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उत्तराखंड

Dehradun News: कांग्रेस में सेनापति की हुई तैनाती, सीएलपी भी कुमाऊं से, करारी हार के बाद पार्टी ने किया गढ़वाल से किनारा

Janjwar Desk
10 April 2022 11:18 PM IST
Dehradun News: कांग्रेस में सेनापति की हुई तैनाती, सीएलपी भी कुमाऊं से, करारी हार के बाद पार्टी ने किया गढ़वाल से किनारा
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Dehradun News: कांग्रेस में सेनापति की हुई तैनाती, सीएलपी भी कुमाऊं से, करारी हार के बाद पार्टी ने किया गढ़वाल से किनारा

Dehradun News: उत्तराखंड विधानसभा चुनावों में राज्य के गढ़वाल मंडल में कहीं ज्यादा करारी शिकस्त का सामना करने वाली कांग्रेस ने अपने नए सेनापति की तैनाती कुमाउं मंडल से कर दी है।

Dehradun News: उत्तराखंड विधानसभा चुनावों में राज्य के गढ़वाल मंडल में कहीं ज्यादा करारी शिकस्त का सामना करने वाली कांग्रेस ने अपने नए सेनापति की तैनाती कुमाउं मंडल से कर दी है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सहित नेता प्रतिपक्ष व उपनेता की तैनाती भी कुमाउं मंडल से ही की गई है। अभी तक राज्य के दोनो (गढ़वाल-कुमाउं) को साधकर चलने वाली कांग्रेस ने इस बार यह आश्चर्यजनक निर्णय लेकर राजनैतिक जानकारों तक को चौंका दिया है। पार्टी को गढ़वाल मंडल से अपेक्षित समर्थन न मिलने के बाद भी इस बात का किसी को अंदाजा नहीं था कि पार्टी इस मंडल को एक झटके में अपने राजनैतिक एजेंडे से बाहर करने का साहस दिखा पायेगी।


पार्टी ने प्रदेश की गुटबाजी को थामने के लिए सदन में उपनेता रहे करण मेहरा को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी है। जबकि नेता प्रतिपक्ष पद पर यशपाल आर्य को नियुक्त किया है। मुख्यमंत्री पुष्कर धामी को खटीमा सीट से हराने वाले भुवन कापड़ी के कद में बढ़ौतरी करते हुए पार्टी ने उन्हें सदन में उपनेता की जिम्मेदारी दी है।

बता दे कि उत्तराखंड राज्य में राजनैतिक दल अमूमन गढ़वाल व कुमाउं मंडल तथा ब्राह्मण व राजपूत का सामंजस्य बनाकर राजनीति करते चले आए हैं। कोई भी राजनैतिक दल क्षेत्रीय तथा जातिगत समीकरणों को खुलकर स्वीकार भी नहीं करता है। लेकिन इन समीकरणों के विपरीत भी जाता दिखाई नहीं देता है। खुद भारतीय जनता पार्टी में वर्तमान में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कुमाउं से हैं तो पार्टी प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक गढ़वाल मंडल से हैं। लेकिन कांग्रेस ने एक ही झटके में पार्टी के तीनों महत्त्वपूर्ण पद कुमाउं मंडल की झोली में डालकर राजनैतिक समीकरणों के बजाए विधानसभा चुनाव में अपने को मिले समर्थन पर भरोसा करना जरूरी समझा। चुनाव में कुमाउं मंडल की 29 में से 11 तो गढ़वाल मंडल की 41सीटों में से कांग्रेस को केवल 8 ही सीटें मिल पाई थी।



सदन के बाहर 15 मार्च के बाद से सेनापतिविहीन तथा सदन के अंदर बिना नेता प्रतिपक्ष के चल रही कांग्रेस में इन तैनातियो को कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत को कभी खुशी-कभी गम की तर्ज पर बताया जा रहा है। प्रदेश अध्यक्ष के लिए यशपाल आर्य व तिलकराज बेहड़ व नेता प्रतिपक्ष के लिए ममता राकेश का नाम सुझा रहे हरीश रावत के लिए यही राहत की बात है कि नेता प्रतिपक्ष पद पर यशपाल आर्य की तैनाती हो गई। जबकि प्रीतम गुट को प्रदेश अध्यक्ष व सदन के उपनेता पद हरीश गुट को न मिलने का संतोष रहा। कुल मिलाकर कांग्रेस ने अपना पूरा प्रदेश स्तरीय नेतृत्व कुमाउं मंडल के हवाले करने का जो दांव खेला है, वह आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए उसकी खास रणनीति समझा जा रहा है। प्रदेश अध्यक्ष के रूप में पार्टी आलाकमान ने उन करन मेहरा का चयन किया हैं। जो रानीखेत से अभी अपना चुनाव हार चुके हैं। युवा करन के सामने अब प्रदेश भर में कांग्रेस को मजबूत करने की चुनौती है। जबकि विधानसभा अध्यक्ष रह चुके अनुभवी यशपाल आर्य सदन में भाजपा की घेराबंदी करेंगे। जबकि युवा तुर्क भुवन कापड़ी सदन में उनकी मदद के लिए तैयार रहेंगे।

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