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उत्तर प्रदेश

पिता के अंतिम संस्कार में मंहगी एंबुलेंस से हारा बेटा, मजबूरन ई-रिक्शा में ले जाना पड़ा शव

Janjwar Desk
28 April 2021 6:38 AM IST
पिता के अंतिम संस्कार में मंहगी एंबुलेंस से हारा बेटा, मजबूरन ई-रिक्शा में ले जाना पड़ा शव
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पिता का शव ले जाने के लिए बेटा तनिष्क प्रताप सिंह एंबुलेंस संचालकों के पास पहुंचा, उससे कहा कि 24 घंटे की कोविड रिपोर्ट चाहिए....

जनज्वार, अलीगढ़। उत्तर प्रदेश सरकार के बड़े दावों के बीच कोरोना संक्रमण की आपदा में प्राइवेट एंबुलेंस संचालकों ने अवसर तलाश लिए हैं। अगर आपके पास कोविड की रिपोर्ट है तो चार हजार रुपये और नहीं है तो एंबुलेंस का किराया आठ हजार रुपये तक मांगा जा रहा है। वहीं सोमवार को एक दर्दनाक स्थिति तब सामने आई। जब सराय हकीम निवासी चेतन गुप्ता को अपने पिता के शव के लिए एंबुलेंस ही नहीं मिली। पुलिसकर्मियों ने भी काफी फोन किए। लेकिन एंबुलेंस नहीं आने पर मजबूरन चेतन अपने पिता का शव ई-रिक्शा में लेकर श्मशान घाट पहुंचे।

अलीगढ़ के हाजीपुर गांव निवासी वेद प्रताप सिंह दस अप्रैल को सड़क हादसे में घायल हो गए थे। इसके बाद से वह रामघाट रोड स्थित मैक्सफोर्ट अस्पताल में भर्ती थे। सोमवार को उन्हें छुट्टी मिली तो बेटा तनिष्क प्रताप सिंह एंबुलेंस संचालकों के पास पहुंचा। यहां एंबुलेंस संचालकों ने बताया कि 24 घंटे की कोविड रिपोर्ट चाहिए। अगर है तो चार हजार रुपये किराया लगेगा। नहीं तो आठ हजार रुपये लगेंगे।

इसके अलावा शहर के विभिन्न लोगों से शव श्मशान घाट पहुंचाने के लिए तीन से पांच हजार रुपये मांगे जा रहे हैं। वहीं दर्दनाक तस्वीर देखने तो तब मिली, जब सराय हकीम निवासी रामेंद्र प्रताप गुप्ता के शव को श्मशान पहुंचाने के लिए कोई एंबुलेंस नहीं मिली। बेटा चेतन गुप्ता ने बताया कि सात दिन पहले आरटीपीसीआर का टेस्ट घर से कराया था। जिसकी रिपोर्ट नहीं आई। इसके बाद रविवार को दीनदयाल जाकर फिर से टेस्ट कराया।

सोमवार सुबह आठ बजे के लगभग घर पर ही पिता की मौत हो गई। जानकारी पर पुलिसकर्मी आए थे। एंबुलेंस नहीं मिली तो ई-रिक्शा तय किया गया। पुलिसवालों ने मानवीयता के आधार पर शव को ई-रिक्शा में रखवाया। चेतन ने बताया कि वह और उनकी पत्नी क्वारंटीन हो गए हैं। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं सोचा था कि पिता का शव ई-रिक्शा में पहुंचाना पड़ेगा। इसके अलावा नुमाइश श्मशान घाट पहुंचे लोगों ने बताया कि एंबुलेंस संचालक शव लाने के लिए तीन-तीन, चार-चार हजार रुपये मांग रहे हैं। आखिर इन पर कोई नकेल क्यों नहीं कस रहा है।

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