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Uttar Pradesh News : महोबा में बुखार से तड़पती महिला को 7 दिन बाद भी नहीं मिली खाद, कैसे होगी खेती?

Janjwar Desk
2 Nov 2021 8:01 AM GMT
Uttar Pradesh News : महोबा में बुखार से तड़पती महिला को 7 दिन बाद भी नहीं मिली खाद, कैसे होगी खेती?
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बुंदेलखंड क्षेत्र में जिलों में खाद की भारी किल्लत। महोबा मंडी में खाद के इंतजार में कई दिनों से बैठी महिलाएं।

Uttar Pradesh News : किसी को एक बोरी खाद नहीं मिल रही है और कोई अफसरों और समिति के कर्मचारियों की मिलीभगत से कई-कई बोरी खाद गाड़ी में लादकर ले जा रहे हैं।

Uttar Pradesh News : बुंदेलखंड में किसान खाद की भारी किल्लत से जूझ रहे हैं। महोबा में तो खाद की किल्लत का आलम ये है कि नाथुपुरा की रहने वाली 57 साल की गिरिजा अपने स्वास्थ्य की बिना परवाह किए वह 25 अक्टूबर से महोबा जिला मुख्यालय में स्थित नवीन अनाज मंडी में बने खाद वितरण केंद्र के चक्कर काट रही हैं। वह बुखार से बुरी तरह से पीड़ित है। तीन दिन तक तो वह रातभर अपने पति के साथ मंडी में पड़ी ठिठुरती रहीं। इसके बावजूद अब तक खाद नहीं मिली है। वह कहती हैं, इससे पहले उन्होंने खाद को लेकर इतनी मारामारी कभी नहीं देखी। खाद नहीं मिली तो खेती कैसे होगी?

शशि भी 6 दिनों से काट रही है चक्कर

नवीन अनाज मंडी में गिरिजा के साथ खाद के लिए लाइन में लगी शशि देवी ने बताया कि किसी को एक बोरी खाद नहीं मिल रही है और कोई अफसरों और समिति के कर्मचारियों की मिलीभगत से कई-कई बोरी खाद गाड़ी में लादकर ले जा रहे हैं। वह बताती हैं, "ऊपर से खाद कम आ रही है और जो आ रही है उसकी जमकर कालाबाजारी हो रही है।" शशि भी पिछले 6 दिन से खाद के लिए मंडी के चक्कर काट रही हैं।

महोबा के किसानों का कहना है कि इन इलाकों में सिचाई की अच्छी व्यवस्था न होने से किसानों को मौसम पर निर्भर होना पड़ता हैं। अगर खाद नहीं मिला तो समय से रबी की बुवाई नहीं हो पाएगी, फिर इसका असर रबी की फसल पड़ पड़ेगा। खाद बुंदेलखंड के अलावा उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों में भी कमोवेश यही हाल है।

बुंदेलखंड में खाद की कमी बड़ा सियासी मुद्दा

बुंदलेखंड के बांदा जिले में भी खाद की भारी किल्लत चल रही है। इसको लेकर आक्रोशित किसानों ने सड़कों पर प्रदर्शन भी किया। पिछले कुछ दिनों से आक्रोशित किसानों द्वारा खाद की कमी को लेकर डीएम को ज्ञापन भी दिए जा रहे हैं। यहां मंडियों में खाद चोरी छिपे लोगो को बेचा जा रहा है। नेता और अधिकारी के साथ मिलकर अपने खासमखास लोगो को खाद दे रहे हैं। किसानों का कहना है कि अगर यही स्थिति रही तो किसानों को महंगी दर पर प्राइवेट एजेंसियों से खाद खरीदनी पड़ेगी जिससे खेती में लागत बढ़ जाएगी। ललितपुर जिले में खाद की कमी के कारण पांच किसानों की मौत हो गई थी। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी पीड़ित परिवारों से मिलने गई थीं, जिसके बाद बुंदेलखंड में खाद की कमी एक बड़ा सियासी मुद्दा बन चुका है। अब भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत भी मृतक किसानों से मिलने वाले है।

जमाखोरों को दी कार्रवाई की चेतावनी

केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख मंडाविया ने 1 नवंबर 2021 को किसानों से खाद की जमाख़ोरी न करने और अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील की है। मंत्री जी ने कालाबाज़ारी करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाही की चेतवानी दी थी। मंत्रालय द्वारा दावा किया गया है कि नवंबर में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की मांग से अधिक उर्वरकों का उत्पादन किया जाएगा। जानकारी के मुताबिक 41 लाख मीट्रिक टन मांग के मुकाबले 76 लाख मीट्रिक टन यूरिया का उत्पादन किया जाएगा। वहीं 17 लाख मीट्रिक टन अनुमानित डीएपी की मांग के मुकाबले 18 लाख मीट्रिक टन डीएपी का उत्पादन किया जाएगा।

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