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पराली जागरूकता अभियान के नाम पर 4 महीनों में लड्डू, समोसों पर खर्च किए 40 लाख रुपए

Janjwar Team
8 March 2020 8:03 AM GMT
पराली जागरूकता अभियान के नाम पर 4 महीनों में लड्डू, समोसों पर खर्च किए 40 लाख रुपए
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कृषि विभाग ने ये खर्चा जुलाई 2018 से लेकर अक्टूबर 2018 तक किया। उस समय प्रदूषित शहरों में जींद विश्वभर में 20वें स्थान पर था। एक तरफ विभाग प्रदूषण कम करने के लिए किसानों को गुलाब जामुन खिला रहा था तो दूसरी और जींद प्रदूषित शहरों में छलांग लगाते हुए इस साल 17वें स्थान पर पहुंच गया है...

जनज्वार ब्यूरो, चंडीगढ़। कृषि विभाग में भ्रष्टाचार कितना है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि एक किसान को एक समोसा, 2 लड्डू और 2 गुलाब जामुन पर 57 रुपए खर्च दिखाया गया। कृषि विभाग ने किसानों को पराली न जलाने के प्रति जागरूक करने के लिए एक प्रदेश स्तर पर कार्यक्रम चलाया था। लेकिन यह कार्यक्रम भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया। विभाग ने कार्यक्रम आयोजित ही नहीं किए बल्कि फर्जी बिल लगा कर पैसा हड़प लिया गया।

क आरटीआई से इस गड़बड़ी का खुलासा हुआ है। जींद जिले में आयोजित जागरूकता अभियान में 40 लाख रुपए का खर्च सिर्फ नाश्ते में किया गया है। विभाग का दावा है- हर गांव में 2 बार मीटिंग की गई। टेंट लगवाया, किसानों को इकट्ठा किया। किसान को एक समोसा, 2 लड्डू और 2 गुलाब जामुन खिलाए गए, जिनपर प्रति किसान 57 रुपये खर्चा किया गया। किसान को 120 रुपए प्रति थाली के हिसाब से खाना भी खिलाया गया।

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आरटीआई कार्यकर्ता का आरोप विभाग ने फर्जी बिल बनाए

रटीआई कार्यकर्ता सूरजमल नैन का आरोप है कि विभाग ने फर्जी बिल बनाए हैं। उन्होंने इस पूरे मामले की शिकायत गृहमंत्री अनिल विज को भी की है। उन्होंने बताया है कि एक ही दुकान के नाम से दो-दो बिल काटे गए हैं जबकि दोनों में से कोई दुकान है ही नहीं। इतना ही नहीं एक कार्यक्रम जुलाना में आयोजित किया गया था लेकिन उसके लिए टेंट जींद से 40 किलोमीटर की दूरी से लाया गया जो सवाल खड़े करता है।

पर 5 लाख से ज्यादा किया गया खर्च

सूरजमल नैन ने कहा कि एक छोटे से ढाबे में 4 कुर्सियां रखी गई हैं और उसका खाने के बिल 40,000 से ज्यादा दिखाया गया है। उन्होंने कहा कि विभाग ने कैम्प के दिखाए हैं उनसे पता चलता है कि किसी भी गांव में टेंट नहीं लगाया गया है जबकि इसका खर्चा 5 लाख से ज्यादा दिखाया गया है।

विभाग का कहना भ्रष्टाचार का आरोप निराधार

कृषि विभाग के डिप्टी डायरेक्टर सुरेंद्र मलिक का कहना है कि आरोप निराधार हैं। हम किसानों के लिए अच्छी योजनाएं पहले भी लाते रहे हैं। उसी के तहत किसानों का ये जागरुकता कार्यक्रम था। हर गांव में यह दो बार आयोजित किया गया था। इस तरीके से 612 कैंप आयोजित किए गए थे। आरोप गलत हैं।

सबसे प्रदूषित शहरों में 17वें स्थान पर पहुंचा जींद

कृषि विभाग ने ये खर्चा जुलाई 2018 से लेकर अक्टूबर 2018 तक किया। उस समय प्रदूषित शहरों में जींद विश्वभर में 20वें स्थान पर था। एक तरफ विभाग प्रदूषण कम करने के लिए किसानों को गुलाब जामुन खिला रहा था तो दूसरी और जींद प्रदूषित शहरों में छलांग लगाते हुए इस साल 17वें स्थान पर पहुंच गया है।

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हरियाणा के हर जिले में हुई गड़बड़ी

युवा किसान संघ के प्रधान प्रमोद चौहान ने बताया कि यह गड़बड़ी जींद जिले में ही नहीं बल्कि पूरे हरियाणा में हुई है। पराली जलाने का अभियान दिखावा भर है। यही वजह है कि हर साल जागरूकता अभियान पर खर्च करने के बाद भी पराली जलाने के मामले बढ़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि प्रदूषण के नाम पर प्रदेश में भ्रष्टाचार चरम पर पहुंच गया है।

है सरकार का भ्रष्टाचार मुक्त शासन

कांग्रेस नेता व पूर्व पर्यावरण मंत्री किरण चौधरी ने बताया कि सरकार यही भ्रष्टाचार मुक्त शासन है। प्रदूषण तो खत्म हुआ नहीं, हां भ्रष्टाचार बढ़ गया। उन्होंने बताया पुराल न जलाए किसान सरकार का यह अभियान दिखावा भर है। इसकी जांच होनी चाहिए। यदि जांच नहीं होती तो यहीं माना जाएगा कि इस भ्रष्टाचार को सरकार का भी समर्थन प्राप्त है।

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