Uttarakhand News: कर्ज में डूबे उत्तराखंड को खरीदनी पड़ेंगी अगले तीन महीने में 200 बसें, जानिए क्या है पूरा मामला?
Uttarakhand News: कर्ज में डूबे उत्तराखंड को खरीदनी पड़ेंगी अगले तीन महीने में 200 बसें, जानिए क्या है पूरा मामला?
Uttarakhand News: आर्थिक मोर्चे पर लंबे समय से डांवाडोल स्थिति का सामना कर रहे उत्तराखंड राज्य को दिल्ली राज्य से सड़क परिवहन बनाए रखने के लिए अगले तीन महीने में दो सौ नई बसें खरीदनी होंगी। दिल्ली सरकार की नई गाइड लाइन के हिसाब से उत्तराखंड परिवहन निगम के बेड़े की करीब दो सौ बसों की दिल्ली में 1 अक्टूबर से ने एंट्री हो जायेगी। दिल्ली से इस बाबत उत्तराखंड के लिए चिट्ठी भेजी जा चुकी है।
उत्तराखंड से दिल्ली जाने वाली रोडवेज की 250 में से 200 बसों पर एक अक्तूबर से लगने वाले ब्रेक के पीछे परिवहन निगम की बसों का बीएस-6 मानक न होना है। राज्य में बीएस-6 मानक वाली 22 वॉल्वो और कुछ अनुबंधित बसें मिलाकर सिर्फ 50 बसें ही परिवहन निगम के पास हैं।
दिल्ली परिवहन विभाग के विशेष आयुक्त ओपी मिश्रा की ओर से उत्तराखंड परिवहन निगम को भेजे गए पत्र में बताया गया है कि दिल्ली और एनसीआर में वायु प्रदूषण की स्थिति को ध्यान में रखते हुए एनजीटी ने निर्देश दिए थे कि एक अप्रैल 2020 से दिल्ली में बीएस-4 वाहनों की खरीद-फरोख्त नहीं होगी। केवल बीएस-6 वाहन ही संचालित होंगे। इसके अलावा, एनजीटी ने पहले ही निर्देश दिया है कि 10 साल से अधिक पुराने डीजल वाहनों को एनसीआर में चलने की अनुमति नहीं दी जाएगी। पत्र में दिल्ली के परिवहन विभाग की ओर से बताया गया है कि दिल्ली का पूरा सार्वजनिक परिवहन सीएनजी आधारित हो चुका है। लिहाजा, एक अक्तूबर से दिल्ली में किसी भी राज्य की बीएस-4 बस को एंट्री नहीं दी जाएगी। केवल बीएस-6 रोडवेज बसें ही एंट्री कर सकेंगी। दिल्ली परिवहन विभाग का यह पत्र मिलने के बाद राज्य का परिवहन निगम इस स्थिति से निबटने की तैयारी में जुटा है।
बता दे कि उत्तराखंड परिवहन निगम की करीब 250 बसें उत्तराखंड से दिल्ली रूट पर संचालित होती हैं। इनमें से बमुश्किल 22 वॉल्वो और कुछ अनुबंधित मिलाकर 50 बसें ही बीएस-6 हैं। ऐसे में अगले तीन महीने में निगम ने यदि कोई व्यवस्था नहीं की तो उत्तराखंड से दिल्ली के बीच सड़क परिवहन का ढांचा बुरी तरह प्रभावित होगा। ऐसे में निगम की ओर से अब 141 बीएस-6 बसें खरीदने का टेंडर जारी किया गया है।
इस मामले में परिवहन निगम के एमडी रोहित मीणा ने बताया कि दिल्ली सरकार से एक अक्तूबर से बीएस-4 बसों की एंट्री बंद होने संबंधी पत्र मिल चुका है। निगम द्वारा इस पत्र के मिलने से पहले बीएस-6 बसों की खरीद की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है। जिसके तहत 141 बीएस-6 बसों की खरीद का टेंडर निकाला जा चुका है। उम्मीद है की एक अक्टूबर से पहले ही हम इस समस्या से पार पा लेंगे।
क्या है बीएस-6
बीएस का मतलब होता है भारत स्टेज। इसका सीधा संबंध उत्सर्जन मानकों से होता है। दरअसल बीएस-6 इंजन से लैस वाहनों में खास फिल्टर लगे होते हैं, जिससे 80-90 फीसदी पीएम 2.5 जैसे कण रोके जा सकते हैं। इससे नाइट्रोजन ऑक्साइड पर भी नियंत्रण लगता है। जिसकी वजह से प्रदूषण पर काफी रोक लगेगी। ऑटो एक्सपर्ट के मुताबिक बीएस-6 गाड़ियों में हवा में प्रदूषण के कण 0.05 से घटकर 0.01 रह जाते हैं। जिससे वातावरण साफ रहता है। बीएस-6 इंजन से लैस गाड़ियों से (पेट्रोल और डीजल) होने पर प्रदूषण 75 फीसदी तक कम होता है।