Haldwani News। राज्य के सांस्कृतिक तानेबाने को बचाए रखने को निकलेगी पदयात्रा, बनबसा से विकासनगर तक का तराई भावर रहेगा लक्ष्य पर
Haldwani News। वन पंचायत संघर्ष मोर्चा की दो दिवसीय कार्यशाला के द्वितीय दिन वन पंचायतों के संघर्षों को एक मंच पर लाने के उद्देश्य से संगठन के ढांचे का गठन कर उसकी कार्यकारिणी का चुनाव किया गया। इस दौरान भावी कार्यक्रमों पर भी विस्तार से चर्चा की गई। राज्य की पूर्वी सीमा पर स्थित शारदा नदी (बनबसा) से लेकर पश्चिमी छोर की यमुना नदी (विकासनगर) तक एक पदयात्रा के आयोजन पर भी सहमति बनी। दो चरण में होने वाली इस यात्रा का केंद्र बिंदु रामनगर में रहेगा।
दो दिवसीय सम्मेलन के आखिरी दिन रविवार को ईश्वर जोशी के संचालन में आयोजित कार्यक्रम में उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी ने कहा कि वन पंचायतों की समस्याएं हो या पुरानी पेंशन या फिर महंगाई और भ्रष्टाचार, सभी सवाल राजनीति से नाभिनाल जुड़े हैं। बिना प्रभावी राजनैतिक हस्तक्षेप के इन सवालों के जवाब नहीं तलाशे जा सकते। सत्ता परिवर्तन के लिए राजनैतिक परिवर्तन के लिए बढ़ना होगा।
बागेश्वर गरुड़ के भुवन पाठक ने मौजूदा राजनैतिक परिदृश्य के मद्देनजर आने वाले भविष्य की भयावहता का जिक्र करते हुए कहा कि धर्म की जिस चाशनी में आज पूरा देश गोते लगा रहा है, इसके दुष्परिणाम बेहद खतरनाक होंगे। विश्व की सबसे अधिक समस्याओं वाले देश की तरफ हम तेजी से बढ़ रहे हैं। जनता इस समय खुद सही नेता चुनने की अपनी जिम्मेदारी नहीं पूरी कर रही है। सरकार की गलत नीतियों के कारण हो रहे पलायन की वजह से आज पहाड़ खाली हो ही चुका है। महानगरों में जलवायु परिवर्तन के को लक्षण दिख रहे हैं उसके चलते राज्य के तराई और भावर में जमीनों की लूट का अभूतपूर्व सिलसिला शुरू होगा। ऐसे में तराई भावर की सभी वन पंचायतों को जोड़ते हुए जनता को जागरूक करने के लिए पदयात्रा का आयोजन होना चाहिए।
वन पंचायत मोर्चा के संयोजक तरुण जोशी ने कहा कि राज्य की 12 हजार वन पंचायत सरकार की जनविरोधी नीतियों का खामियाजा भुगत रहीं हैं। सरकार अपने ही वनाधिकार कानून को ईमानदारी से इन पंचायतों में लागू नहीं कर रही है। जंगलों के किनारे बसी आबादी वन्य जीवों का आतंक झेलने को अभिशप्त है। लेकिन जंगलों पर लोगों के हकों को खत्म किया जा रहा है। वन गांव, टोंगिया गांव, खत्ता गांवों की स्थिति सबसे ज्यादा चिंताजनक है। जहां आज भी लोगों के पास जीवन के लिए जरूरी मूलभूत जरूरतों का अभाव साफ देखा जा सकता है।
सम्मेलन में वन पंचायतों के प्रदेश स्तरीय संगठन के स्वरूप पर विस्तार से चर्चा के दौरान महसूस किया गया कि यदि वन पंचायत के संघर्ष को सही दिशा देनी है तो राज्य स्तर के संगठन को गठित करना आवश्यक है। इसके तहत आम सहमति से वन पंचायत संगठन का गठन करते हुए संगठन की एक तदर्थ कार्यकारिणी का चयन किया गया। सम्मेलन में तय किया गया कि यह कार्यकारिणी अस्थाई तौर पर कार्य करेगी तथा गढ़वाल कमिशनरी में चुनाव के बाद इस गठन को स्थाई रूप दिया जाएगा। आम सभा में बागेश्वर से आए सरपंच पूरन सिंह रावल को अध्यक्ष, सुश्री हीरा एवं दान सिंह कठायत को उपाध्यक्ष एवं डूंगर सिंह (अल्मोड़ा) एवं कमान सिंह ( पिथौरागढ़) को सचिव, उपसचिव कमल सुनाल, सुश्री अमरावती एवं अर्जुननाथ गोस्वामी को कोषाध्यक्ष चुना गया। जबकि तरुण जोशी, ईश्वर जोशी, हीरा जंगपांगी, गणेश जोशी, हेमा जोशी एवं खीमा और तथा भुवन पाठक, गोपाल लोधियाल को संरक्षक मंडल के रूप में नियुक्त किया गया।
सम्मेलन में जनवरी के प्रथम सप्ताह में वन संरक्षक वन पंचायत से संगठन के पदाधिकारियों की मुलाकात का कार्यक्रम तय करते तय किया कि वन संरक्षक से वनपंचायत का एक महासम्मेलन आयोजित करने की मांग की जाएगी। इसके बाद फरवरी प्रथम सप्ताह में संगठन का गढ़वाल में सम्मेलन आयोजित किया जाएगा जिसमें इस तदर्थ कार्यकारिणी को स्थाई रूप दिया जाएगा। तराई की भूमि एवं वन समस्याओं को समझने के लिए एक वृहत यात्रा करने का भी निर्णय लिया गया।
कार्यक्रम को दीवान खनी, पीसी तिवारी, ललित उप्रेती, सरस्वती जोशी, गिरीश आर्य, मौ. शफी, लक्ष्मण सिंह बिष्ट क्षेत्र पंचायत सदस्य लोद गल्ला, हाजी कासिम, मौ. शरीफ, अर्चना खोलिया, मदन मेहता, भीम सिंह नेगी आदि ने वन पंचायत संघर्ष मोर्चा का पुरजोर समर्थन करते हुए सभा को संबोधित किया।