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उत्तर प्रदेश

यूपी के सोनभ्रद में खनन माफियाओं से मोर्चा लेने वाले आदिवासी नेता की हत्या में प्रशासन की भूमिका संदिग्ध

Janjwar Desk
16 Jun 2020 6:29 PM IST
यूपी के सोनभ्रद में खनन माफियाओं से मोर्चा लेने वाले आदिवासी नेता की हत्या में प्रशासन की भूमिका संदिग्ध
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भाकपा माले के जांच दल को लोगों ने बताया कि पिपरडीह में लंबे समय से बालू खनन माफिया सक्रिय हैं। इन माफियाओं द्वारा गांव सभा तथा ग्रामीणों की निजी खेतों की जमीनों पर जबरन खनन कराया जा रहा है।

जनज्वार ब्यूरो। उत्तर प्रदेश के सोनभद्र का दौरा कर लौटे भाकपा (माले) के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने कहा कि योगी सरकार खनन माफियाओं को संरक्षण दे रही है। प्रसाशन से मिलीभागत कर ये माफिया प्राकृतिक संपदा की बेरोकटोक लूट के लिए सोनभद्र में आदिवासियों की हत्याएं कर रहे हैं। माले राज्य सचिव सोनभद्र के पिपरडीह गांव में आदिवासी गोरख गोंड़ की बीते 12 जून को हुई हत्या मामले में पड़ताल के लिए रविवार को पार्टी का चार सदस्यीय जांच दल लेकर घटनास्थल पहुंचे थे। उन्होंने मृतक के परिजनों से मिलने के बाद जांच रिपोर्ट जारी की।

सुधाकर यादव ने कहा कि हत्या के तीन दिन बीतने के बाद भी हत्यारे पकड़ से बाहर हैं। प्रशासन हाथ पर हाथ धरे बैठा है। सोनभद्र आदिवासियों की हत्या स्थली बनता जा रहा है। अभी पिछले महीने ही पकड़ी गांव में आदिवासी रामसुंदर गोंड़ की हत्या हुई थी। उन्होंने कहा कि योगी सरकार में पूरे सूबे में दलितों-आदिवासियों पर हमले बढ़ गए हैं। दबंग, माफिया व अपराधी ताक़तों के हौसले बुलंद हैं।

उन्होंने कहा कि जांच दल ने मृतक गोरख गोंड़ के पिता मदन सिंह, छोटे भाई कुंवर सिंह व मौके पर मौजूद ग्रामीणों से बात की। इन लोगों ने जांच दल को बताया कि पिपरडीह में लंबे समय से बालू खनन माफिया सक्रिय हैं। इन माफियाओं द्वारा गांव सभा तथा ग्रामीणों की निजी खेतों की जमीनों पर जबरन खनन कराया जा रहा है।

भाकपा माले के राज्य कार्यालय के सचिव अरुण कुमार ने प्रेस को जारी बयान में बताया, 'ग्रामीणों की तरफ से इस लूट व अवैध खनन की सूचना प्रशासन को दी गई, लेकिन प्रशासन से सांठगांठ के कारण खनन माफियाओं के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है। रात में बालू खनन व ढुलाई का गांव वालों की तरफ से लगातार विरोध हो रहा था। इस मामले में आवाज उठाने की अगुवाई गोरख गोंड़ कर रहे थे। इसलिए वह माफियाओं के निशाने पर थे और ग्रामीणों पर अपनी दहशत कायम रखने के लिए माफियाओं ने उनकी हत्या करवा दी।'

उन्होंने बताया कि सरकारी रिकार्ड के कागजों में हेराफेरी करके भू व खनन माफिया आदिवासियों व सरकारी जमीनों पर कब्जा कर रहे हैं। इसमें ग्राम प्रधान की भी संलिप्तता है। विरोध करने पर वे आदिवासियों पर हमले कर रहे हैं। लगता है प्रशासन ने जिले के कुख्यात उम्भा आदिवासी हत्याकांड से कोई सबक नहीं लिया है।

उन्होंने गोरख गोंड की हत्या की न्यायिक जांच कराने, मृतक के परिजनों को बीस लाख की आर्थिक सहायता देने, अपराधियों को अविलंब गिरफ्तार करने, पूरे घटनाक्रम में पिपरडीह गांव प्रधान की भूमिका की जांच कराने, मृतक के परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने और अवैध खनन पर रोक लगाने की मांग की।

भाकपा माले के जांच दल में राज्य सचिव के अलावा पार्टी की राज्य स्थायी (स्टैंडिंग) समिति के सदस्य शशिकांत कुशवाहा, राज्य कमेटी सदस्य बीगनराम गोंड़ और पीयूएचआर के जिला प्रभारी एडवोकेट प्रभु सिंह शामिल थे।

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