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UP के देवरिया में नितिन गडकरी ने किया था जिस सड़क का शिलान्यास, ढाई साल बाद भी शुरू नहीं हुआ उसका काम
road accidents India : सडक हादसों के लिए फॉल्टी प्रोजेक्ट जिम्मेदार, डीपीआर तैयार वाली कंपनियां उठाए तकनीकी का लाभ
देवरिया, जनज्वार। देवरिया बाइपास की आस अब धूमिल पड़ती जा रही है। शिलान्यास के ढाई वर्ष बाद भी इसकी सुधि नहीं ली जा रही है। लोगों को उम्मीद थी कि बाइपास बनने से भारी व लंबी दूरी का ट्रैफिक बाहर से ही बाहर निकल जाएगा और शहरवासियों को जाम से हमेशा के लिए निजात मिल जाएगी, लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है। इसके चलते शहर में जाम की समस्या विकराल होती जा रही है।
गौरतलब है कि शहर के भीतरी हिस्से में जाम की समस्या से निजात दिलाने के लिए लंबे समय से बाइपास की मांग की जा रही है। राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र की पहल पर सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी अपने पहले कार्यकाल में 25 जनवरी 2018 को देवरिया आए थे। राजकीय इंटर कालेज के मैदान में देवरिया बाइपास एनएच 727-ए की घोषणा करने के साथ ही शिलान्यास भी किया गया था, मगर यह शिलान्यास भी सिर्फ हवाहवाई साबित हुआ। क्षेत्र की जनता जाम से जूझ रही है।
नितिन गडकरी ने जिस सड़क का शिलान्यास किया था वह देवरिया बाइपास बैतालपुर से सोनूघाट तक प्रस्तावित की गई। सोनूघाट की तरफ से महुआनी के बीच 4.9 किलोमीटर तक सड़क पहले से बनी है। उसके चौड़ीकरण के लिए लाहिलपार उर्फ रतनपुर, चक देवरिया, चक सराय बदलदास, घटैला चेती उर्फ चकबंदी, घटैला गाजी, पड़री, परसिया भंडारी, सोनूघाट गांव के किसानों की भूमि अधिग्रहण की जानी थी। वह प्रक्रिया भी रुक गई है।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी की घोषणा के 11 माह बाद देवरिया में एनएच कार्यालय खुला। लोक निर्माण विभाग प्रांतीय खंड कार्यालय के प्रथम तल पर दो कक्ष का इंतजाम किया गया। सहायक अभियंता, जेई व कर्मचारियों की तैनात कर दी गई, लेकिन मामला इससे आगे नहीं बढ़ा।
इस विषय में नेशनल हाईवे देवरिया के सहायक अभियंता बाबर अली का कहना है कि बाइपास के संबंध में अभी तक अग्रिम कार्रवाई नहीं हुई है। देवरिया कार्यालय को इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। यदि हमें उच्चाधिकारियों से इस संबंध में कोई निर्देश मिलेगा तो उसका पालन जरूर किया जाएगा।