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पत्रकार योगेश डिमरी पर हमले के आरोपी शराब माफिया की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने पीड़ित पर ही दर्ज कर दी FIR

Janjwar Desk
3 Sep 2024 11:31 AM GMT
पत्रकार योगेश डिमरी पर हमले के आरोपी शराब माफिया की गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने पीड़ित पर ही दर्ज कर दी FIR
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Uttarakhand news : पत्रकार योगेश डिमरी की ओर से सुनील बालिया उर्फ गंजा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने वाले संदीप भंडारी ने पुलिसिया कार्यशैली पर ही सवाल उठा दिये हैं और वीडियो भी जारी किया है। बुरी तरह घायल पत्रकार योगेश डिमरी और चार अन्य लोगों के खिलाफ विभिन्न धाराओं में पुलिस द्वारा मामला दर्ज किया गया है...

Rishikesh Yogesh Dimri Kand : उत्तराखंड के ऋषिकेश स्थित इंदिरानगर में तीन सितंबर पर पत्रकार योगेश डिमरी पर मारपीट का मामला सामने आया था। इस मामले में यह बात सामने आयी थी कि इंदिरानगर के कथित शराब माफिया सुनील कुमार बालिया उर्फ गंजा के घर में घुसकर शराब की कथित अवैध खेप की वीडियो बना रहे यूट्यूबर योगेश डिमरी और उनके साथियों के साथ मारपीट की गयी थी। इसमें योगेश डिमरी बुरी तरह घायल हो गये थे, जिसके बाद पुलिस ने सुनील बालिया उर्फ गंजा के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उसे गिरफ्तार किया था। अब इस मामले में एक नया मोड़ आ गया है, क्योंकि पत्रकार और उसके साथियों पर भी एक एफआईआर दर्ज की गयी है।

पत्रकार की ओर से सुनील बालिया उर्फ गंजा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने वाले संदीप भंडारी ने पुलिसिया कार्यशैली पर ही सवाल उठा दिये हैं और वीडियो भी जारी किया है। बुरी तरह घायल पत्रकार योगेश डिमरी और चार अन्य लोगों के खिलाफ विभिन्न धाराओं में पुलिस द्वारा मामला दर्ज किया गया है। आरोपी सुनील बालिया उर्फ गंजा की पत्नी बिमलेश ने पत्रकार योगेश डिमरी, सुरेंद्र नेगी, अरविंद हटवाल, वीरेंद्र बिष्ट और कुछ अन्य अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ धारा 115(2), 191(2), 191(3), 324(4), 333, 352(2), 352, और 74 के तहत केस दर्ज करवाया है।

योगेश डिमरी मारपीट कांड में उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी द्वारा पुलिस प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाये गये हैं। उपपा अध्यक्ष पीसी तिवारी ने आरोप लगाया है कि पुलिस प्रशासन की शह पर ऋषिकेश के पत्रकार योगेश डिमरी पर सुनियोजित रूप से शराब माफियाओं के प्राण घातक हमला किया गया। उन्होंने धामी सरकार से डिमरी के हमलावरों तथा उन्हें संरक्षण देने वाले पुलिस प्रशासन, राजनीतिक नेताओं के खिलाफ सख्त कार्यवाही करने की मांग की है। पीसी तिवारी ने कहा है कि यदि सरकार इस मामले में कोताही बरतेगी तो सरकार व नशे की तस्करों को इस राज्य में एक बड़े आंदोलन का सामना करना पड़ेगा।

बकौल पीसी तिवारी उत्तराखंड, देश व दुनिया के अनुभवों से यह बात साबित है कि बिना पुलिस प्रशासन व राजनीतिक संरक्षण के कोई भी माफिया न पनप सकता है, न उनकी इतनी हैसियत होती है कि वह एक जुझारू पत्रकार पर हमला कर लोगों की आवाज दबाने की कोशिश कर सकें। उपपा ने सरकार से योगेश डिमरी पर हमले के आरोपियों को तत्काल गिरफ्तार करने उन पर झूठे मुकदमे लगाकर तस्करों को मदद पहुंचने में लगे सरकारी तंत्र की निष्पक्ष जांच करने और उन्हें सजा दिलाने की पहल करने की भी मांग की है। उपपा ने उत्तराखंड की जनता से राज्य में शराब, भू खनन माफियाओं के बल पर राजनीति करने वाले तत्वों के खिलाफ एकजुटता से अभियान शुरू करने एवं योगेश डिमरी के परिवार को संरक्षण देने की अपील भी की है।

उत्तराखंड के वरिष्ठ पत्रकार योगेश डिमरी पर हमले को कायराना हरकत बताते हुए कहते हैं, 'ऋषिकेश के पत्रकार योगेश डिमरी पर हमला कायराना हरकत है। कायर यही कर सकते हैं। पर सवाल ये कि उन कायरों को ऐसी हिम्मत मिलती कहां से है? मैं सभी पत्रकार साथियों से निवेदन करता हूं कि इन गंभीर परिस्थितियों में हमें कम से कम एक मीटिंग अवश्य करनी चाहिए।'

