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पीड़िता की जांघों के बीच गलत हरकत भी बलात्कार के बराबर, केरल हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाकर आरोपी को दी उम्रकैद

Janjwar Desk
6 Aug 2021 10:19 AM IST
पीड़िता की जांघों के बीच गलत हरकत भी बलात्कार के बराबर, केरल हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाकर आरोपी को दी उम्रकैद
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केरल हाईकोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला. (photo-twitter)

निचली अदालत ने एक व्यक्ति को बलात्कार का दोषी ठहराया था क्योंकि उसने अपने पड़ोस में रहने वाली नाबालिग लड़की के शरीर के कई अंगों के साथ गलत तरीके से छेड़छाड़ करके उसका यौन उत्पीड़न किया था...

जनज्वार। यौन अपराध के एक मामले की सुनवाई करते हुए केरल हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने कहा कि पीड़िता की जांघों के बीच में कोई गलत हरकत की जाती है तो इसे भी बलात्कार के समान ही माना जाएगा। गलत हरकत सीधे तौर पर महिला के शरीर के साथ छेड़छाड़ है और यह बलात्कार के अपराध के बराबर ही है।

इस मामले में निचली अदालत ने एक व्यक्ति को बलात्कार का दोषी ठहराया था क्योंकि उसने अपने पड़ोस में रहने वाली नाबालिग लड़की के शरीर के कई अंगों के साथ गलत तरीके से छेड़छाड़ करके उसका यौन उत्पीड़न किया था।

न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति जियाद रहमान की पीठ ने सोमवार को फैसला सुनाया, 'पीड़िता की जांघों के बीच में यौनाचार जैसा कोई भी कृत्य महिला के शरीर के साथ छेड़छाड़ है और यह बलात्कार के अपराध के समान है। जब इस प्रकार जांघों के बीच यौनाचार जैसा कोई कृत्य किया जाता है तो वह निश्चित तौर पर यह भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के तहत परिभाषित 'बलात्कार' के समान होगा।'

अदालत ने ये कहा

अदालत ने कहा कि जब जांघों के बीच सेक्सुअल इंटरकोर्स किया जाता है, तो यह निश्चित रूप से धारा 375 के तहत परिभाषित 'बलात्कार' के बराबर होगा। अदालत ने कहा, 'अपील करने वाले के द्वारा किया गया यौन कृत्य भारतीय दंड संहिता की धारा 375 (सी) के साथ ही धारा 376 (1) के तहत अपराध को आकर्षित करने के लिए पर्याप्त है।'

दोषी पाए गये आरोपी को उम्रकैद की सजा

हाई कोर्ट ने कहा कि चूंकि उसे सत्र अदालत ने दंड संहिता की धारा 376(2) (आई) और 377 के बजाये धारा 376(1) के साथ ही धारा 375(सी) के तहत अपराध का दोषी पाया है, तो इसलिए उसकी शेष जीवन की उम्र कैद सजा में संशोधन करके इसे उम्रकैद में तब्दील किया जाता है। अदालत ने आदेश में कहा, 'सत्र अदालत द्वारा धारा 354 और 354ए (1)(i) के तहत पारित सजा की पुष्टि की जाती है। ये सजाएं साथ ही साथ चलेंगी।'

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