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किसानों के समर्थन में पैदल मार्च निकालने पर UP पुलिस ने वामपंथी नेता चतुरानन ओझा, बाबूराम विश्वकर्मा और विजय जुआठा को भेजा जेल
जनज्वार, लखनऊ। गणतंत्र दिवस वाले दिन दिल्ली में अच्छा-खासा दंगल देखने को मिला, जिसके बाद सरकार की कूटनीतिक चाल के बाद किसानों का धरना धीमा होता नजर आ रहा है। 26 जनवरी को हुए इस धरने को लेकर देश के कई राज्यों में इसका असर और समर्थन दिखा, जिसमें उत्तर प्रदेश भी अछूता नहीं रहा। यहां के कई जिलों में किसानों का समर्थन हुआ जिसके बाद सामाजिक कार्यकर्ताओं को जेल भी भेजा गया।
देवरिया के सामाजिक कार्यकर्ता और कम्युनिस्ट पार्टी के नेता डॉ चतुरानन ओझा पुत्र जगदीश ओझा निवासी बहादुरपुर थाना खुखुंदू को भी आज किसान समर्थन के चलते योगी सरकार की पुलिस ने जेल भेज दिया है। दरअसल चतुरानन ओझा ने 26 जनवरी वाले दिन सैंकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ तिरंगा लेकर पैदल मार्च निकाला था। मार्च निकलने के अगले दिन यानी 28 जनवरी से 3 फरवरी तक कचहरी में भूख हड़ताल और धरना प्रदर्शन का कार्यक्रम तय था।
कचहरी में धरना कार्यक्रम के बाद चतुरानन ओझा सहित सभी कार्यकर्ताओं ने 4 फरवरी को शांतिपूर्वक चौरी चौरा चौक तक पैदल मार्च का कार्यक्रम तय हुआ था। आज 28 जनवरी की सुबह 11 बजे देवरिया कचहरी में धरना प्रदर्शन की शुरुआत थी। जिसके पहले ही सामाजिक कार्यकर्ता चतुरानन ओझा को उनके निवास से साढ़े 10 बजे थाना खुखुंदू की पुलिस गिरफ्तार कर ले गई। जहां से उन्हें सलेमपुर कोतवाली भेज दिया गया, जहां उनके साथ सामाजिक कार्यकर्ता कृष्णा जायसवाल भी मौजूद थीं।
सामाजिक कार्यकर्ता अजय राय ने जनज्वार को बताया कि चतुरानन ओझा को कोतवाली में कुछ देर बिठाने के बाद शांतिभंग में चालान कर जिला जेल देवरिया भेज दिया गया है। उन्होंने कहा कि चतुरानन को जेल भेजने के लिए डीएम देवरिया खुद कोतवाली आये थे।
अजय राय का इस पूरी प्रक्रिया में कहना है कि देश सहित प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार पूरी तरह से तानाशाही पर उतारू हो चुकी है। शांतिपूर्ण धरना या प्रदर्शन करना हम देशवासियों का मौलिक अधिकार है जिसका ये सरकार गला घोंटना चाहती है।
पेशे से वकील अरविंद गिरी कहते हैं, सामाजिक कार्यकर्ता चतुरानन ओझा के अलावा ,को भी संयुक्त किसान आन्दोलन के समर्थन में धरना देने के कारण उत्तर प्रदेश सरकार के इशारे पर उत्तर प्रदेश पुलिस ने कल 28 जनवरी की सुबह गिरफ्तार कर लिया गया था। पुलिस धरना स्थल से दरी बैनर को भी अपने साथ उठा ले गई है। अब तमाम सामाजिक-राजनीतिक संगठनों ने इन लोगों की गिरफ्तारी की निंदा की है।