उत्तराखण्ड मूल के वरिष्ठ पत्रकार उमाकांत लखेड़ा ने भी पत्रकार पिटाई प्रकरण की निंदा की है। वह कहते हैं, 'ऋषिकेश में एक न्यूज पोर्टल के पत्रकार योगेश डिमरी पर शराब माफिया के गुंडों का हमला उत्तराखंड की धामी सरकार और प्रशासन तंत्र को सीधी चुनौती है! जाहिर है माफिया के भाड़े के हमलावर किसी निडर पत्रकार पर जानलेवा हमले का दुस्साहस तभी करते हैं तो उनको पक्का भरोसा होता है कि सत्ता तंत्र का जब पीठ पर हाथ है तो कोई भी उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। निस्संदेह इस छोटे से राज्य में शराब का कई हजार करोड़ का कारोबार करने वाले माफिया की जड़ें यहां इतनी गहरी हो चुकी हैं कि वही राज्य सरकार की शराब नीति को सीधे तौर पर प्रभावित व मौका मिले तो नियंत्रित भी करता है। सरकार की आमदनी का शराब ही सबसे बड़ा जरिया है, लेकिन इससे भी बढ़कर सत्ताधारी पार्टी के चुनावी फंड ही नहीं पहुंच व रसूख वाले वाले अफसरों व नेताओं की अलग से जेबें भरने का काम शराब माफिया के एजेंट बारह महीने करते रहते हैं। ये सब राजस्व की लूट के बदले में होता है।'

उमाकांत लखेड़ा आगे कहते हैं, 'चौंकाने वाला सच यही है कि शराब और अवैथ खनन की ऊपर की अवैध कमाई के बेहिसाब ब्लैक मनी से उत्तराखंड की बहुमूल्य और बेहिसाब धरोहरों और दुर्लभ एसेट्स खरीदी जा रही हैं। ऋषिकेश धार्मिक स्थल है लेकिन मुनिकी रेती जो ऋषिकेश, रामझूला और स्वर्गाश्रम से सटा हुआ है, वहां थोक पैमाने में माफिया का कारोबार बढ़ाने के लिए भाजपा सरकार ने शराब का बड़ा बिक्री डिपो ही खुलवा दिया।'

वह कहते हैं, 'मैंने एक दिन देखा कि चारधाम यात्रा की बसें और दूसरे प्रदेशों के युवा तीर्थ यात्री अपने वाहनों में शराब भरकर आगे बढ़ रहे हैं। दुर्भाग्य तो यह है जिनको लोग वोट देकर सत्ता में लाते हैं वे रोजी,रोटी, सड़क, पानी,अच्छी शिक्षा और रोजगार तो दे नहीं पाए लेकिन पूरी ताकत लगाते हैं कि लोग गांव गांव में नशे की लत में होश खोकर उन्हे हर बार वोट देते रहें, जोर बस इसी पर है। माफिया कोई भी हो उसकी पहुंच बड़ी पार्टियों के हाईकमान या दिल्ली दरबार तक होती है। रिमोट वहीं से चलता है। शराब माफिया की ताकत भ्रष्ट्र तंत्र के बल पर इतनी मजबूत हो चुकी है कि वह जब चाहे सरकार बनवा दें और गिरा दें। इस राज्य में ये सब प्रयोग हो चुके हैं। लेकिन गरीब ,बेबस और मजबूर लोग सत्ता तंत्र और माफिया गठजोड़ का विरोध करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते। बाकियों को फुर्सत ही कहां!'

कांग्रेस नेता हरीश रावत इस मसले पर कहते हैं, 'योगेश डिमरी जो एक पत्रकार के साथ-साथ सोशल एक्टिविस्ट भी हैं और जो अवैध शराब व अवैध खनन के खिलाफ निरंतर आवाज बुलंद करते रहते थे, एक शराब माफिया ने उनको सरेआम इतना पीटा कि वह घायल अवस्था में एम्स ऋषिकेश में भर्ती हैं। ऐसा लगता है कि भाजपा राज में महिला उत्पीड़न, दलित उत्पीड़न, अल्पसंख्यक उत्पीड़न, खनन, शराब व भूमि माफिया के खिलाफ जो भी आवाज उठाएंगे उन सब लोगों किसी न किसी रूप में दंडित किया जाएगा, जिसको पुलिस दंडित नहीं कर सकेगी तो उनको जो है गुन्डों के द्वारा दंडित किया जाएगा और योगेश डिमरी जी ऐसे ही गुंडागर्दी के शिकार हुए हैं और सारे राज्य का जनमानस उनके साथ है, वह शीघ्र स्वस्थ हों और इस संघर्ष को आगे बढ़ाया जाएगा।'

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