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ग्राउंड रिपोर्ट : यूपी उपचुनाव पर घाटमपुर की जनता बोली नहीं देंगे वोट, जीतने के बाद कोई नहीं आता काम
मनीष दुबे की रिपोर्ट
जनज्वार, घाटमपुर। यूपी में उपचुनावी बिगुल बज चुका है। प्रत्याशियों ने जनमानस की चरणवंदना शुरू कर दी है। 8 विधानसभा सीटों में से 7 पर उपचुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया गया है। रामपुर की स्वार सीट को छोड़कर बाकी की सात सीटों पर उप चुनाव होगा। बता दें कि 8 सीटों में से 5 सीट पर 2017 में निर्वाचित विधायकों के निधन की वजह से सीटें खाली हुईं हैं। 2017 विधानसभा चुनाव की बात करें तो 8 में से 6 सीटों पर भाजपा का कब्जा था।
घाटमपुर विधानसभा की सीट- 218 पर 2017 में भाजपा से कमल रानी वरुण विजयी होकर विधायक बनी थीं। कोविड-19 से संक्रमित होने के बाद उनका निधन हो गया था, जिसके बाद यह सीट खाली हो गई थी। कमल रानी के निधन होने के बाद लोगों का कयास ये था कि उनकी बेटी अश्वनि वरूण को भाजपा से टिकट दिया जाएगा। बावजूद इसके भाजपा ने सभी अटकलों को विराम देते हुए उपेन्द्र पासवान पर दांव खेला है। तो कांग्रेस ने कृपाशंकर संखवार को उम्मीदवार बनाया है। सपा से इंद्रजीत कोरी और बसपा से कुलदीप संखवार मैदान में हैं।
इस उपचुनावी माहौल में जनज्वार जब जनता का मूड जानने गया तो लोग कई तरह से नाखुश दिखे। किसी को पूर्व विधायक से निराशा मिली, तो कोई सत्तापक्ष से हताश दिखा। जाजपुर गांव की पूरी जनता बोली कि हम इस चुनाव में वोट ही नहीं करेंगे। सूखपुर के युवक ने कहा कि 'नेता अइहैं तौ मरिबे।' इन सब बातों से अनुमान साफ लगाया जा सकता है कि जनता अब अपने वोटों से जिताए गए प्रत्याशियों से क्या चाहती है?
यहाँ के जाजपुर, सूखापुर, स्योंदी ललईपुर इत्यादि गाँवो में हमें एक भी आदमी ऐसा नहीं दिखा जो चुनाव, पार्टी, प्रत्याशी, नेता, विधायक से खुश हो। जाजपुर गाँव में हमारे जाते ही समस्याओं का अंबार लग गया। यहाँ 12 सौ के करीब आबादी है जिनमें अधिकतर दलित हैं। इस गाँव के बुजुर्ग जगतपाल कहते हैं कि 'वोट देने का फायदा ही क्या है, जब हमारी सुनी ही नहीं जाती। आते हैं हाथ-पैर जोड़कर वोट मांगते हैं। जीत जाते हैं फिर दिखाई ही नहीं देते। कोई काम हो तो खुद ही दौड़े घूमो, अईसा नेता विधायक से का फायदा है। यहाँ कई लोगों ने एक सुर में कहा कि वो इस उपचुनाव में वोटों का बहिष्कार करेंगे।
फूलनदेवी सहित कई महिलाओं ने पुरूष बिरादरी का सपोर्ट करते हुए 'जनज्वार' को बताया 'यहाँ साफ पानी तक पीने की व्यवस्था नहीं है। मोल पानी लेना पड़ता है, जिसका महीने में 200 रूपया किराया लिया जाता है। चुनाव के समय नेता अईहैं औ पायन मा गिर जईहैं। वोट देव तौ ओखे बाद नजर नाई आवत हैं। फूलन बोली क्या फायदा है अईसे मा वोट करे, बताव अच्छा?' इस गाँव की महिलाओं की तरफ से भी एक ही सुर में आवाज उठी कि 'जब हमरे घरन के आदमी वोट ना द्याहैं तौ हमहूँ ना देबे।'
