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उत्तर प्रदेश

Kanpur News : 17 माह से शव के साथ सो रहा था परिवार, पिता ने कहा अंतिम संस्कार के वक्त चलने लगीं सांसें तो....

Janjwar Desk
23 Sep 2022 4:44 PM GMT
Kanpur News : 17 माह से शव के साथ सो रहा था परिवार, पिता ने कहा अंतिम संस्कार के वक्त चलने लगीं सांसे तो....
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Kanpur News : 17 माह से शव के साथ सो रहा था परिवार, पिता ने कहा अंतिम संस्कार के वक्त चलने लगीं सांसे तो....

Kanpur News : कानपुर में शुक्रवार को एक अजीबो गरीब मामला सामने आया है। इस मामले में मां-बाप की ममता सामने लाएं या दिमागी क्रोनोलॉजी कहें दोनो पर ही इंतजार करना होगा, क्योंकि मामला जांच का विषय है...

Kanpur News : कानपुर में शुक्रवार को एक अजीबो गरीब मामला सामने आया है। इस मामले में मां-बाप की ममता सामने लाएं या दिमागी क्रोनोलॉजी कहें दोनो पर ही इंतजार करना होगा। क्योंकि मामला जांच का विषय है। एक परिवार अपने डेढ़ साल पहले मरे बेटे को आज शुक्रवार 23 सितंबर तक कैसे सहेज कर रख सकता है। मामले की पेचीदगी देख कानपुर पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर मेडिकल परीक्षण के लिए भेजा है।

दरअसल, कानपुर के रावतपुर थानाक्षेत्र की छपेड़ा पुलिया स्थित शिवपुरी का है। 2021 की अप्रैल में कोरोना के चलते मरे बेटे के पार्थिव शरीर को परिजन कोमा में चला जाना मानकर अपने पास रखे रहे। परिजनो को यकीन ही नहीं था कि वह मर चुका है। सभी उसे कोमा में जाकर बीमार होने की बात समझ रहे थे। हालांकि, स्वास्थ्य विभाग की टीम को शक है कि केमिकल का प्रयोग कर लाश को इतने दिन तक घर में रखा गया है।

मृतक विमलेश सोनकर अहमदाबाद में इनकम टैक्स में डबल एओ के पद पर तैनात थे। परिजनों का मानना है कि विमलेश अभी भी जीवित है। जबकि उसे कोरोना काल में 18 अप्रैल 2021 में ही मृत घोषित किया जा चुका है। जांच करने पहुंची सीएमओ और डॉक्टरों की टीम हैरत में है। परिजनों के कहने पर बॉडी जांच के लिए जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज यानी हैलट भेजी गई है। मौके पर परिजन भी मौजूद हैं। .

मृतक विमलेश सोनकर को कोरोना की दूसरी लहर के दौरान 22 अप्रैल 2021 को तबीयत बिगड़ने पर मोती हॉस्पिटल में एडमिट करवाया गया था। जहां इलाज के दौरान 22 अप्रैल 2021 को उनकी मौत हो गई थी। जिसका डेथ सर्टिफिकेट परिवार को दिया गया था। इसके बाद परिवार अंतिम संस्कार की तैयारी कर ही रहा था कि कोई चमत्कार हुआ और विमलेश की सांसे वापस लौट आईं। दिल घड़कने के बाद परिवार ने अंतिम संस्कार टाल दिया, और उसे लेकर घर आ गये। ऐसा परिवार का दावा है।

विमलेश सोनकर अपनी पत्नी मिताली के साथ रहते थे। मिताली को-ऑपरेटिव बैंक में जॉब करती हैं, और विमलेश सोनकर अहमदाबाद इनकम टैक्स में AO के पद पर कार्यरत थे। पुलिस के मुताबिक, 'कुछ पड़ोसियों से पूछताछ की गई तो कहा गया कि, उन्हें तो यही विश्वास था कि विमलेश जिंदा हैं और कोमा में हैं। डेढ़ साल से रोजाना घर पर ऑक्सीजन सिलेंडर भी लाए जाते थे। इसलिए कभी उन्हें उनकी मौत का आभास नहीं हुआ और पुलिस को भी जानकारी देना उचित नहीं समझा।'

शरीर से नहीं उठी दुर्गंध

विमलेश के पिता राम अवतार ने बताया कि, धड़कन चल रही थी, तभी हम रखे हुए थे। डॉक्टर से जांच करवाया था, उन्होंने भी जिंदा होने की बात कही। राम अवतार ऑर्डिनेंस फैक्ट्री से सेवानिवृत्त हैं। भाई दिनेश ने बताया- हमने शरीर में कोई भी लेप नहीं लगाया था। जब मरे थे, हम लोग शवयात्रा की तैयारी कर रहे थे। तभी धड़कन चलने पर उनका अंतिम संस्कार रोक दिया। उनके शरीर से भी कोई बदबू नहीं आ रही थी। कुछ यही पड़ोसियों ने भी बताया कि ये परिवार किसी से मतलब नहीं रखता था। इसलिए हम ज्यादा बता नहीं करतो थे। ये सुनने में आया था वो कई दिनों से कोमा में चल रहे हैं। उनके घर से बदबू कभी नहीं आई।

हड्डियों में ही सूख गया मांस

विमलेश की मौत को डेढ़ साल हो रहे हैं। घर के अंदर एक पलंग पर लाश को लिटाकर रखा गया था। मृत शरीर की हालत बेहद खराब हो चुकी है और मांस हड्डियों में ही सूख गया है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि परिजन विमलेश को कोमा में होने की बात बता रहे थे। स्वास्थ्य विभाग की टीम घर पहुंची, तो परिजन ने शव ले जाने से मना कर दिया। परिजन इस बात पर डटे रहे कि विमलेश अभी भी जीवित हैं। टीम ने शव को कब्जे में लेकर हैलट अस्पताल भेजा। अब पोस्टमॉर्टम कराया जा रहा है। हालांकि, डेढ़ साल तक बॉडी के साथ परिवार के लोग कैसे रहे? यह बात किसी को समझ में नहीं आ रही है।

आयकर विभाग के लेटर से खुला मामला

डेढ़ साल से विमलेश जॉब पर नहीं गए थे। ऐसे में आयकर विभाग ने डीएम कानपुर को लेटर भेज कर जानकारी मांगी थी। इस पर डीएम ने CMO की अध्यक्षता में जांच टीम गठित की थी। टीम शुक्रवार को विमलेश के घर पहुंची तब मामले का खुलासे हुआ। लेकिन परिजनों को अब भी भरोसा नहीं हो रहा है कि विमलेश की मौत हो चुकी है। और वह डेढ़ साल तक उसे अपने साथ ही रखते रहे। जिलाधिकारी कानपुर के पास आयकर विभाग से विमलेश की तलाश का पत्र ना आता तो ना पता मामला खुलता भी की नहीं।

इस मामले में जानी-मानी साइकैट्रिक डॉ. आराधना गुप्ता जनज्वार संवाददाता से हुई बातचीत में कहती हैं, 'हो सकता है परिवार का दिमागी संतुलन कुठ ठीक ना हो। पुत्र, पति अथवा भाई के मोह में इस तरह का काम किया गया हो। लेकिन पूरे के पूरे परिवार की मानसिकता इस कदर हो जाए यह समझ से परे है।' बहरहाल इस मामले में अभी पुलिस पड़ताल के साथ मेजिकल रिपोर्ट का इंतजार कर रही है। देखने वाली बात दिलचस्प रहेगी की मामले का जो रहस्योदघाटन होगा, उसमें सामने क्या आएगा?

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