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उत्तर प्रदेश

Kanpur Violence में पीएफआई का हाथ बताने वाले कौन हैं कौसर हसन मजीदी, जानिए उनका भाजपाई कनेक्शन

Janjwar Desk
4 Jun 2022 4:24 PM IST
Kanpur Violence में पीएफआई का हाथ बताने वाले कौन हैं कौसर हसन मजीदी, जानिए उनका भाजपाई कनेक्शन
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Kanpur Violence : मोहम्मद कौसर हसन मजीदी अपने अधिकांश बयानों में राष्ट्रवादी बातों का समर्थन करते नजर आते हैं। इससे साफ है कि उन्हें भाजपा का समर्थन हासिल है।

kanpur Violence : उत्तर प्रदेश में शुक्रवार को नमाज के बाद कानपुर हिंसा की घटना के बाद से जहां सांप्रदायिकता तनाव चरम पर है, वहीं सूफी मोहम्मद कौसर हसन मजीदी ( Sufi Mohammad Kausar Hassan Majidi ) नाम का शख्स अचनाक चर्चा में हैं। इसके पीछे वजह है कि मजीदी ने कानपुर हिंसा के पीछे पीपल फ्रंट आफ इंडिया का हाथ बताया है। साथ ही इस बात के भी संकेत दिए हैं कि जफर हयात का भी पीएफआई से कनेक्शन हो सकता है। उन्होंने हिंसा में पीएफआई की भूमिका की उच्च स्तरीय जांंच की भी मांग की है।

कानपुर हिंसा पर मोहम्मद कौसर हसन मजीदी ( Sufi Mohammad Kausar Hassan Majidi ) का रुख खुलकर सामने आने के बाद से चर्चा इस बात की है कि आखिर वो हैं कौन हैं, क्या करते हैं, उनका सियासी ताल्लुकात किससे है, किसके दम पर वो पीएफआई जैसे संगठन को आंख दिखा रहे हैं, उनका संगठन किन-किन गतिविधियों में लिप्त है। मजीदी पीएफआई पर बैन क्यों लगवाना चाहते हैं। खासतौर से कानपुर दंगे के आरोपियों की गिरफ्तारी में उनकी रुचि के पीछे मकसद क्या है?

कौन हैं सूफी मोहम्मद कौसर हसन मजीदी

फेसबुक, ट्विटर, कू, इंस्टाग्राम व अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर उनके बारे में डिटेल में बस इतना है कि सूफी मोहम्मद कौसर हसन मजीदी सूफी खानकाह एसोसिएशन ( Sufi Khanqah Association ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष है। सूफी खानकाह एसोसिएशन कानपुर बेस्ड है लेकिन इसका नेटवर्क कई राज्यों में फैला है। फेसबुक पोस्ट के मुताबिक वह कानपुर नगर के रहने वाले हैं। पेशे से एक वकील हैं।

क्या है सूफी खानकाह एसोसिएशन का मकसद

फेसबुक पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक सूफी खानकाह एसोसिएशन ( Sufi Khanqah Association ) की स्थापना के पीछे मुख्य मकसद देश और दुनिया में शांति और मानवता का प्रचार और प्रसार करना है। संस्थान को एक कदम इंसानियत की तरफ बढ़ने वाला बताया गया है। संगठन, धर्म के आधार पर विभेद, संघर्ष असैर नफरत का विरोध करता है।

पीएफआई के बारे में क्या है उनकी राय

सूफी खानकाह एसोसिएशन के बतौर अध्यक्ष सूफी मोहम्मद कौसर हसन मजीदी ( Sufi Mohammad Kausar Hassan Majidi ) पीएफआई ( PFI ) को सिम्मी जैसा संगठन मानते हैं। वह मानते हैं कि अधिकांश सांप्रदायिक हिंसा व सियासी मुद्दों पर तनाव के पीछे पीएफआई का ही हाथ है। मजीदी के मुताबिक दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, पश्चिम बंगाल, कनार्टक व अन्य राज्यों में साप्रदायिक घटना के पीछे पीएफआई का ही हाथ है। इस आधार पर वह लंबे समय से पीएफआई को प्रतिबंधित कराने के लिए राष्ट्रव्यापी अभियान चला रहे हैं। हाल में ही एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सूफी कौसर मजीदी के नेतृत्व में 10 दिवसीय कानपुर से दिल्ली तक यलगार यात्रा का आयोजन कर नई दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना दिया था।

ये है भाजपाई कनेक्शन

सोशल मीडिया, यू-ट्यूब, फेसबुक, ट्विटर आदि पर उनके पोस्टों और वीडियों सो साफ झलकता है कि उनका दक्षिण पंथी विचारों के समर्थकों से करीबी का नाता है। तीन मई को उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को एक खत भी लिखा था। खत के जरिए उन्होंने अमित शाह, केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक सरकार से पीएफआई की साजिशों के बारे में सचेत किया है। अपने पत्र में उन्होंने बताया है कि #Ihh #alqaida जैसी विदेशी ताकतों के इशारे पर ये संगठन देश भर में अराजकता फैला रहा है।

मई में बरेली में एक शादी कार्यक्रम सूफी खानकाह एसोसिएशन के संरक्षक पूर्व केंद्रीय मंत्री और वहां के सांसद संतोष गंगवार से भी मिले थे। मुलाकात और बातचीत का फोटो भी संगठन के फेसबुक पर पोस्ट है। इसके अलावा, राष्ट्रवादी मीडिया जी न्यूज, रिपब्लिक भारत, वन इंडिया पर उनके बयान प्रसारित होते रहते हैं। संगठन के फेसबुक पेज पर लोकल मीडिया और डिजिटल मीडिया को जारी प्रेस रिलीज भी पब्लिक डोमेन में है। अधिकांश बयान में वो राष्ट्रवादी बातों का समर्थन करते नजर आते हैं। इससे साफ है कि उन्हें भाजपा का समर्थन हासिल है और उसी के दम पर वो कानपुर हिंसा की उच्च स्तरीय जांच की मांग और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग भी कर रहे हैं।

नुपुर शर्मा को धमकी देना गलत

भाजपा प्रवक्ता नुपुर शर्मा के विवादित बयान की उन्होंने निंदा की है। साथ की मुंबई पुलिस की कार्रवाई का स्वागत भी किया है, लेकिन उनका कहना है कि हिंदू—देवी देवताओं का मजाक उड़ाना भी सही बात नहीं है। ऐसे लोग जो दूसरे धर्मों के खिलाफ दुष्प्रचार व अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल करते हैं उनके खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए। मजीदी का कहना है कि किसी भी धर्म के खिलाफ टिप्पणी करने वालों से सख्ती से निपटने पर ही सदभाव कायम किया जा सकता है। उन्होंने नुपुर शर्मा को दी जा रही धमकियों को गलत बताया है।


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