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प्रयागराज दलित हत्याकांड : माले ने मनाया राज्यव्यापी विरोध दिवस, मार्च निकाल रहे युवाओं की लखनऊ में गिरफ्तारी पर निंदा की
Prayagraj dalit murder case: भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माले) ने प्रयागराज के फाफामऊ बलात्कार व हत्याकांड के खिलाफ गुरुवार को राज्यव्यापी विरोध दिवस मनाया। घटना की पुलिस जांच को अस्वीकार्य और सामूहिक हत्याकांड को सत्ता संरक्षित बताते हुए उच्च स्तरीय न्यायिक जांच की मांग की। जिला व तहसील मुख्यालयों पर प्रदर्शन कर राज्यपाल को संबोधित पांच सूत्री मांगों के साथ ज्ञापन भेजा।
इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि प्रयागराज कांड में मुख्यमंत्री योगी के पुलिस-प्रशासन की भूमिका उन्नाव से लेकर हाथरस कांड को दोहराने जैसी है। योगी सरकार के कार्यकाल में हुए उक्त दोनों कुख्यात मामलों में भी दबंग अपराधियों को बचाने के लिए शुरू में एड़ी-चोटी का जोर लगाया गया, कुछ वैसा ही नजारा प्रयागराज की घटना में भी दिखाई पड़ रहा है। नामजद सवर्ण आरोपियों को देखते हुए मामले पर लीपापोती करने और जांच की दिशा को भटकाने की कवायद हो रही है।
नेताओं ने कहा कि योगी सरकार की दबंगों को संरक्षण देने की अघोषित नीति के चलते ही उत्तर प्रदेश महिलाओं और दलितों के लिए सर्वाधिक असुरक्षित हो गया है। भाजपा की नजर में भले ही यह उत्तम प्रदेश है, लेकिन असल में यह हत्या प्रदेश बन गया है, जहां आये दिन गैंगरेप और नरसंहार जैसी घटनाएं हो रही हैं। कानून व्यवस्था का कहीं पता नहीं है और पुलिस अपराध की घटनाओं में जाति देखकर कार्रवाई करती है।
राज्यपाल आनंदी बेन पटेल को भेजे ज्ञापन में न्यायिक जांच के अलावा अभियुक्तों को गिरफ्तार कर सख्त सजा देने, नामजद आरोपियों को पूर्व में संरक्षण देने वाले स्थानीय थाने को भी जांच के दायरे में लाकर कार्रवाई करने, पीड़ित परिवार के लोगों को आर्थिक मदद, सरकारी नौकरी व सुरक्षा उपलब्ध कराने और प्रदेश में दलित व महिला उत्पीड़न पर रोक लगाने की मांग की गई। राजधानी लखनऊ में बीकेटी, सरोजिनी नगर व सदर तहसील मुख्यालयों पर प्रदर्शन कर अधिकारियों को ज्ञापन सौंपे गए। इसके अलावा प्रदेश के अन्य जिलों में भी मार्च और प्रदर्शन हुए।
इस बीच, भाकपा (माले) की राज्य इकाई ने गुरुवार को रोजगार की मांग को लेकर उत्तर प्रदेश छात्र-युवा अधिकार मोर्चा के बैनर तले राजधानी में विधानसभा मार्च निकाल रहे छात्रों-युवाओं को हुसैनगंज चौराहे के पास गिरफ्तार कर लेने की कड़ी निंदा की है और इसे योगी सरकार की अलोकतांत्रिक कार्रवाई करार दिया है।
पार्टी ने कहा है कि योगी सरकार ने 14 लाख रोजगार प्रति वर्ष देने का वादा किया था, जिसके हिसाब से पांच वर्षों में सत्तर लाख युवाओं को रोजगार मिलने चाहिए थे। लेकिन खुद योगी सरकार के अनुसार गुजरे पांच वर्षों में महज चार लाख रोजगार मिले। मगर सरकार के इस आंकड़े में भी हेराफेरी है। उत्तर प्रदेश सरकार के अधीन 25 लाख पद रिक्त पड़े हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक से नौकरियां मिलने के बजाय लटक जाती हैं।