पुलिस चौकी शहर बाँदा में खोली है। वह सवाल करते हैं कि किसी को हिस्ट्रीशीटर बनाने के संबंध में डीजीपी/शासन के दिशानिर्देश को अनुपालित नहीं करने वाले बाँदा पुलिस अफसरों के दुष्कृत्य व खनन माफियाओं के संघठित नेक्सेस का संज्ञान लेने की महती कृपा कोई क्यों नहीं करता। ताकि पर्यावरण कार्यकर्ता व व्हिसिल ब्लोअर की सार्वजनिक सामाजिक हत्या न हो सके।
महत्वपूर्ण यह है कि, भ्रस्ट सिस्टम की बदौलत इन थोपे गए किसी भी मुकदमे में मुझे न्यायालय से अभी तक कोई सजा नहीं हुई और न ही कभी जेल गया हूँ। या जमानत आज की तारीख तक ली है। शहर के दबंग सरकारी भूमाफिया/संविदा लोकपाल द्वारा सरकार की ज़मीन हड़पने से बचाने में हुए आंदोलन पर महज एक क्रॉस केस में दोनों पक्षकार की तरफ से जमानती आरोपपत्र पर बाँदा एसपी श्री अभिनंदन सिंह ने सीओ सिटी राकेश कुमार सिंह,सीओ सदर श्री सत्यप्रकाश शर्मा ने षड़यंत्र रचकर मेरी सुनियोजित चारित्रिक हत्या करने को यह हिस्ट्रीशीट खोली है।
पुलिसिया ताकतवर लोगों द्वारा व्हाइट कॉलर अपराध में संलिप्त समूह की दुराग्रहपूर्ण सलाह पर भविष्य में मुझपर गुंडा एक्ट,जिला बदर और गैंगस्टर जैसी या फर्जी इनकाउंटर जैसी सुनियोजित घटना मेरे साथ कर मेरे परिवार को बर्बाद किया जा सकता है।
अंत में वह गुहार लगाते हुए कहते हैं, न्याय की विनम्र आशा में आपका बेटा आपसे भारतीय जनसरोकारी नागरिक होने के बदले न्यायसंगत कार्यवाही की अपील कर रहा है। निष्पक्ष जांच कमेटी गठित कर इस हिस्ट्रीशीट खोलने के मकसद का खुलासा किया जाए। मेरा परिवार व बुजुर्ग बीमार मातापिता गहरे सदमे में है। परिवार में किसी भी अनहोनी के ज़िम्मेदार यही उक्त लोग व अफशरशाही होगी। न्याय नहीं होने पर पीड़ित माननीय उच्च न्यायालय की शरण में जायेगा। व देश के हर छोटे-बड़े लोकतांत्रिक मंच तक अपनी गुहार पहुंचाएगा।