Begin typing your search above and press return to search.
आजीविका

जनज्वार की खबर से हरकत में आया प्रशासन, खुद को जिंदा साबित करने के लिए भटक रहे बुजुर्ग का हुआ DNA टेस्ट

Janjwar Desk
28 Jan 2021 2:30 AM GMT
जनज्वार की खबर से हरकत में आया प्रशासन, खुद को जिंदा साबित करने के लिए भटक रहे बुजुर्ग का हुआ DNA टेस्ट
x
सरकारी अमले को भोला के गांव अमोई भेज कर सरकारी मुलाजिमों से न केवल पिछले दिनों उसकी पहचान कराई गई, बल्कि अब उसका डीएनए टेस्ट भी करवाया गया है, ताकि भोला के जीवित होने की पुष्टि की जा सके....

मिर्जापुर से संतोष देव गिरी की रिपोर्ट

जनज्वार ब्यूरो। महज कुछ हिस्सों की जमीन के लिए सरकारी अभिलेखों में सगे संबंधियों तथा राजस्व विभाग की मिलीभगत से जीवित होते हुए भी 'मृत' घोषित कर दिए गए भोला उर्फ श्याम नारायण सिंह पटेल को अब एक और 'अग्नि परीक्षा' डीएनए टेस्ट से गुजरना पड़ा है। कलेक्ट्रेट में पहुंचकर 'हुजूर मैं जिंदा हूं..... भूत नहीं मैं जिंदा हूं---' की तख्तियां हाथों में लेकर प्रदर्शन करने वाले भोला के प्रकरण को लेकर मीडिया सहित चारो ओर हो रही छिछालेदर के बाद जागे प्रशासन ने मामला मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संज्ञान में पहुंचने, शासन से सख्त निर्देश होने पर प्रशासन हरकत में आ गया है।

आनन-फानन में सरकारी अमले को भोला के गांव अमोई भेज कर सरकारी मुलाजिमों से न केवल पिछले दिनों उसकी पहचान कराई गई, बल्कि अब उसका डीएनए टेस्ट भी करवाया गया है, ताकि भोला के जीवित होने की पुष्टि की जा सके। अब यह अलग बात है कि शनिवार को भोला तो अपना डीएनए टेस्ट कराने के लिये स-समय, स-शरीर उपस्थित हुआ, लेकिन उनका भाई नहीं आया था। हालांकि इस मामले में कई और भी ऐसे अनसुलझे पेंच फंसे हुए हैं जो प्रशासन की नाकामी को भी दर्शा रहे हैं।

ग्राउंड रिपोर्ट : असल जिंदगी के मुसद्दीलाल, खुद को जिंदा साबित करने के लिए 10 साल से खा रहे दर-दर की ठोकरें

विदित हो कि उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जनपद के अमोई गांव निवासी भोला सिंह उर्फ श्याम नारायण सिंह पुत्र बसंत सिंह की जिन्हें राजस्व निरीक्षक व लेखपाल ने उनके भाई राज नारायण की मिलीभगत से राजस्व विभाग के कागजातों में मृत घोषित कर उनके समूचे संपत्ति को उनके भाई के नाम कर दिया है। जिसके लिए भोला पिछले 15 वर्षों से अपने को जीवित दिखाकर कागजों में भी जीवित दर्ज करने के लिए दर दर की ठोकर खाते फिर रहे हैं, बावजूद इसके उन्हें अभी तक न्याय नहीं मिल पाया है। वह मुख्यालय पर अधिकारियों के भी चक्कर काट चुके हैं पर अभी तक किसी का भी दिल नहीं पसीजा है।

भोला सिंह के मुताबिक सदर तहसील के ग्राम अमोई की खतौनी सन -1403-1408 फसली के खाता संख्या 166 में कुल 6 गाटा कुल रकबा 1 बीघा 15 बिस्वा 12 धुर पर उनका वह उनके भाई राज नारायण का नाम दर्ज है। इसी खतौनी में राजस्व निरीक्षक शहर का पक-11 का आदेश अंकित है। 24 दिसंबर 1999 के अनुसार मृतक भोला के स्थान पर राज नारायण पुत्र बसंत का नाम बतौर वारिस अंकित किया गया है। जब यह जानकारी पीड़ित भोला को हुई कि उसके जीवित रहते हुए भी उसे राजस्व निरीक्षक शहर व लेखपाल अमोई द्वारा मृत्य दिखाकर उसकी समस्त जमीन को उसके भाई के नाम कर दिया गया है तो उसके पैरो तले जमीन खिसक गई।

पीड़ित भोला ने तहसील दिवस पर स्वयं के जीवित होने के साथ फर्जी तरीके से उसका नाम काटकर हेराफेरी कर भाई का नाम दर्ज करने पर न केवल आपत्ति दर्ज कराई बल्कि कार्रवाई की मांग की लेकिन कोई असर ना होता देख थक हारकर न्यायालय सीजीएम मिर्जापुर की अदालत में गुहार लगाई। जिस पर न्यायालय द्वारा तत्काल शहर कोतवाली पुलिस को निर्देशित किया गया था कि तत्कालीन राजस्व निरीक्षक शहर व लेखपाल अमोई के विरुद्ध शहर कोतवाली में एफ.आई.आर दर्ज किया जाए।

