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Uttarakhand News: बंगाल काण्ड से सतर्क हो कांग्रेस जुटी विधायकों की सुरक्षा की तैयारी में, बनायी नई रणनीति

Janjwar Desk
9 March 2022 4:41 PM IST
Uttarakhand News: कबूतरों की तरह विधायकों की सुरक्षा की तैयारी में जुटी कांग्रेस, बंगाल काण्ड से सतर्क पार्टी ने बनाई रणनीति
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Uttarakhand News: कबूतरों की तरह विधायकों की सुरक्षा की तैयारी में जुटी कांग्रेस, बंगाल काण्ड से सतर्क पार्टी ने बनाई रणनीति

Uttarakhand News: उत्तराखण्ड विधानसभा चुनाव के जनादेश को हॉर्स ट्रेडिंग के माध्यम से लूटने से बचाने के लिए कांग्रेस पार्टी ने व्यापक रणनीति तैयार की है। केंद्रीय पर्यवेक्षकों के नाम पर पार्टी ने हर जिले के पार्टी प्रत्याशियों को अपने प्रतिनिधियों से जोड़ दिया है।

Uttarakhand News: उत्तराखण्ड विधानसभा चुनाव के जनादेश को हॉर्स ट्रेडिंग के माध्यम से लूटने से बचाने के लिए कांग्रेस पार्टी ने व्यापक रणनीति तैयार की है। केंद्रीय पर्यवेक्षकों के नाम पर पार्टी ने हर जिले के पार्टी प्रत्याशियों को अपने प्रतिनिधियों से जोड़ दिया है। पार्टी को डर है कि बहुमत के आंकड़े से मामूली पीछे रहने पर भाजपा बंगाल की तरह उसके निर्वाचित विधायकों को तोड़ सकती है।

बंगाल में विधायकों की असफल खरीद-फरोख्त के सूत्रधार भाजपा राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की उत्तराखण्ड में उपस्थिति से चौकन्नी हुई कांग्रेस ने उसी प्रकार अपने निर्वाचित विधायकों की सुरक्षा के लिए मुस्तैदी दिखानी शुरू कर दी है, जैसे किसी बाज के दिखते ही कबूतरों की हिफाज़त की जाती है। नवनिर्वाचित विधायकों को अपने जिले के केंद्रीय पर्यवेक्षक के संपर्क में रहकर उनके निर्देशों का पालन तो करना ही होगा। तोड़-फोड़ से बचने के लिए कल मतगणना के तुरंत बाद कांग्रेस अपने नवनिर्वाचित विधायकों को नज़रबंद कर सकती है। हालांकि, कांग्रेस यह कदम केवल त्रिशंकु विधानसभा अथवा विधानसभा में बहुमत के आंकड़े के समीप पहुंचने की स्थिति में उठाने की तैयारी है।


विधानसभा चुनाव के बाद लम्बी-चौड़ी जीत की संभावनाएं देख रही कांग्रेस पार्टी को एग्जिट पोल में आए रुझानों के बाद से जबरदस्त झटका लगा है। एग्जिट पोल पर अविश्वास व्यक्त करने के बाद भी पार्टी एग्जिट पोल को सिरे से नकारने की स्थिति में नही है। पूर्व में बहुमत से भी ज्यादा विधायकों की उम्मीद लगा रही कांग्रेस पार्टी ने एग्जिट पोल के आस-पास ही परिणाम रहने की सूरत में प्लान बी पर काम करना शुरू कर दिया है। पार्टी को आशंका है कि यदि एग्जिट पोल के अनुमानों के अनुसार भाजपा यदि बहुमत से मामूली दूरी पर रही तो वह राज्य में सरकार बनाने के लिए अन्य दलों के निर्वाचित विधायकों को अपने पाले में लाने के लिए खरीद-फरोख्त कर उनमें सेंध लगा सकती है।

उसकी इस आशंका को बल मिला है भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की राज्य में मौजूदगी और पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल के साथ चल रही जुगलबंदी से। बता दे कि यह वही कैलाश विजयवर्गीय हैं जिन पर बंगाल चुनाव नवनिर्वाचित विधायकों को खरीदने का प्रयास करने के आरोप लगे थे। लेकिन तेज-तर्रार तृणमूल नेत्री ममता बनर्जी के कारण इनकी दाल गल नहीं पाई थी।

इसी के साथ 2016 में प्रदेश की हरीश रावत सरकार में हुई बगावत के दौरान भी भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की विशेष भूमिका रही थी, जिसे कांग्रेस अभी तक नही भूली है। इतना ही नहीं भाजपा का एक विधायक मतगणना से पहले ही कांग्रेस के प्रत्याशियों के भाजपा के संपर्क में होने का दावा कर चुका है। ऐसे में कांग्रेस पार्टी न केवल अपने नवनिर्वाचित विधायकों की सुरक्षा को लेकर सतर्क है बल्कि वह ममता बनर्जी की तरह आक्रामक शैली में उल्टे भाजपा के ही नवनिर्वाचित विधायकों पर नजर रखने की कोशिश कर रही है।

पार्टी भाजपा को अब "शठे शाठयम समाचरेत" की शैली में जवाब देने की रणनीति को धार देने में जुटी है। फिलहाल कांग्रेस की नजरें विधानसभा में बहुमत के आंकड़े 36 पर हैं। जादुई आंकड़े से कम या बराबर रहने और भाजपा के टक्कर में आने की स्थिति में कांग्रेस अपने विधायकों की सुरक्षा के लिए उन्हें राज्य से बाहर शिफ्ट करने की योजना पर भी काम कर रही है। पार्टी की ओर से राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से संपर्क कर उन्हें किसी भी स्थिति के लिए सतर्क रहने को कहा जा चुका है।


कांग्रेस की रणनीति के तहत राष्ट्रीय नेतृत्व की ओर से उत्तराखंड के लिए नामित पर्यवेक्षकों सांसद दीपेंद्र हुड्डा, एमबी पाटिल और प्रदेश प्रभारी देहरादून पहुंच चुके हैं। इनकी पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल की मौजूदगी में पार्टी के अन्य पदाधिकारियों के साथ मीटिंग के दौरान मतगणना के बाद की हर संभावना पर मंथन किया जा चुका है। मीटिंग से निकला सार यह है कि मतगणना में स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने की स्थिति में पार्टी अपने विधायकों को सुरक्षा के लिहाज से राजस्थान या छत्तीसगढ़ शिफ्ट कर सकती है।

लेकिन विधायकों का आंकड़ा ठीक-ठाक रहा तो विधायकों को उत्तराखण्ड में ही रखा जा सकता है। पार्टी ने जहां कुछ नेताओं को नवनिर्वाचित विधायकों की सुरक्षा का जिम्मा सौंपा है। तो वहीं बहुमत के आंकड़े के आस-पास रहने की सूरत में जरूरत पड़ने पर अन्य दलों व निर्दलीयों को भी अपने पाले में लाने के लिए कुछ नेताओं को जिम्मेदारी सौंप दी है। पार्टी ने साफ कर दिया है कि प्रदेश में सरकार बनने लायक परिस्थितियाँ बनी तो सरकार हर हाल में कांग्रेस ने ही बनानी है। गोआ और मणिपुर जैसी स्थितियां कांग्रेस उत्तराखण्ड में नहीं देखना चाहती।

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