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उत्तराखंड

Dehradun News: सरकारी स्कूल बंद करने पर उतारू हुई तो इन बच्चों ने एडीएम दफ्तर में ही लगा डाली क्लास

Janjwar Desk
28 May 2022 5:48 PM GMT
Dehradun News: सरकारी स्कूल बंद करने पर उतारू हुई तो इन बच्चों ने एडीएम दफ्तर में ही लगा डाली क्लास
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Dehradun News: जिन स्कूली बच्चों को क्लास रूम में अपनी पढ़ाई करनी चाहिए, वो सड़कों पर आंदोलन और दफ्तरों में प्रदर्शन केवल इसलिए करने लगे कि सरकार को उनके स्कूल ही रास नहीं आ रहे, तो क्या होगा?

Dehradun News: जिन स्कूली बच्चों को क्लास रूम में अपनी पढ़ाई करनी चाहिए, वो सड़कों पर आंदोलन और दफ्तरों में प्रदर्शन केवल इसलिए करने लगे कि सरकार को उनके स्कूल ही रास नहीं आ रहे, तो क्या होगा ?

ऐसा ही एक मामला शनिवार को उत्तराखंड के जोशीमठ में सामने आया जो बताता है कि अपनी कुत्सित राजनीति के लिए भारतीय जनता पार्टी की सरकार अपने कोर वोट बैंक के नौनिहालों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने से भी नही चूकती। दरअसल स्कूली बच्चों द्वारा किए जा रहे इस धरने-प्रदर्शन का मामला जोशीमठ राजीव गांधी नवोदय विद्यालय के छात्र-छात्राओं का है। अपने स्कूल को बचाने की मांग लेकर यह बच्चे शनिवार 28 मई को एसडीएम कार्यालय में धरने पर बैठ गए।

मामले के विस्तार के तौर पर बता दे कि सरकार इन बच्चों के स्कूल राजीव गांधी नवोदय विद्यालय का विलय दूसरे स्कूल में करने जा रही है। इसके पीछे सरकार कोई ठोस वजह नहीं बता रही है। लेकिन माना यह जा रहा है कि इस विद्यालय के नाम से देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी का नाम जुड़ा होने के कारण भारतीय जनता पार्टी की सरकार असहज महसूस करते हुए येन-केन-प्रकारेण राजीव नाम से पीछा छुड़ाना चाहती है। अपने स्कूल का दूसरे स्कूल में विलय करने का स्कूली बच्चे विरोध कर रहे हैं। इतना ही नहीं इस स्कूल के बच्चे विद्यालय से भावनात्मक तौर पर इतने जुड़े हैं कि वह 'गलत कदम उठाने और स्कूल ही छोड़ देने की धमकी भी दे रहे हैं।

अपनी आखिरी उम्मीद के तौर पर जोशीमठ राजीव गांधी नवोदय विद्यालय के दो दर्जन से ज़्यादा यह स्टूडेंट्स शनिवार सुबह एसडीएम कार्यालय पहुंच गए और उन्होंने यहां अपनी क्लास लगाकर पढ़ाई करना शुरू कर दिया। स्टूडेंट्स की मासूमियत देखकर और मांग सुनकर जोशीमठ की एसडीएम कुमकुम जोशी ने अपने कार्यालय के बाहर पढ़ाना शुरू भी कर दिया। इससे पहले शुक्रवार को यह बच्चे एक ज्ञापन भी सौंप चुके हैं।


जिस स्कूल को भारतीय जनता पार्टी की सरकार बंद करने पर आमादा है उसे 2015 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा जो अब भाजपा में हैं, के द्वारा खोला गया था। उस समय सरकार ने उत्तराखंड में चार राजीव गांधी नवोदय विद्यालय खोले गए थे, जिनमें दो कुमाऊं में और दो गढ़वाल में थे। लेकिन अब लगभग सात साल बाद स्कूलों को बंद कर इनका विलय राजकीय इंटर कॉलेज में किया जा रहा है। जिसका विरोध यह स्थानीय छात्र कर रहे हैं। छात्रों का कहना है कि वो किसी हाल में नवोदय विद्यालय से इंटर कॉलेज या अन्य स्कूल में नहीं जाएंगे। इन बच्चों ने जो ज्ञापन सरकार को दिया है उसमें लिखा है कि वह सभी कक्षा 6 से अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई करते रहे हैं। इसलिए अब हिंदी मीडियम में जाने से इनकी पढ़ाई और रिज़ल्ट प्रभावित होंगे। अपनी शिक्षा की गुणवत्ता से समझौता न करने की ज़िद पर अड़े इन बच्चों ने स्कूल को बचाने के साथ ही अल्टीमेटम भी दे डाला है। बच्चों का कहना है कि सरकार ने बात नहीं मानी तो वह किसी और स्कूल में नहीं जायेंगे। नवोदय विद्यालय पर ताला लगने का विरोध इन स्टूडेंट्स के अभिभावक भी कर रहे हैं। अभिभावकों का कहना है कि सरकार बच्चों के भविष्य के साथ जबरन खिलवाड़ करने पर उतारू हो रही हो है।

इस मामले में उप जिला अधिकारी कुमकुम जोशी का कहना है कि बच्चों ने उन्हें ज्ञापन दिया है। बच्चों के दिए गए ज्ञापन को शासन स्तर पर भेज दिया गया है। बच्चों की पढ़ाई डिस्टर्ब होने से प्रशासन भी चिंतित है। बच्चों की पढ़ाई डिस्टर्ब न हो, इसके लिए प्रशासन हर संभव कदम उठाएगा।

दूसरी ओर क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता अतुल सती ने इस प्रकरण में आंदोलन के चेतावनी देते हुए लिखा है कि यह बच्चे स्कूल के बजाय अपने बैग के साथ तहसील पहुंचे और धरने पर बैठ गए। जिन्हें स्कूल में होना था, वह धरने पर हैं। सरकार ने राजीव नवोदय विद्यालय बन्द करने का फैसला लिया है। यह आवासीय विद्यालय गरीब मेधावी बच्चों के लिए मुफ्त मेंअंग्रेजी माध्यम शिक्षा का जरिया थे। सरकार को इस नाम में राजीव पसंद नहीं आया या गरीब मेधावी बच्चों को दी जाने वाली मुफ्त शिक्षा या शिक्षा से ही दिक्कत हुई जो जाहिर है हो ही सकती है। बच्चे शिक्षालय के बजाय आंदोलन में सड़क पर हैं जो अभी उनकी जगह नहीं है। मुख्यमंत्री इसको रोकें। आज तो सिर्फ बच्चे बैठे हैं सोमवार से बच्चों के मां बाप के साथ हम लोग भी बैठ रहे हैं।

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