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गिरधारी एनकाउंटर के बाद रिहाई मंच का बयान, यूपी में सुपारी किलर की तरह काम कर रही है पुलिस
लखनऊ, जनज्वार। रिहाई मंच ने लखनऊ में गिरधारी एनकाउंटर को पुलिसिया गैंगवार ठहराया है। रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि एक के बाद एक पुलिस के एनकाउंटरों के दावों के बीच हत्या और यहां तक कि पुलिस पर हमले साफ करते हैं कि यूपी में अपराधियों की गैंगवार के साथ पुलिसिया गैंगवार भी चल रही है।
रिहाई मंच ने कहा, बलिया के सिकंदरपुर थाने में दलित युवक की बेरहमी से पिटाई, कासगंज में अपराधियों द्वारा पुलिस को बंधक बनाकर हत्या-घायल करना, आज़मगढ़ में बीडीसी आलम की दिनदहाड़े हत्या, जौनपुर में कृष्णा यादव की हिरासत में मौत के बाद राजधानी में गिरधारी का एनकाउंटर यूपी में ध्वस्त हो चुकी कानून व्यवस्था का उदाहरण है। एक घटना को छिपाने के लिए दूसरी घटना को अंजाम देना ये अपराधियों का काम है न कि सरकार का। योगी आदित्यनाथ अपराधियों के सफाए के नाम पर ठोक दो-ऊपर पहुंचा दो, की जिस नीति पर चल रहे हैं वो प्रदेश की कानून व्यवस्था के लिए भारी पड़ रही है।
गिरधारी एनकाउंटर पर बोलते हुए राजीव यादव ने कहा कि ठीक इसी तरह कुछ महीने पहले राजधानी में राकेश पांडेय का एनकाउंटर और ठीक इसी तरह विकास दुबे के एनकाउंटर का दावा पुलिस ने किया था। योगी सरकार की मशीनरी को समझना चाहिए कि हत्या का जवाब हत्या नहीं होती।
रिहाई मंच महासचिव ने कहा, राजधानी में अजीत सिंह हत्याकांड और दिल्ली में गिरधारी की गिरफ्तारी के बाद यूपी पुलिस द्वारा रिमांड के दौरान उसका एनकाउंटर बहुत से सवालों को छोड़ जाता है। ठीक जैसे विकास दुबे के मारे जाने और उसके घर को जमींदोज़ करने से बहुत से पुलिस पर उठने वाले सवाल दफन हो गए। ठीक इसी तरह गिरधारी के मारे जाने के बाद भी अजीत हत्याकांड के कई सवाल उसके साथ ही खत्म हो जाएंगे, जैसा कि पुलिस द्वारा जो कहा जा रहा है कि अजीत सिंह की हत्या की साजिश आज़मगढ़ जेल में रची गई थी, अब गिरधारी के न रहने पर पुलिस के इन बयानों की क्या प्रासंगिकता रह जाएगी।
वहीं ध्रुव सिंह कुण्टू को कासगंज जेल में स्थांतरण किये जाने से उनकी सुरक्षा पर भी सवाल उठते हैं। कुण्टू पर विधायक सीपू सिंह की हत्या और इस मामले के गवाह अजीत सिंह की हत्या का भी आरोप है। ये सवाल इसलिए अहम है क्योंकि मुन्ना बजरंगी की पत्नी कहती रहीं कि उनके पति की जान खतरे में है और जेल में ही बजरंगी की हत्या हो गई।
रिहाई मंच ने कहा कि कानून व्यवस्था जैसे महत्वपूर्ण सवालों पर सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ को गंभीरता से सोचना चाहिए। उनके अदूरदर्शी फैसलों की वजह से पुलिसकर्मियों तक का जीवन असुरक्षित हो गया है। योगी कहते रहे हैं कि यूपी में मॉब लिंचिंग नहीं है, लेकिन बुलंदशहर में उन्हीं के इंस्पेक्टर सुबोध कुमार को भाजयुमो-बजरंग दल के लोगों ने दौड़ाकर-पीटकर मार डाला था।
पूर्वांचल में चल रहा ये गैंगवार अगर रुका नहीं तो दर्जनों जानें चली जाएंगी, जिसे यह कहकर नहीं टाला जा सकता कि ये सब अपराधी हैं। अपराधी हैं तो उनको सही रास्ते पर ले आना राज्य की जिम्मेवारी और जवाबदेही है। सिर्फ ये कहकर कि इतनों का सफाया कर दिया, इससे व्यवस्था नहीं चलती।