संवाददाता अपनी गाड़ी स्टार्ट कर दूसरे गाँव जाने के लिए चला ही था कि थोड़ी ही दूर झोपड़ी डालकर पत्नी व बच्चों समेत रह रहा कलुआ भागते हुए आया। हमारे पास आकर कलुआ बोला 'साहब आव दिखावन तुम्हैं, कईस झोपड़ी मा रई रहेन। गांव का प्रधान पक्के मकानन वालेन का प्रधानमंत्री वाले मकान दई देत है, हमै कुछ मिलतै नाई है।' आगे कलुआ कहता है 'अबकी कऊनो नेता वोट मांगन आगा तौ मरिबे।' पास ही खड़ी कलुआ की पत्नी कहती है 'हर बार पाँय छूई के बस चूतिया बना जात हैं। होत हबात कहूँ कुछ नाईं है।'
लगभग आधा किलोमीटर आगे चलने पर गाँव आया सूखापुर, जहाँ की आबादी 16 से 17 सौ तक बताई जाती है। यहाँ कुछ लोग घरों के बाहर बैठकर चाय पी रहे थे तो कुछ अखबार पढ़ रहे थे। चुनावी जायजा लेने पर इन लोगों ने यहाँ की पूर्व विधायक व राज्य में मंत्री रहीं कमलरानी वरूण को कोसना शुरू कर दिया। भईयन के नाम से सम्बोधित हो रहे व्यक्ति ने हमें बताया कि 'आज तक कमलरानी गांव में झांकने तक नहीं आई हैं। चलो हम दिखाये क्या हालत है यहां की हमारे दरवाजे घुटनो तक का पानी भरा हुआ है। नाली कि निकासी तक की व्यवस्था यहाँ नहीं है।'
भईयन के बगल में बैठे दूसरे व्यक्ति से बात करने पर पता चला उसने पिछली बार भाजपा की कमलरानी को वोट दिया था। उसने स्वीकार किया की यह उसकी भूल थी। इस बार वह अपना प्रत्याशी कोई दूसरा चुनेगा। उसने हमसे कहा 'ना नाली है, ना पानी है, विधायक जी कभी हाल खबर तक लेने नहीं आती तो अईसे मा फायदै का है वोट दईके जितावैं का।' प्रत्याशियों का गावों में आना शुरू हो चुका है और इस गाँव के लोग कोई ठीक प्रत्याशी जो उनके बीच रहकर काम करे उसे तवज्जो देने का मन बना चुके हैं।
हमने यहाँ के कुछ लोकल पत्रकारों से भी बात की। उनसे चर्चा की कि यूपी की चार प्रमुख पार्टियों के प्रत्याशियों का उनके क्षेत्र में कैसा माहौल चल रहा है। एक लोकल टीवी चैनल के पत्रकार विवेक पाल ने हमें बताया कि 'अभी तक का जो समीकरण निकलकर सामने आया है उसके मुताबिक कांग्रेस पार्टी का प्रत्याशी कृपाशंकर संखवार बढ़त बनाता दिख रहा है। बढ़त इसलिए भी कि इन चारों प्रत्याशियों में सिर्फ कांग्रेस का ये प्रत्याशी यहीं का निवासी है, बाकी चारों प्रत्याशी बाहर से लाकर इस उपचुनाव में उतारे गए हैं।'
विवेक के साथ के दूसरे पत्रकार ए.सूफियान ने हमसे कहा, 'हालांकि कांग्रेस प्रत्याशी का एक कोई मामला है, उसमें अगर उनपर कोई अड़चन नहीं आती तो कृपाशंकर संखवार चुनाव निकाल सकते हैं। और यदि किसी सूरत में वह चुनाव नहीं लड़ पाते हैं तो भाजपा की सीट निकलनी तय है।'