उक्त मामले में एफआईआर दर्ज कर आरोप पत्र भी पुलिस द्वारा धारा 420, 467, 468, 471 भारतीय दंड विधान में सीजीएम न्यायालय को प्रेषित कर दिया गया, बावजूद इसके अभी तक उसे खतौनी में जीवित नहीं दर्शाया गया। हैरानी की बात है कि भोला यदि मृत हो गया था तो वारिस के तौर पर क्यों नहीं उसकी पत्नी और बेटों का नाम दर्ज किया गया? दूसरा यदि भोला जीवित नहीं है तो फिर फर्जीवाड़े के मामले में मुकदमे किसने दर्ज कराएं? कैसे एक मृत व्यक्ति द्वारा मुकदमा दर्ज कराया गया? यह ना केवल एक अहम सवाल है, बल्कि राजस्व विभाग के फर्जीवाड़े को भी उजागर करता है और प्रशासन को भी कटघरे में खड़ा कर रहा है।

कागजों में मृत घोषित किए गए जिंदा सशरीर घूम रहे भोला उर्फ़ श्याम नारायण सिंह पटेल के पास आधार कार्ड है तथा तहसील प्रशासन द्वारा जारी निवास प्रमाण पत्र भी है, बावजूद उन्हें जीवित होने की दुहाई देनी पड़ रही है।भोला प्रकरण का मामला योगी आदित्यनाथ के संज्ञान में पहुंचने पर मुख्यमंत्री द्वारा जिला प्रशासन को सख्त निर्देश देते हुए एक सप्ताह में इसकी रिपोर्ट तलब थी गई थी जिसका असर यह रहा है कि जिलाधिकारी के निर्देश पर सदर तहसील प्रशासन ने मामले में तेजी दिखानी प्रारंभ कर दी है, भोला जहां खुलकर अपने को जीवित साबित करने के लिए हर एक अग्निपरीक्षा देने को तैयार है वहीं उनका छोटा भाई कतराता नजर आ रहा है।

शनिवार को डीएनए टेस्ट के लिए भोला तो हाजिर हुआ और अपना डीएनए टेस्ट के लिए ब्लड सैंपल भी दिया है, लेकिन उसका भाई रुप नारायण काफी इंतजार के बाद भी अपना ब्लड सैंपल देने के लिए हाजिर नहीं हुआ है। भोला का ब्लड सैंपल रामनगर लैब के लिए भेजा गया है जहां से रिपोर्ट आने के बाद ही उसके जीवित होने की पुष्टि की जाएगी। वहीं दूसरी ओर अब भोला के जीवित होने और इस फर्जीवाड़े को लेकर ग्रामीण भी मुखर होते दिखाई देने लगे हैं।

साहब अब मुझे भी जीवित करवा दिजिये?

मिर्जापुर सदर तहसील के जिगना थाना क्षेत्र के बौता विश्वेवर सिंह गांव निवासी कबीरदास बिंद (72) जिन्हें महज आवास योजना से वंचित करने के लिये मृत दिखा दिया गया है। जो अपने को जीवित साबित करने के लिए पिछले कई वर्षों से दर-दर की ठोकरें खाते फिर हैं, लेकिन अभी तक इन्हें कागजों में जीवित घोषित नहीं किया गया है। ग्राम प्रधान, सेक्रेटरी तथा बीडीओ की हठधर्मिता के कारण कबीर दास जीवित होकर भी कागजों में मृत बने हुए हैं। भोला प्रकरण में प्रशासन की तेजी देखकर उन्हें भी अब कागजों में जीवित होने की उम्मीद जगी है। 'जनज्वार' से बातचीत करते हुए उन्होंने एक बार पुन: प्रशासन से गुहार लगाते हुए कहा है कि 'साहब मुझे भी अब कागजों में जीवित करवा दीजिए?'

जिलाधिकारी सदर गौरव श्रीवास्तव का कहना है कि इन मामलों को गंभीरता से लिया गया है जांच कराकर उचित कार्रवाई की जाएगी, जो दोषी पाया जाएगा उन पर कार्रवाई भी की जाएगी। लेकिन यह कार्यवाही कब की जाएगी? कब तक जांच पूरी होगी? दूसरे भोला जब मृत है तो आधार कार्ड, निवास प्रमाण पत्र कैसे बना? भोला की गुहार पर इस फर्जीवाड़े में न्यायालय द्वारा मुकदमा दर्ज कराया गया है यह कैसे संभव हो पाया? तथा कबीर दास यदि मृत है तो उन्हें राशन इत्यादि का लाभ कैसे मिलता है मामले में यदि सरकारी अभिलेख में त्रुटि हुई है तो उसे दुरुस्त क्यों नहीं किया गया? इस पर बस एक ही रटारटाया जवाब होता है है तो कि जांच कराई जायेगी।

Next Story

विविध