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प्रेस रिलीज

पीएम मोदी को 'डिवाइडर इन चीफ' बताने वाले आतिश तासीर के समर्थन में आईं 250 हस्तियां

Nirmal kant
15 Nov 2019 9:55 AM GMT
पीएम मोदी को डिवाइडर इन चीफ बताने वाले आतिश तासीर के समर्थन में आईं 250 हस्तियां
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भारत सरकार ने हाल ही में लेखक आतिश तासीर के ओसीआई कार्ड को निरस्त किया है। इसको लेकर ढाई सौ पत्रकार और लेखकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इस फैसले की फिर से समीक्षा करने की मांग की है...

जनज्वार। मशहूर टाइम पत्रिका के लेखक आतिश तासीर के समर्थन में देशभर के 250 पत्रकार, लेखक और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने प्रधानमंत्री मोदी को एक पत्र लिखा है। पत्र लिखने वालों में दिलीप मेनन, सलमान रुश्दी और अमिताभ घोष जैसे कई लोगों का नाम शामिल हैं। पत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आतिश तासीर के ओसीआई (ओवरसीज सिटिजन ऑफ इंडिया) कार्ड को रद्द करने के फैसले को फिर से वापस लेने और मामले की जांच करने की मांग की गई है। तासीर ने टाइम पत्रिका में मोदी को देश का 'डिवाइडर इन चीफ' कहा था। तासीर भारतीय मूल की पत्रकार महिला तवलीन सिंह और पाकिस्तानी नेता सलमान तासीर के बेटे है।

ये पत्र इग्लिश पेन, पेन अमेरिका और पेन इंटरनेशल की ओर से जारी किया गया है। पत्र में कहा गया है कि आतिश तासीर के ओसीआई कार्ड की जांच एक बार फिर से होनी चाहिए। दरअसल तासीर ने सरकार की नाराजगी के बावजूद मोदी को डिवाइर इन चीफ (देश को बांटने वाला) वाला बताया था। जिसके चलते उनकी नागरिकता को रोका जा रहा है। तासीर के पास ब्रिटिश मूल की नागरिकता है, साथ ही उनके पास अमेरिका का ग्रीन कार्ड भी है जिसके बाद तासीर ने 2000 में अपने विदेशी भारतीय होने के सबूत को लेकर जरुरी कागजात को दूतावास में जमा करवाए थे।

सीआई से विदेश में रह रहे भारतीय नागिरकों को अनिश्चितकाल तक के लिए भारत में रहने और काम करने की अनुमति मिल जाती है। लेकिन तासीर का मामला थोड़ा अलग है वह भारत में अपनी मां के साथ छोटी उम्र मे पले बढ़े और व्यस्क होने तक उन्होंने अधिकांश समय अपनी मां के साथ बिताया।

हीं उनके पिता सलमान तासीर जो लंबे समय तक तवलीन के साथ ब्रिटेन में रहे थे लेकिन उन्होंने शादी नहीं की। तासीर उनसे तब तक नहीं मिले थे जब तक वह व्यस्क नहीं हो गए। ओसीआई (ओवरसीज सिटिजन ऑफ इंडिया) के नियमों के मुताबिक किसी भी व्यक्ति को उस देश की नागरिता नहीं दी जा सकती है जिनके मां बाप, दादा दादी का संबध पाकिस्तान या बांग्लादेश से रहा हो। हालांकि तासीर लंबे समय से अपनी माता के साथ भारत में रहे और व्यस्क होने तक यहीं रहे लेकिन तासीर ने जो आवेदन किया है उसमें उन्होंने अपने पिता की पहचान नहीं छुपाई है और उनके नाम का ज्रिक किया है।

ई 2019 को चुनावों के दौरान तासीर ने टाइम पत्रिका में एक कवर स्टोरी की थी जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को डिवाइडर इन चीफ (देश को बांटने) वाला बताया था। इसके बाद भारत सरकार ने इस लेख को लेकर आपत्ति जताई थी और इसको आनलाइन शोषण करार दिया था। इसके बाद तीन सितंबर को भारत के गृह मंत्रालय की ओर से तासीर को एक पत्र जारी किया गया था। जिसके बाद सरकार ने उनको तीन हफ्ते के भीतर जबाव दाखिल करने के लिए कहा था। जिसे अगले कुछ दिनों में न्यूयार्क में स्थित भारतीय दूतावास ने मंजूर किया था लेकिन उन्हें 7 सितंबर तक कोई जबाव नहीं मिला।

फिर गृह मंत्रालय ने लगातार ट्वीट करते हुए बताया था कि तासीर ने अपने दिवंगत पिता सलमान तासीर की जानकारी को छिपाई थी जिस कारण उन्हें ओआईसी कार्ड नहीं दिया जा सकता है। लेकिन तासीर इन दोनों तर्क को गलत बताते हैं। वह कहते हैं गृह मंत्रालय के द्वारा किए गए ट्वीट के कुछ घंटे बाद ही एक ईमेल मुझे मिला जिसमें बताया गया था कि भारत सरकार की तरफ से मेरा ओसीआई कार्ड को रद्द कर दिया गया है। यदि किसी के ओसीआई कार्ड को रद्द कर दिया जाता है तो उसे ब्लैकलिस्ट की श्रेणी में डाल दिया जाता है और देश मे प्रवेश करने की अनुमति को निरस्त कर दिया जाता है।

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त्र में इन लेखकों ने लिखा है कि हम इस बात से बेहद चिंतित हैं कि तासीर को भारत सरकार के विरोध में लिखने और रिपोर्टिग करने के कारण उन्हें व्यक्तिगत रुप से निशाना बनाया जा रहा है। हम आग्रह करते है कि ओसीआई नियमों की भावना जो भारतीय विरासत के साथ अन्य देशों के नागरिकों को अपनी जड़ों और परिवार के साथ बनाई रखती है उसे जारी रखा जाए और किसी एक मां के साथ-साथ भेदभाव नहीं किया जाए।

न्होंने आगे लिखा है कि विदेशी और भारतीय दोनों मूल के लेखकों को देश में ना आने देना विचारों और स्वतंत्र के ऊपर सवाल उठाता है। साथ ही एक मजबूत लोकतंत्र की साख को भी कमजोर करता है। हम सरकार से अनुरोध करते है कि वह अपने फैसले की समीक्षा करें ताकि तसीर अपने बचपन के घर जा सके और अपने परिवार से मिल सके। साथ ही मांग करते हैं कि जैसे तासीर को उनके लेख के लिए सरकार की ओर से निशाना बनाया गया है किसी और लेखक को इसी तरह निशाना ना बनाया जाए।

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