Uttarakhand News : उत्तराखण्ड में सड़कों से हटेंगे आवारा कुत्ते, नैनीताल हाईकोर्ट ने डॉग बाइट के 11 हजार मामलों की याचिका के बाद दिया फैसला
नैनीताल हाईकोर्ट ने डॉग बाइट के 11 हजार मामलों की याचिका के बाद दिया आवारा कुत्तों को सड़कों से हटाने का सुनाया फैसला
Uttarakhand News : उत्तराखंड राज्य में जल्द ही सड़क चलते आवारा कुत्तों के काटे जाने का खतरा टलने वाला है। सोमवार 18 जुलाई को उत्तराखंड हाईकोर्ट द्वारा दिए गए आदेश के बाद राज्य की सड़कों पर हिंसक आवारा कुत्तों की उपस्थिति नहीं रहेगी। हाई कोर्ट नैनीताल के मुताबिक आवारा कुत्तों से जनता को खतरा बढ़ गया है, इसलिए इन्हें सड़कों से हटाया जाए। खास बात यह है कि न्यायालय ने कथित पशुप्रेमियों के पशु अधिकार पर भी टिप्पणी की है।
एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सोमवार 18 जुलाई को राज्य सरकार को पूरे राज्य से उन आवारा कुत्तों को हटाने का आदेश दिया है, जो हिंसक हो चुके हैं। इस आदेश का पालन करने के लिए अब सभी नगर निगमों व नगर पालिकाओं, नगर परिषदों को अपने क्षेत्र के सभी आवारा कुत्तों की पहचान कर उन्हें डॉग पाउंड में रखना होगा।
उत्तराखंड हाईकोर्ट में 2017 में नैनीताल निवासी गिरीश चंद्र खोलिया द्वारा वर्ष 2017 में दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस विपिन संघी और जस्टिस रमेश चंद्र खुल्बे की बेंच यह आदेश दिया है। खोलिया द्वारा उत्तराखंड राज्य में कुत्तों के काटने के करीब 11 हजार मामलों का ब्यौरा देते हुए यह जनहित याचिका दायर की गई थी। इन्हीं मामलों को देखते हुए न्यायालय ने माना कि राज्य में आवारा कुत्तों से जनता को खतरा बढ़ गया है। इसी मामले में सुनवाई करते हुए पहले भी हाईकोर्ट ने 2018 में राज्य सरकार को 6 महीने के भीतर यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि राज्य भर में सड़कों पर आवारा कुत्ते न हों।
हालांकि न्यायालय ने पशुप्रेमियों की भावना को ध्यान में रखते हुए यह माना कि कुत्तों की एक टेरीटरी होती है, इसलिए सारे कुत्तों को हटाकर डॉग पाउंड में रखना उचित नहीं होगा। निश्चित तौर पर आक्रामक और हिंसक हो चुके कुत्तों को सड़क से हटाने की जरूरत है, ताकि सड़कों पर चलने वाले लोगों की रक्षा की जा सके।
कोर्ट ने कहा, हमारे विचार में एक तरफ आवारा कुत्तों के अधिकारों और दूसरी तरफ इंसानों के बीच संतुलन बनाना होगा। इसलिए आवारा कुत्तों के अधिकारों की रक्षा करने इंसानों के जीवन और स्वतंत्रता की बलि नहीं दी जा सकती है। कोर्ट ने नगर पालिका के कार्यकारी अधिकारी को एक हलफनामा दायर करने कहा था।
इसके मुताबिक हलफनामे में बताया गया कि आवारा कुत्तों की नसबंदी और अदालत के आदेश का पालन करने के क्या कदम उठाए गए हैं। अब कोर्ट के आदेश का पालन सुनिश्चित करने के लिए सचिव, शहरी विकास, स्थानीय निकाय, एनिमल हसबैंड्री सचिव को भी निर्देशित किया गया है। इस मामले की अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी।