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Almora News: डीएनए टेस्ट के बाद 13 साल बाद अपने माता-पिता से मिली नेपाल की यह बेटी, जानें कैसे हुआ कारनामा

Janjwar Desk
24 Feb 2022 11:24 AM GMT
Almora News: डीएनए टेस्ट के बाद 13 साल बाद अपने माता-पिता से मिली नेपाल की यह बेटी, जानें कैसे हुआ कारनामा
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Almora News: डीएनए टेस्ट के बाद 13 साल बाद अपने माता-पिता से मिली नेपाल की यह बेटी, जानें कैसे हुआ कारनामा

Almora News: अपने माता-पिता से 13 साल पहले बिछुड़ी एक लड़की गुरुवार को अपने माता-पिता से मिल गयी। मूल रूप से पड़ोसी देश नेपाल की रहने वाली इस लड़की को उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा जिले में उसके माता-पिता की डीएनए जांच में असली माता-पिता होने की पुष्टि के बाद इस लड़की को उसके माता-पिता की सुपुर्दगी में दिया गया है।

Almora News: अपने माता-पिता से 13 साल पहले बिछुड़ी एक लड़की गुरुवार को अपने माता-पिता से मिल गयी। मूल रूप से पड़ोसी देश नेपाल की रहने वाली इस लड़की को उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा जिले में उसके माता-पिता की डीएनए जांच में असली माता-पिता होने की पुष्टि के बाद इस लड़की को उसके माता-पिता की सुपुर्दगी में दिया गया है। अपनी तरह के इस अनोखे व राज्य के पहले मामले का केंद्र बनी यह लड़की अल्मोड़ा के आश्रय गृह में रह रही थी। यह मामला राज्य का ऐसा पहला बताया जा रहा है जब किसी आश्रय गृह में रह रही किशोरी को डीएनए टेस्ट में पुष्टि के बाद उसके जैविक माता-पिता को सौंपा गया हो।

इस कहानी का घटनाक्रम तब शुरू हुआ जब पड़ोसी राष्ट्र नेपाल निवासी एक दंपत्ति की पांच वर्षीय बच्ची को उनका कोई रिश्तेदार ले गया था। इस रिश्तेदार से बच्ची रास्ते में बिछुड़ गयी। बेटी के बिछुड़ने के बाद मां-बाप ने उसकी कई जगह तलाश की लेकिन उसका कुछ पता नहीं चला। थक-हार कर मां-बाप इसे नियति का खेल मानकर बैठ गए। दूसरी ओर गुमशुदगी के कई साल बाद बच्ची को भारत के नैनीताल जिले में लावारिस अवस्था में बरामद किया गया। प्रशासन ने पहले बच्ची के माता-पिता को तलाश करने की काफी कोशिश की। लेकिन उसे असफलता हाथ लगी। जिसके बाद बाल कल्याण समिति नैनीताल की ओर से साल 2018 में बालिका को राजकीय बाल गृह किशोरी बख में रखे जाने का आदेश जारी किया गया।

बाद में लम्बे समय के बाद दंपत्ति को किसी माध्यम से अपनी बेटी अल्मोड़ा के आश्रय गृह में होने की जानकारी मिली तो उन्होंने आश्रय गृह में आकर बालिका को अपनी बेटी होने का दावा किया। लेकिन बच्ची द्वारा अपने माँ-बाप को न पहचानने के कारण उनका यह दावा खारिज कर दिया गया।

जिला बाल संरक्षण इकाई में कार्यरत विधि सह परिवीक्षा अधिकारी अल्मोड़ा एडवोकेट अभिलाषा तिवारी ने बताया कि उन्होंने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अल्मोड़ा को एक प्रार्थना पत्र इस बालिका के माता-पिता की पहचान सुनिश्चित करने व डीएनए टेस्ट करवाने के सम्बन्ध में दिया था। सदस्य सचिव उत्तराखण्ड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण नैनीताल आरके खुलबे के निर्देशन एवं जिला न्यायाधीश / अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अल्मोड़ा मलिक मजहर सुल्तान के मार्ग दर्शन पर सिविल जज (सीनियर डिवीजन) / सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अल्मोड़ा रवि शंकर मिश्रा द्वारा मुख्य चिकित्साधिकारी अल्मोड़ा से अनुरोध किया कि बालिका व दोनो पुरुष व स्त्री का डीएनए टेस्ट करवाया जाय। जिस पर ये तीनों लोगों के सैंपल लिये गये।

सैंपल लिये जाने के बाद यह सैंपल जांच के लिए विशेष वाहक द्वारा विधि विज्ञान प्रयोगशाला देहरादून भिजवाये गए। बीते सप्ताह ही मिली जाँच रिपोर्ट में बच्ची पर दावा करने वाले दोनों लोग बालिका के जैविक माता-पिता पाये गये।

जिला प्रोबेशन अधिकारी राजीव नयन तिवारी ने बताया कि यह बच्ची मूल रूप से नेपाल मूल की है और 2018 से अल्मोड़ा बाल गृह किशोरी सदन में रह रही है। आज से उसे जैविक माता पिता के ​सुपर्द कर दिया गया है और अब वह अपना सामाजिक जीवन की शुरूआत करेगी।

गुरूवार को बच्ची को अल्मोड़ा की बाल कल्याण समिति की मौजूदगी में परिजनों को सुपुर्द किया गया। जब बच्ची को परिजनों के सुपुर्द किया गया तब प्रशासन, विधि विभाग, न्याय विभाग और प्रोबेशन अधिकारी भी मौजूद रहे। इस दौरान बालिका को उसकी माता की सुपुर्दगी में दिये जाने के समय जनपद न्यायाधीश मलिक मजहर सुल्तान, सिविल जज (सीनियर डिवीजन) / सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अल्मोडा रविशंकर मिश्रा, जिला परिवीक्षा अधिकारी राजीव नयन तिवारी, विधि सह परिवीक्षा अधिकारी सुश्री अभिलाषा तिवारी व अधीक्षिका राजकीय बाल गृह किशोरी बख अल्मोड़ा मंजू उपाध्याय व बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष रघु तिवारी और सदस्य मीता उपाध्याय, त्रिलोक लटवाल और तथा नेपाल से आये सामाजिक कार्यकर्ता सलमान भी उपस्थित थे। इस बच्ची को उसके माता पिता से मिलाने के लिए नेपाल की एक सामाजिक संस्था ने भी मदद की थी।

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