SC panel on Farm laws : फसलों पर MSP की मांग को सुप्रीम कोर्ट पैनल ने क्यों कहा 'अतार्किक'

फसलों पर एमएसपी।
नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा तीनों कृषि कानूनों को समाप्त करने और पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव समाप्त होने के बाद फसलों पर एमएसपी की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट पैनल की रिपोर्ट भी सामने आ गई है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित पैनल ने एमएसपी पर कानून की मांग को पूरी तरह से अतार्किक बताया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि एमएसपी पर मांग पूरी हुई तो देश बहुत जल्द दिवालिया हो जाएगा। सुप्रीम कोर्ट की कमेटी कृषि कानूनों को रद़ करने के पक्ष में नहीं थी। अब चर्चा इस बात की है कि एससी की पैनल ने कानून की मांग को अतार्किक क्यों बताया।
एससी पैनल ने बताई ये वजह
सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित तीन सदस्यीय पैनल का कहना है कि किसानों की मांग के मुताबिक फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी के लिए अगर कानून बना तो भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) को संकट का सामना करना पड़ेगा। एमएसपी पर कानून बनने की स्थिति में अगर खरीद की प्रक्रिया किसी कारण से किसी दिन ठप हुई तो कोई भी उत्पाद नहीं खरीद पाएगा, क्योंकि एमएसपी से कम कीमत पर उत्पाद को खरीदना अवैध होगा। ऐसा करने वालों को सजा मिलेगी।
कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक कानून बनने से व्यापारियों के साथ-साथ स्टॉकिस्टों और इससे जुड़ें इससे जुड़े बाकी सब लोगों का भी नुकसान होगा। कमोडिटी बाजार भी अस्त व्यस्त रहेगा।
कमेटी का कहना है - मान लीजिए हमें बफर स्टॉक के लिए 41 लाख टन अनाज की जरूरत है। हम 110 लाख टन की खरीद करते हैं। ऐसे में किसान के लिए परेशानियां बढ़ेंगी। वहीं एमएसपी कानून बना तो सब किसान अपनी अन्य फसलों के लिए भी एमएसपी की मांग करेंगे और कोई कमाने की स्थिति में नहीं होगा।
समिति ने पाया कि 3.8 करोड़ किसानों का प्रतिनिधित्व करने वाले 73 किसान संगठनों में से 86% से अधिक ने कृषि कानूनों का समर्थन किया। इन संगठनों के प्रतिनिधियों का कहना है कि किसानों की बाजारों तक पहुंच में सुधार के लिए कृषि उपज के विपणन के नियमों को फिर से परिभाषित करने की जरूरत है।
क्या करें केंद्र सरकार
किसानों की आय बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार अन्य विकल्पों पर विचार करे। एमएसपी पर कानून समाधान नहीं है। कमेटी एमएसपी के खिलाफ नहीं है, लेकिन खुली खरीद एक समस्या है। एमएसपी कानून बना तो अन्य फसलों के लिए भी किसान एमएसपी की मांग करेंगे।
ये है कमेटी की रिपोर्ट
1. सुप्रीम कोर्ट की समिति ने 19 मार्च 2021 को उच्चतम न्यायालय को एमएसपी पर कानून को लेकर अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया था कि तीनों कानूनों को निरस्त करना या लंबे समय तक निलंबित बहुमत के खिलाफ अनुचित होगा। ऐसा इसलिए कि अधिकांश किसान कृषि कानूनों का समर्थन करते हैं। कानूनों को रद्द करने के बदले तीन सदस्यीय समिति ने राज्यों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रणाली को कानूनी रूप देने की स्वतंत्रता समेत कानूनों में कई बदलावों का भी सुझाव दिया था।
2. समिति ने यह भी सिफारिश की थी कि व्यापारियों द्वारा खरीद की लागत को कम करने और किसानों को उच्च रिटर्न प्राप्त करने में सक्षम बनाने के लिए कृषि उत्पाद विपणन समितियों (एपीएमसी) द्वारा लगाए गए मंडी शुल्क को वापस ले लिया जाए। समिति ने कहा कि घोषित एमएसपी पर फसलों की खरीद राज्यों का विशेषाधिकार हो सकता है।
3. सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति, जिसने अब निरस्त किए गए तीन विवादास्पद कृषि कानूनों की समीक्षा की है, ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर चावल और गेहूं की खरीद को सीमित करके कृषि फसलों की खुली खरीद को समाप्त करने और मूल्य स्थिरीकरण का निर्माण करने का आह्वान किया है। एमएसपी समर्थन के बजाय अन्य प्रमुख फसलों के लिए फंड देने को कहा है।
4. सरकार से एक मुक्त बाजार की सुविधा और कठोर स्टॉक होल्डिंग सीमा से बचने के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम को या तो समाप्त करने या काफी हद तक कम करने का भी आग्रह किया है।
SC panel on Farm laws : बता दें कि नवंबर 2021 में संसद ने तीनों कानूनों को रद्द कर दिया था। शीर्ष अदालत को समिति ने 19 मार्च 2021 को रिपोर्ट सौंपी थी। कई कारणों की वजह से रिपोर्ट को उस समय सार्वजनिक नहीं किया गया। एक साल समिति की रिपोर्ट को एक दिन पहले यानि 21 मार्च 2022 को सार्वजनिक किया गया है। समिति के सदस्यों में से एक अनिल घनवट ने राष्ट्रीय राजधानी में संवाददाता सम्मेलन में रिपोर्ट के निष्कर्ष जारी किए। समिति के दो अन्य सदस्य कृषि अर्थशास्त्री और कृषि लागत एवं मूल्य आयोग के पूर्व अध्यक्ष अशोक गुलाटी तथा कृषि अर्थशास्त्री प्रमोद कुमार जोशी हैं।
दूसरी तरफ विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद किसानों ने अपने आंदोलन को तब तक जारी रखने का ऐलान किया है जब तक एमएसपी को लेकर उनकी मांगें स्वीकार नहीं कर ली जाती।










