Vidarbha News: प्याज़ के दाम सही ना मिलने से नाराज़ किसान ने 200 क्विंटल प्याज़ मुफ्त में बांट दिया
Vidarbha News: प्याज़ के दाम सही ना मिलने से नाराज़ किसान ने 200 क्विंटल प्याज़ मुफ्त में बांट दिया
Vidarbha News: मोदी ने किसानों को उनके फसल का दाम दो गुना देने का वादा किया था, पर लगता है जमीन पर उन दावों पर अमल नहीं किया गया। महाराष्ट्र के एक किसान को जब उसके प्याज़ के सही दाम नहीं मिले तो नाराज़ किसान ने सारे प्याज को फ्री में सबको बांट दिया। आपको जानकर हैरानी होगी कि किसान ने फ्री में लगभग 200 क्विंटल प्याज बांट दिए।
यह घटना विदर्भ के बुलढाणा जिले की बताई जा रही है, और किसान का नाम कैलास पिंपले बताया जा रहा है। शेगाव के मालीनगर में रहने वाले किसान ने अपने 2 एकड़ खेत में प्याज की खेती की थी। खेती के दौरान जितना पैसा किसान द्वारा लगाया गया, उसकी लागत लगभग 8 रुपये किलो प्याज़ आई। जब कैलास पिंपले प्याज को बेचने के लिए मार्केट पंहुचा तो उनके प्याज की कीमत 4 रुपये प्रति किलो आकी गई। जिसके बाद नाराज़ किसान ने नुक्सान में प्याज बेचने के बजाए महंगाई से जूझ रही जनता को मुफ्त में बांट दिया। कैलास ने बताया कि उसने कुल 2 लाख रुपये की लागत से प्याज की खेती की थी।
मुंबई - प्याज के सही दाम ना मिलने से नाराज किसान ने 200 क्विंटल प्याज मुफ़्त बांटे, प्याज बटोरने के लिए उमड़ी भीड़#Maharashtra @OfficeofUT @INCMumbai pic.twitter.com/IuGhsAkDiN
— Gaurav Singh (@gauravsingh1307) May 16, 2022
शेगाव के मालीनगर में रहने वाले किसान किसान कैलास पिंपले ने अपने 2 एकड़ खेत में प्याज की पैदावार की। इस प्याज की लागत प्रति किलो 8 रुपये आयी, लेकिन इस फसल को लेकर कैलास जब मार्किट में पहुंचे तो उन्हें प्रति किलो 4 रुपये का भाव मिल रहा था। नुकसान में प्याज बेचने से भला वह प्याज महंगाई से जूझ रही जनता को कैलास ने मुफ़्त में बांट दी। कैलास को प्याज की पैदावार में 2 लाख रुपये की लागत लगी।
महाराष्ट्र में पारा 46 डिग्री तक पहुंच चुका है। कड़ी धूप में प्याज खराब ना हो इसलिए कई किसान अपना प्याज कम दाम में बेचने को मजबूर है। स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के प्रदेश अध्यक्ष रविकांत तुपकर का कहना है कि केंद्र सरकार की नीतियां किसानों के ख़िलाफ़ है, उसकी कारण प्याज उत्पादक किसान मौत वे कगार पर खड़ा है। तुपकर ने मांग की है कि प्याज को फसल का दर्जा मिले और उसे एमएसपी के अंदर लाया जाय, तभी किसानों को फायदा मिलेगा। अगर ऐसा नहीं हुआ तो स्वाभिमानी शेतकरी संगठन महाराष्ट्र में आंदोलन करेगी।