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भारत में बिल गेट्स की गिरफ़्तारी की क्यों हो रही मांग, ट्विटर पर टॉप ट्रेंड कैसे अरेस्ट बिल गेट्स

Janjwar Desk
30 May 2021 4:15 PM IST
भारत में बिल गेट्स की गिरफ़्तारी की क्यों हो रही मांग, ट्विटर पर टॉप ट्रेंड कैसे अरेस्ट बिल गेट्स
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भारत में बिल गेट्स की गिरफ़्तारी की क्यों हो रही मांग, ट्विटर पर ट्रेंड क्यों हुआ अरेस्ट बिल गेट्स। (तस्वीर- ग्रेट गेम इंडिया रिपोर्ट)

बिल गेट्स को लेकर भारत में एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। यह रिपोर्ट ग्रेट गेम इंडिया नाम की मैगजीन में प्रकाशित हुई है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने एक गैर सरकारी संगठन को भारत में आदिवासी बच्चों पर वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल करने के लिए फंड दिया था।

जनज्वार ब्यूरो, दिल्ली। आपको बता दें आज सुबह से ही भारत में अरेस्ट बिल गेट्स ट्विटर पर ट्रेंड कर रहा था। बिल गेट्स की गिरफ्तारी की मांग के साथ अब तक लगभग 40,000 ट्वीट्स ट्विटर पर किए जा चुके हैं।

बिल गेट्स को लेकर भारत में एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। यह रिपोर्ट ग्रेट गेम इंडिया नाम की मैगजीन में प्रकाशित हुई है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने एक गैर सरकारी संगठन को भारत में आदिवासी बच्चों पर वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल करने के लिए फंड दिया था। यह ट्रायल अवैध था। ट्रायल में हिस्सा लेने वाले बच्चों और उनके माता-पिता को इससे होने वाले खतरों के बारे में जानकारी नहीं दी गई थी। आदिवासियों को गुमराह कर यह ट्रायल किया गया था।

रिपोर्ट के मुताबिक PATH नामक सियाटल स्थित एक एनजीओ के द्वारा 2009 में तेलंगाना के खम्मम में वैक्सीन का ट्रायल किया गया था। उस समय खम्मम जिला आंध्र प्रदेश में आता था जो 2014 के बाद से तेलंगाना में आता है। यहां पर कई जनजातीय समूह रहते हैं।

खम्मम में 2009 में 14000 से अधिक आदिवासी लड़कियों पर एचपीवी वैक्सीन के लिए क्लीनिकल ट्रायल किया गया था। सभी लड़कियों की उम्र 10 से 14 वर्ष के अंदर थी। टेस्टिंग के दौरान सभी लड़कियों को गार्डासिल और ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन इंजेक्शन लगाया गया था। इस ट्रायल के लिए PATH एनजीओ को बिल गेट्स के फाउंडेशन ने फंड दिया था।

आदिवासियों को गुमराह कर किया गया ट्रायल-

रिपोर्ट के मुताबिक इस ट्रायल में शामिल लड़कियों को संभावित दुष्प्रभावों के बारे में जानकारी नहीं दी गयी थी। यहां तक कि उन्हें यह भी नहीं बताया गया कि यह एक ट्रायल है। बच्चों और उनके माता-पिता को न तो इसके बारे में बताया गया और न ही उनकी अनुमति ली गयी। ये सभी लड़कियां 10 से 14 वर्ष की आयु की थीं। ये लड़कियां अत्यंत निर्धन आदिवासी परिवारों से संबंधित थी।

120 लड़कियों पर पड़ा दुष्प्रभाव-

इस ट्रायल का कुछ लड़कियों पर बुरा असर पड़ा। लड़कियों में दुष्प्रभाव का मामला 2010 में सामने आया था। दुष्प्रभाव के मामलों का पता दिल्ली के एक एनजीओ 'समा' ने लगाया था। यह परीक्षण गंभीर रूप से गलत हो गया था। कम से कम 120 लड़कियों पर इसका दुष्प्रभाव पड़ा था। रिपोर्ट के अनुसार टीकाकरण के बाद कई लड़कियां पेट दर्द, सिर दर्द, चक्कर आना और थकावट से पीड़ित रहती थीं। मासिक धर्म की शुरुआत में रक्त का तीव्र बहाव और पेट में जोरदार दर्द, चिड़चिड़ापन और टीकाकरण के बाद बेचैनी का भी लड़कियां शिकार हुई थीं। वैक्सीन प्रदाताओं द्वारा लड़कियों की किसी भी प्रकार की देखभाल नहीं की गई थी।

इस प्रोजेक्ट का नाम पाथ प्रोजेक्ट था। उजागर होने पर इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने इस प्रोजेक्ट को बंद करवा दिया था। भारतीय संसद में स्वास्थ्य सम्बन्धी स्थाई समिति ने जांच भी शुरू की थी। उस समय जाँच के तथ्य सार्वजनिक नही हुये।

ग्रेट गेम इंडिया मैगजीन पर यह रिपोर्ट छपने के बाद मामला संज्ञान में आया है। आज 30 मई को ट्विटर पर बिल गेट्स की गिरफ्तारी की मांग भारत के लोगों द्वारा की जा रही है।

हंसराज मीना ट्विटर पर लिखते है-

बिल गेट्स ने स्वदेशी वैक्सीन परीक्षण के नाम पर आदिवासी लड़कीयों का जबर्दस्ती परीक्षण किया। जबरन नसबंदी की। जिसमें एक रिपोर्ट के मुताबिक कई मौतें हुई है। आखिर भारत सरकार ने यह सब करने के लिए अनुमति किस परपज से दी? यह हमारी आदिवासी लड़कियों का नरसंहार है। असहनीय। #ArrestBillGates।


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