400 घंटों के बाद उत्तरकाशी की सिल्क्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को मिली जिंदगी, परिजनों की खुशी देख हो जायेंगे भावुक
उत्तरकाशी। आखिरकार जिंदगी जीत गयी और 18 दिन यानी 400 घंटों बाद उत्तरकाशी के सिल्क्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को सुरक्षित निकाल लिया गया है। अपनों को खोने के डर से अब तक सिहरे परिजनों के खुशी के आंसू वहां मौजूद हर शख्स की आंखों में नजर आये। टनल के पास का दृश्य देखकर ऐसा लग रहा था कि दीवाली के दिन कई घरों में पसरा मातम वाकई आज दीपोत्सव बनकर आया हो।
गौरतलब है कि 400 घंटों यानी 17 दिन की लंबी समयावधि के बाद आज मंगलवार 28 नवंबर की रात करीब साढ़े सात बजे मजदूरों को बाहर निकालना शुरू किया था और करीब पौने नौ बजे तक सभी 41 मजदूरों को सुरक्षित निकाल लिया गया था। घटनास्थल पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी मौजूद रहे, जिन्होंने सभी जांबाज मजदूरों का माला पहनाकर स्वागत किया और उनसे बातचीत कर हालचाल जाना। इसके बाद सुरंग से बाहर निकलेद मजदूरों को तैनात एंबुलेंस से चिन्यालीसौड़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया, जहां 41 बिस्तरों का एक अलग वार्ड बनाया गया है। फिलहाल मेडिकल टीम मजदूरों के स्वास्थ्य की जांच कर रही है। कहा जा रहा है कि सभी 41 मजदूर एकदम ठीक हैं।
सुरंग के बाहर मौजूद सभी लोगों खासकर जिनके अंदर अभी तक अपनों को खो देने का डर बुरी तरह समाया हुआ था, उन परिजनों की खुशियों की कल्पना भी नहीं की जा सकती। वहां मौजूद लोगों ने इस बड़ी खुशी के मौके पर मिठाइयां बांटी, राज्यभर ही नहीं देशभर में पटाखे फोड़े गये।
प्रधानमंत्री मोदी ने भी अपने ट्वीटर हैंडल से इस बड़ी सफलता पर हर्ष जताते हुए लिखा है, 'उत्तरकाशी में हमारे श्रमिक भाइयों के रेस्क्यू ऑपरेशन की सफलता हर किसी को भावुक कर देने वाली है। टनल में जो साथी फंसे हुए थे, उनसे मैं कहना चाहता हूं कि आपका साहस और धैर्य हर किसी को प्रेरित कर रहा है। मैं आप सभी की कुशलता और उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता हूं। यह अत्यंत संतोष की बात है कि लंबे इंतजार के बाद अब हमारे ये साथी अपने प्रियजनों से मिलेंगे। इन सभी के परिजनों ने भी इस चुनौतीपूर्ण समय में जिस संयम और साहस का परिचय दिया है, उसकी जितनी भी सराहना की जाए वो कम है। मैं इस बचाव अभियान से जुड़े सभी लोगों के जज्बे को भी सलाम करता हूं। उनकी बहादुरी और संकल्प-शक्ति ने हमारे श्रमिक भाइयों को नया जीवन दिया है। इस मिशन में शामिल हर किसी ने मानवता और टीम वर्क की एक अद्भुत मिसाल कायम की है।'
वहीं राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ट्वीट किया है, 'श्रमिकों व उनके परिजनों के चेहरे की ख़ुशी ही मेरे लिये इगास-बगवाल... हम सभी के लिए अत्यंत हर्ष का विषय है कि सिलक्यारा (उत्तरकाशी) में निर्माणाधीन टनल में फंसे सभी 41 श्रमिकों को सकुशल बाहर निकाल लिया गया है। सभी श्रमिक भाइयों का अस्थाई मेडिकल कैम्प में प्रारंभिक स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा है। आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के कुशल नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में संचालित इस चुनौतीपूर्ण रेस्क्यू ऑपरेशन में पूरी ताक़त से जुटी केंद्रीय एजेंसियों, सेना, अंतर्राष्ट्रीय एक्सपर्ट्स एवं प्रदेश प्रशासन की टीमों का हृदयतल से आभार। प्रधानमंत्री जी से हम सभी को एक अभिभावक के रूप में मिले मार्गदर्शन एवं कठिन से कठिन स्थिति में उनके द्वारा प्रदान की गई हर संभव सहायता, इस अभियान की सफलता का मुख्य आधार रही। 17 दिनों बाद श्रमिक भाइयों का अपने परिजनों से मिलना अत्यंत ही भावुक कर देने वाला क्षण है।'
गौरतलब है कि दीपावली यानी 12 नवंबर की तड़के उत्तरकाशी के निर्माणाधीन सिल्क्यारा सुरंग में काम करने वाले 41 मजदूर भूकंप के बाद सुरंग धंसने के कारण फंस गए थे। 17 दिनों से रेस्क्यू अभियान चल रहा था और इसमें जिस तरह बाधायें आ रही थीं, उससे इसकी सफलता की उम्मीदें बहुत कम की जा रही थीं। ऑगर मशीन में कई बार खराबी आई, जिसे ठीक करके कई बार काम शुरू हुआ, लेकिन आखिर में ऑगर मशीन की ब्लेड खराब हो गई, जिसके बाद रैट माइनर्स को मजदूरों की सलामती वाले मिशन पर लगाया गया और आखिरकार आज 28 नवंबर को इस अभियान को बड़ी सफलता मिली।
भाकपा (माले) के उत्तराखंड राज्य सचिव इंद्रेश मैखुरी मजदूरों की सलामती पर कहते हैं, 'यह प्रसन्नता की बात है कि मजदूर सुरंग से निकल गए हैं। उनके समुचित शारीरिक और मानसिक उपचार का इंतजाम किया जाना चाहिए। 17 दिन तक सुरंग के भीतर की कठिन स्थितियों का बहादुरी से मुकबला करने वाले सभी मजदूर साथियों का अभिनंदन, उनके जज्बे को सलाम। चूंकि यह सुरंग खतरनाक सिद्ध हो चुकी है, इसे बंद किया जाना चाहिए। सारे रेस्क्यू अभियान का खर्च नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी से वसूला जाना चाहिए और इस कंपनी को ब्लैकलिस्ट किया जाना चाहिए। नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी और एनएचआईडीसीएल पर मजदूरों का जीवन संकट में डालने के लिए मुकदमा दर्ज किया जाना चाहिए। सभी सुरंग आधारित परियोजनाओं के सुरक्षित विकल्प पर विचार किया जाना चाहिए। आपदा प्रबंधन के पूरे तंत्र और इंतजाम पर भी गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है।'
इंद्रेश आगे कहते हैं, लंबे चले इस रेस्क्यू अभियान में लगे सभी मजदूरों, देसी-विदेशी विशेषज्ञों, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस एवं अन्य कार्मिकों को भी साधुवाद। पत्रकार बंधु जो रात दिन विपरीत स्थिति में सुरंग के सामने डटे रहे और सही तस्वीर पेश करने की कोशिश करते रहे, उनका भी शुक्रिया।