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उत्तर प्रदेश

पराली निस्तारण के बहाने किसानों को जेल भेजकर उनका उत्पीड़न कर रही है योगी सरकार - अजय लल्लू

Janjwar Desk
4 Nov 2020 12:43 PM GMT
पराली निस्तारण के बहाने किसानों को जेल भेजकर उनका उत्पीड़न कर रही है योगी सरकार - अजय लल्लू
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अजय कुमार लल्लू ने बयान जारी करते हुए बताया कि अकेले सहारनपुर जिले में अबतक सोलह किसानों को एक सप्ताह के भीतर जेल भेजा जा चुका है और सैकड़ों किसान अपनी गिरफ्तारी के डर से घर परिवार छोड़कर भागने को मजबूर हैं.....

लखनऊ। उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने सहारनपुर जिले के किसानों को पराली जलाने के नाम पर मुकदमा दर्ज कर जेल भेजने की योगी सरकार के कृत्य की कड़े शब्दों में निंदा की। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पराली समस्या के समाधान के लिए राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि वह पराली की खरीद कर उसका निस्तारण कराए और पराली निस्तारण के लिए किसानों को समुचित आर्थिक मुआवजे की व्यस्था करे लेकिन राज्य सरकार अपने दायित्वों से मुंह चुराकर किसानों के विरुद्ध मुकदमा लिखकर उन्हें जेल भेजकर प्रताड़ित कर रही है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने बयान जारी करते हुए बताया कि अकेले सहारनपुर जिले में अबतक सोलह किसानों को एक सप्ताह के भीतर जेल भेजा जा चुका है और सैकड़ों किसान अपनी गिरफ्तारी के डर से घर परिवार छोड़कर भागने को मजबूर हैं। प्रदेश सरकार के इस पुलिस उत्पीड़न से किसानों में भय एवं आक्रोश व्याप्त है।

लल्लू ने आगे कहा कि एक तरफ किसानों को धान बेचने के लिए क्रय केंद्रों पर चार-चार दिन तक इंतजार करना पड़ता है और न्यूनतम समर्थन मूल्य 1886 रूपये के स्थान पर तमाम कमियां बताकर 800 से 900 रूपये तक प्रति क्विंटल में किसानों को अपनी धान की उपज को बेचना पड़ रहा है और उनका शोषण हो रहा है।

उन्होंने आगे कहा कि बुंदेलखंड के किसान सूखे की चपेट में हैं और नहरों में पानी न आने के कारण झांसी के किसान बीते तीस अक्टूबर से लगातार धरने पर बैठे हैं क्योंकि समय से पानी न आने की वजह से रबी की फसल की बुआई के लिए खेतों की तैयारी में अत्यधिक देरी हो रही है। पिछली फसल की बर्बादी से कराह रहा किसान अपनी नई फसल से बुआई न कर पाने के भय और आशंका से दुखी है। इस मुद्दे पर सरकार की चुप्पी बता रही है कि उसके एजेंडे में किसान नहीं हैं।

लल्लू ने कहा कि चौदह दिन में गन्ना मूल्य के भुगतान के वादे के सत्ता में आई भाजपा के शासन में 14 हजार करोड़ रूपये गन्ना किसानों का अभी बकाया है जबकि नया पेराई सत्र शुरू होने वाला है। कोर्ट ने आदेश दिया था कि चौदह दिन में भुगतान न होने पर ब्याज सहित गन्ना मूल्य के बकाए का भुगतान मिलों को करना होगा। ब्याज की तो छो़ड़िए हमारा अन्नदाता किसान वर्षों से अपने वास्तविक मूल्य के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहा है जबकि कोविड महामारी के चलते किसों को अपनी खराब आर्थिक हालत के चलते बच्चों की फीस, दवाई, भोजन आदि जरूरतों को पूरा करने में दुश्वारियों का सामना करना पड़ रहा है।

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